भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
प्रधानमंत्री का लाल किला का पूरा भाषण बता रहा था कि वह हताशा में
हैं। दो सालों के बाद अब भक्त भी सवाल खड़े करने लगे हैं। हवाई गुब्बारे की भी
सीमा होती है। जुमलों की भी मियाद होती है। ऐसे में अब किसी बड़े राग की जरूरत थी।
गुजरात के विकास का गुब्बारा फूटने के बाद कुछ बचा नहीं था। गाय और गोबर ने ऊपर से
मिट्टी पलीद कर दी। मजबूरी बश एक बयान क्या दिया अपने ही मधुमक्खी की तरफ घेर लिए।
ऐसे में मोदी साहब को एक अदद गोधरा चाहिए...
महेंद्र मिश्रा
इन्हें न विकास से लेना-देना है और न मेडल से। इन्हें युद्ध चाहिए।
इसीलिए जो आज तक किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से नहीं किया। उसको इन्होंने कर
दिखाया। वो है बलूचिस्तान के अलवगाववादियों का खुला समर्थन। पीएम साहब ने इस मौके
पर न ओलंपिक का जिक्र किया और न ही मेडल का। एक अरब 30
करोड़ आबादी और एक भी मेडल नहीं। यह बात पीएम साहब को परेशान नहीं
करती। चलिए देश के दूसरे हिस्सों में दूसरी नकारी सरकारें थीं। लेकिन गुजरात में
तो 20 सालों से आप हैं। कम से कम एक खिलाड़ी पैदा कर दिए
होते। एक मेडल वहां से आ जाता। इस पर आप क्या बोलेंगे? अब
पूरा गुजरात बोल रहा है। विकास का बुलबुला फूट गया। न वहां दलितों को सम्मान मिला।
न ही पटेलों को रोजी-रोटी।