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शनिवार, 7 अगस्त 2021

राष्ट्रीय ओबीसी दिवस: जाति जनगणना की मांग को लेकर पिछड़े आज करेंगे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

जनगणना-2021 में वर्गवार जातियों को गिनने की उठ रही मांग। विभिन्न बैनरों के तहत उत्तर प्रदेश और बिहार में आज होगा प्रदर्शन

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ/पटना। उत्तर प्रदेश और बिहार के कई सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक पार्टियों ने 7 अगस्त को राष्ट्रीय ओबीसी दिवस (नेशनल ओबीसी दिवस) के रूप में मनाने निर्णय लिया है। साथ ही वे आज जनगणना-2021 में वर्गवार सभी जातियों की गणना कराने के लिए देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी आज राज्य स्तर पर जाति जनगणना कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने आज सात सूत्रीय मांगों को लेकर सूबे के सभी जिलों में राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपने का ऐलान किया है जिसमें मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने और जाति जनगणना कराने की मांग प्रमुख है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भी जाति-जनगणना कराने के निर्णय पर केंद्र की भाजपा सरकार का साथ देने की घोषणा की है।

गुरुवार, 29 जुलाई 2021

NEET के AIQ में OBC के 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ सवर्णों का 10 प्रतिशत EWS कोटा वर्तमान सत्र से होगा लागू

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर की घोषणा। वर्तमान शैक्षित सत्र में ही योग्य अभ्यर्थियों को मिलेगा इसका लाभ।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

नई दिल्ली। नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (NEET) के अखिल भारतीय कोटा (AIQ) की सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग का 27 प्रतिशत और  सवर्णों के EWS कोटा का 10 प्रतिशत आरक्षण इसी शैक्षिक सत्र से लागू होगा। केंद्रीय  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज एक विज्ञप्ति में इस निर्णय की जानकारी दी। मंत्रालय के अनुसार,  वर्ष 1986 के अखिल भारतीय कोटा (AIQ)योजना के तहत ये आरक्षण उपलब्ध कराया जाएगा और  स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों (MBBS/MD/MS/Diploma/BDS/MDS) में ही छात्रों को इसका फायदा मिलेगा। मंत्रालय का कहना है कि इससे 5,550 छात्रों को फायदा होगा जिनमें 4000 (1500 एमबीबीएस और 2500 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम) अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र शामिल होंगे। 

बुधवार, 28 जुलाई 2021

मप्र में 27 प्रतिशत OBC आरक्षण लागू करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, कई घायल, हजारों गिरफ्तार

ओबीसी महासभा के बैनर तले लोग मुख्यमंत्री आवास का कर रहे थे घेराव। भीम आर्मी भारत एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह समेत हजारों गिरफ्तार।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

भोपाल। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास के सामने प्रदर्शन कर रहे ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया जिसमें दर्जनों घायल हो गए। पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास को घेरने जा रहे हजारों लोगों को विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार किया है। इसमें ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुुुमार भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि ओबीसी महासभा के आह्वान पर मुख्यमंत्री कार्यालय को घेरने जा रहे भीम आर्मी भारत एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह और उनके सैकड़ों समर्थकों को पुलिस ने रास्ते में ही गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। 

OBC आरक्षणः केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ पिछड़ों ने किया देशव्यापी प्रदर्शन, आबादी के अनुपात में मांगा आरक्षण

राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस (26 जुलाई) के मौके पर 'सामाजिक न्याय आंदोलन' के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में पिछड़ों ने भाजपा की केंद्र एवं राज्य सरकारों के खिलाफ सड़कों पर खोला मोर्चा। नीट (NEET) के अखिल भारतीय कोटा के तहत राज्यों द्वारा समर्पित सीटों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण देने, आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, जातिवार जनगणना कराने, आबादी के अनुपात में ओबीसी को आरक्षण देने और सामान्य वर्ग का आतिवार सामाजिक एवं आर्थिक जनगणना कराने की मांग।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस (26 जुलाई) पर अन्य पिछड़ा वर्ग के विभिन्न संगठनों ने सोमवार को 'सामाजिक न्याय आंदोलन' के तहत देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (NEET) के अखिल भारतीय कोटा (AIQ) में राज्यों की समर्पित सीटों पर OBC का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने, आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, जनगणना-2021 में सभी वर्गों की जातिवार जनगणना कराने, आबादी के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करने और सामान्य वर्ग की जातिवार सामाजिक एवं आर्थिक जनगणना कराने की मांग की। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके राजनीतिक धड़े भारतीय जनता पार्टी (BJP)पर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को खत्म करने का आरोप लगाया।

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

OBC आरक्षणः बनारस में मोदी सरकार के खिलाफ पिछड़ों का विरोध-प्रदर्शन, NEET में AIQ की सीटों पर मांगा 27 प्रतिशत आरक्षण

राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस (26 जुलाई) के मौके पिछड़े छात्रों और समाजसेवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में फूंका सामाजिक न्याय आंदोलन का बिगुल। राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में की NEET के AIQ के तहत राज्यों की समर्पित सीटों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने, आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, जनगणना-2021 में सभी वर्गों की जातिवार जनगणना कराने, आबादी के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करने और सामान्य वर्ग की जातिवार सामाजिक एवं आर्थिक जनगणना कराने की मांग।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस के मौके पर पिछड़े छात्रों और समाजसेवियों ने सोमवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)के सिंह द्वार के सामने भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ 'सामाजिक न्याय आंदोलन' के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन किया और संत रविदास गेट तक विरोध मार्च भी निकाला। इस दौरान उन्होंने भाजपा और आरएसएस की अगुआई वाली केंद्र और राज्य सरकारों पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)के संवैधानिक आरक्षण पर हमला करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने  NEET के AIQ में राज्यों की समर्पित सीटों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने, आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, जनगणना-2021 में सभी वर्गों की जातिवार जनगणना कराने, आबादी के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करने, सामान्य वर्ग की जातिवार सामाजिक एवं आर्थिक जनगणना कराने की मांग की। 

रविवार, 25 जुलाई 2021

OBC आरक्षण पर हमले के खिलाफ कल होगा विरोध-प्रदर्शन, NEET के AIQ में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग

राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस (26 जुलाई) पर आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, जनगणना-2021 में सभी वर्गों की जातिवार जनगणना कराने, आबादी के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करने और सामान्य वर्ग की जातिवार सामाजिक और आर्थिक जनगणना कराने की उठेगी मांग। महान समाज सुधारक छत्रपति शाहु जी महाराज ने 26 जुलाई 1902 को अपनी रियासत कोल्हापुर की सरकारी नौकरियों में वंचितों को पहली बार दिया था 50 प्रतिशत आरक्षण।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी/पटना/भागलपुर/। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP)की अगुआई वाली केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण पर लगातार हो रहे हमलों के खिलाफ पिछड़े और दलित कल सामाजिक न्याय आंदोलन के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन करेंगे। साथ ही वे नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (NEET) के अखिल भारतीय कोटा (AIQ) में राज्यों की समर्पित सीटों पर OBC का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने, आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, जनगणना-2021 में सभी वर्गों की जातिवार जनगणना कराने, आबादी के अनुपात में ओबीसी आरक्षण लागू करने और सामान्य वर्ग की जातिवार सामाजिक और आर्थिक जनगणना कराने की मांग करेंगे। 'वनांचल एक्सप्रेस' को अभी तक मिली सूचना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत बिहार के भागलपुर, मुंगेर, बांका, अरवल, खगड़िया, बेगुसराय और पटना में लोग कल सड़कों पर उतरेंगे और केंद्र एवं राज्य सरकारों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराएंगे।

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

OBC आरक्षण की अनदेखी पर NCBC आज करेगा दिल्ली विश्वविद्यालय का दौरा, UGC अध्यक्ष और सचिव भी तलब

आयोग ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के सचिव को भी मौजूद रहने का दिया आदेश। दिल्ली विश्वविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण और उनके अधिकारों के हनन को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को मिली थीं शिकायतें। 21 दिसंबर को सुबह 11 बजे से होगा आयोग के पूर्ण बेंच का दौरा।  

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण और उनके अधिकारों की अनदेखी को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) आज दिल्ली विश्वविद्यालय का दौरा करेगा। आयोग ने इस दौरान भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष और सचिव को भी मौजूद रहने का निर्देश दिया है। आयोग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) डॉ. एम.एम. चटोपाध्याय ने विश्वविद्यालय के कुलपति समेत उन्हें पत्र लिखकर सूचित किया है। 

शनिवार, 19 दिसंबर 2020

मोदी सरकार ने IB में OBC और ST की सीटों पर डाला डाका, OBC को 123 पदों और ST को 29 पदों का नुकसान

पूर्व भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई वाली केंद्रीय खुफिया विभाग (IB) में असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर (ग्रेड-III) के पदों पर SC-ST-OBC को केवल 45 फीसदी पदों पर ही दिया आरक्षण। वर्ष 2016 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समूह ग और घ की नौकरियों से साक्षात्कार खत्म करने के ऐलान के बाद भी केंद्रीय खुफिया विभाग की समूह 'ग' के पदों की भर्ती प्रक्रिया में 100 अंक का साक्षात्कार शामिल। 

reported by Shiv Das Prajapati

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नीत भाजपा की अगुआई वाली मोदी सरकार द्वारा एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। भारत सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले पूर्व भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एससी, एसटी और ओबीसी के संवैधानिक आरक्षण को 49.5 प्रतिशत की जगह 45 फीसदी तक सीमित कर दिया है। इससे केंद्रीय खुफिया विभाग (IB) में विज्ञापित असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर (ग्रेड-III) पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 123 पदों और अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST) को 29 पदों का नुकसान हुआ है।  इतना ही नहीं, समूह 'ग' वाली नौकरी की भर्ती प्रक्रिया में 100 अंक का साक्षात्कार रखकर अनारक्षित वर्ग के 989 पदों पर अधिक से अधिक सवर्णों को भर्ती करने का रास्ता साफ कर लिया गया है।  

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

MGAHV: Ph.D हिन्दी साहित्य की 23 सीटों में SC को नहीं मिली एक भी सीट, दिव्यांगों के हाथ भी खाली

हिन्दी साहित्य की 23 सीटों में 10 सीट अनारक्षित हैं। ओबीसी को कुल नौ सीटें दी गई हैं...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

केंद्र और राज्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नीत भाजपा सरकार के आने के बाद अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर उच्च जातियों का हमला जारी है। विभिन्न विभागों की भर्तियों में आरक्षण नियमों की अनदेखी के बाद अब शिक्षण संस्थाओं में इन समुदायों के आरक्षण को खत्म किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में सामने आया है। विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षा सत्र-2020-21 में पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उपलब्ध सीटों के ब्योरे में बड़े पैमाने पर आरक्षित वर्ग के सीटों सवर्णों के ईडब्ल्यूएस कोटा समेत अनारक्षित वर्ग में प्रकाशित कर दिया गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि हिन्दी साहित्य में शोध के लिए रिक्त 23 सीटों में अनुसूचित जाति वर्ग को एक भी सीट आरक्षित नहीं हुई है।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

विशेषः मंडल बनाम कमंडल की 30 सालों की राजनीति में OBC आरक्षण की चुनौतियां

आश्चर्य की बात यह है कि आज भी कई केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा अन्य केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों एवं राज्य सरकार के शिक्षण संस्थान तथा नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है। पहले तो वजह यह था कि वहाँ एससी-एसटी की आबादी अधिक होने के कारण आरक्षण ज्यादा दिया गया था इसलिए अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा लाँघकर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना मुश्किल था, लेकिन अब तो वह भी वजह वाजिब नहीं रहा...

written by डॉ. दिनेश पाल 

भारतीय इतिहास के पन्नों में अगस्त का महीना सर्वाधिक उथल-पुथल का महीना रहा है। अगस्त में कई अस्त तो, कई पस्त हुए हैं। इसी माह के बीच की तिथि अर्थात् 15 अगस्त देश के स्वतंत्रता का दिन भी है, जो कि पूरे देश के लिए महापर्व व राष्ट्रीय पर्व है। अगस्त में कुछ तिथियाँ किसी के लिए स्वर्णिम हैं, तो किसी के लिए कालिमा। विश्व इतिहास में भी 6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम पटक कर काला अध्याय लिख रखा चुका है। खैर, विश्व पटल पर तो अगस्त के तमाम ऐसे दिवस होंगे, जो किसी के लिए स्वर्णिम तो किसी के काला दिवस होंगे।

सोमवार, 27 जुलाई 2020

ऑल इंडिया कोटे की मेडिकल सीटों पर OBC आरक्षण देने के लिए तीन महीनों में कमेटी गठित करे केंद्र: मद्रास हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा, 
 चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में ऑल इंडिया कोटा की सीटों पर ओबीसी आरक्षण देने के लिए कोई कानून बनाने के लिए केंद्र स्वतंत्र। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

द्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को केद्र सरकार को आदेश दिया कि वह तीन महीनों के अंदर केद्र सरकार, तमिलनाडु सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त कमेटी गठित करे जो चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में ऑल इंडिया कोटा के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों को आरक्षण देने के मुद्दे पर निर्णय करेगा। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एमसीआई के वक्तव्य को भी पढ़ा कि ऑल इंडिया कोटा की मेडिकल सीटों में ओबीसी आरक्षण देने में कोई भी कानूनी रोक नहीं है।

शनिवार, 25 जुलाई 2020

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में OBC एसोसिएट प्रोफेसरों के 94 फीसदी पद खाली, ST के 86 और दिव्यांगों के 90 फीसदी पदों पर नहीं हुई नियुक्ति

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव को दी सूचना। देश भर के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी वर्ग के 77 फीसदी पदों पर भी नहीं है एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्ति।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित एसोसिएट प्रोफेसरों की 94 फीसदी पदों पर अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित और सरकारी दस्तावेजों में दर्ज 'दिव्यांग' वर्ग के लिए आरक्षित एसोसिएट प्रोफेसर के 90 फीसदी पद भी खाली हैं। एसोसिएट प्रोफेसर वर्ग में अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित 86 फीसदी और अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित 77 फीसदी पदों पर भी अभी नियुक्ति नहीं हो पाई है।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में OBC प्रोफेसरों के 97 फीसदी पद खाली, SC के 83 और ST के 94 फीसदी पदों पर भी नहीं हुई नियुक्ति

सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 में तहत डॉ. लक्ष्मण यादव के आवेदन पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दी सूचना।


वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के प्रोफेसरों के लिए चिन्हित 269 पदों में करीब 97 फीसदी पद खाली हैं। अनुसूचित जाति (एससी) के 83, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 94 और दिव्यांग के 86 फीसदी पदों पर भी प्रोफेसरों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत डॉ. लक्ष्मण यादव को यह जानकारी मुहैया कराई है।

बुधवार, 8 जुलाई 2020

OBC आरक्षण को आय आधारित आरक्षण बनाने पर क्यों तुली है BJP की केंद्र सरकार?

मोदी सरकार 2017 में अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के बहाने लोकसभा सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता में गठित संसदीय समिति की अनुशंसा के खिलाफ जाते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की आपत्ति के बावजूद बी.पी. शर्मा समिति की अनुशंसा को लागू करने की जल्दबाजी में क्यों हैं?

written by संतोष कुमार यादव

8 मार्च 2019 को केन्द्र सरकार द्वारा गठित चार सदस्यीय कमिटी- जिसके अध्यक्ष डीओपीटी के पूर्व सचिव बी.पी. शर्मा बनाये गये- ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी जिसके अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग के क्रीमी लेयर की आधार वार्षिक आय में वेतन से प्राप्त आय और कृषि से प्राप्त आय को जोड़ने का प्रस्ताव है, जो ओबीसी वर्ग के लिए घातक सिद्ध होगा।

रविवार, 5 जुलाई 2020

EXCLUSIVE: सोनिया गांधी की अगुआई वाली UPA सरकार की साज़िश से BBAU में लागू नहीं हुआ OBC आरक्षण, कानून में संशोधन कर छीन लिया पिछड़ों का हक

कांग्रेस की अगुआई वाली UPA-I की सरकार ने केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 के तहत राष्ट्रीय महत्व (Institutions of Excellence) की 8 संस्थाओं और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को छोड़कर देश के सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटा के तहत 27 प्रतिशत सीटों पर पिछड़े छात्रों को प्रवेश देने की व्यवस्था की थी। इस कानून की धारा-3(iii) में साफ लिखा था कि केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में किसी भी शाखा या संकाय में उपलब्ध सीटों का 27 प्रतिशत सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगी। वहीं, UPA-II की सरकार के दौरान केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 की धारा-3(iii) में संशोधन कर OBC आरक्षण को कुछ केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों तक सीमित कर दिया गया...

reported by Shiv Das 

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की अगुआई वाली राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार के दौरान केंद्र की सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए लागू अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 27 प्रतिशत आरक्षण को देने में भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने जमकर आनाकानी की हैं। भाजपा की अगुआई वाली NDA सरकारों ने जहां OBC आरक्षण के संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं, वहीं, कांग्रेस की अगुआई वाली UPA सरकारों ने भी OBC कोटा के तहत मिले पिछड़ों के हक पर डाका डालने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। NEET (National Eligibilty-cum-Intrance Test) के तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के अधीन चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में अखिल भारतीय कोटा (AIQ-ALL India Quota) की सीटों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किए जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) समेत कई केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में पिछड़ों को अपनी पहचान पर शिक्षा पाने से ही रोक दिया। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने पहले इन संस्थाओं में साज़िश के तहत OBC कोटा के तहत पिछड़ों को उनका हक नहीं दिया लेकिन जब मिला तो कानून में संशोधन कर उनका हक ही मार दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं 2007 में लागू केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 की, जिसमें सोनिया गांधी की अगुआई वाली UPA-II की सरकार ने 2012 में संशोधन कर BBAU समेत अन्य ऐसे शिक्षण संस्थानों में OBC छात्रों के प्रवेश को रोक दिया। 

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

NEET: AIQ की सीटों पर OBC आरक्षण के पक्ष में आई कांग्रेस, सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (AIOBC) द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस प्रमुख ने ऑल इंडिया कोटा के सीटों पर ओबीसी आरक्षण लागू करने की मांग की। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

देश के चिकित्सकीय शिक्षण संस्थानों में लागू ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण नहीं दिए जाने का मामला गरमा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कांग्रेस संसदीय दल के चेयरमैन की हैसियत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (NEET) के तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में ऑल इंडिया कोटा की सीटों पर ओबीसी आरक्षण नहीं दिए जाने को भारतीय संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में ऑल इंडिया कोटा की मेडिकल और डेंटल सीटों पर ओबीसी कोटा के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रवेश देने की मांग की है। 

मंगलवार, 23 जून 2020

राज्यों ने 8 सालों में केंद्र को समर्पित कीं 72500 मेडिकल सीटें, मोदी सरकार ने नहीं दिया OBC आरक्षण

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (AIOBC) के महासचिव जी. करुणानिधि ने वर्ष 2013 से 2020 तक ऑल इंडिया कोटा के तहत राज्यों द्वारा केंद्र को समर्पित मेडिकल सीटों का आंकड़ा जारी कर केंद्र सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप। मामले में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए संसदीय समिति ने आगामी 29 जून को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों को किया तलब। AIOBC ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए संसदीय समिति को पत्र लिखकर रखा अपना पक्ष।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

देश के चिकित्सकीय शिक्षण संस्थानों में लागू ऑल इंडिया कोटा के तहत राज्यों ने पिछले आठ सालों में केंद्र को करीब 72500 मेडिकल सीटें समर्पित कीं लेकिन केंद्र की मोदी सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को इनमें से एक भी सीट नहीं मिली। इन सीटों में स्नातक और स्नातकोत्तर की मेडिकल और डेंटल सीटें शामिल हैं। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी) के महासचिव जी. करुणानिधि ने विभिन्न चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में उपलब्ध सीटों का ब्योरा जारी कर केंद्र सरकार पर ओबीसी के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने ओबीसी के लिए संसदीय समिति को आज पत्र लिखकर AIOBC का पक्ष रखा।

गुरुवार, 11 जून 2020

BBAU की 378 सीटों पर होगा EWS वाले सवर्णों का प्रवेश, OBC आरक्षण के लिए AIOBC ने MHRD और NCBC को लिखा पत्र

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी)के महासचिव जी. करुणानिधि ने पत्र में साफ तौर पर कहा है कि बीबीएयू प्रशासन केंद्रीय ने शिक्षण संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 और केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है....

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

खनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में  शिक्षा सत्र-2020-21 के दौरान ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से वंचित वर्ग) कोटा के तहत 378 सीटों पर सवर्णों को प्रवेश मिलेगा लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के तहत यहां एक भी सीट पर पिछड़ों का प्रवेश नहीं होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस विसंगति के खिलाफ ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी) ने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक', राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य पिछड़ा वर्ग की संसदीय समिति को पत्र लिखकर इसी सत्र से विश्वविद्यालय में प्रवेश की सीटों पर ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। 

मंगलवार, 26 मई 2020

BBAU में OBC आरक्षण को लागू करने से नहीं रोकता है विश्वविद्यालय के विशेष दर्जे का कानूनी प्रावधान!

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय अधिनियम-1994 की धारा-7 कहती है कि विश्विविद्यालय सभी व्यक्तियों के लिए खुला होगा, चाहे वह किसी भी लिंग, जाति, पंथ, नस्ल, वर्ग या निवास स्थान का हो। विश्वविद्यालय के शिक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान करने, इसके कार्यालयीन पद को धारण करने, विश्वविद्यालय में विद्यार्थी के रूप में प्रवेश लेने, स्नातक होने या उसके किसी भी विशेष प्रावधान का लाभ उठाने की अर्हता को निर्धारित करने में किसी व्यक्ति पर उसकी धार्मिक आस्था या पेशे से संबंधित कोई परीक्षण अपनाना या थोपना विश्वविद्यालय के लिए विधिसम्मत नहीं होगा।
इस खण्ड में कोई भी प्रावधान विश्वविद्यालय को महिलाओं, दिव्यांगों, समाज के वंचित तबके के व्यक्तियों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, के रोजगार अथवा शैक्षणिक हितों के संवर्द्धन के लिए विशेष प्रावधान बनाने से नहीं रोकेगा।

 reported by Shiv Das

खनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय का विशेष दर्जे का कानूनी प्रावधान विश्वविद्यालय में भारतीय संविधान के तहत मिले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) या अन्य किसी भी वंचित समुदाय के आरक्षण को लागू करने से नहीं रोकता है! विश्वविद्यालय महिलाओं, दिव्यांगों और समाज के वंचित तबके के व्यक्तियों के रोजगार अथवा शैक्षणिक हितों के संवर्द्धन के लिए विशेष प्रावधान को बना सकता है और लागू कर सकता है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बने कानून में इसका स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के विशेष प्रावधान का हवाला देकर केंद्र सरकार के अधीन शिक्षण संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले 27 प्रतिशत संवैधानिक कोटे को आज तक लागू नहीं किया जबकि सवर्णों के आरक्षण के रूप में चर्चित ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से वंचित समूह) के 10 प्रतिशत कोटे को साल भर के अंदर लागू कर दिया। हालांकि ईडब्ल्यूएस वर्ग के अंदर आने वाले लोगों के बारे में अभी तक कोई अधिकारिक एवं विश्वसनीय आंकड़ा नहीं है कि वे भारतीय समाज के वंचित वर्गों की श्रेणी में आते हैं। 

शुक्रवार, 22 मई 2020

BBAU में सवर्णों का EWS कोटा लागू होने पर OBC छात्रों ने भी मांगा आरक्षण, नेता खामोश

अनुसूचित जाति वर्ग के बुद्धिजीवियों ने इसे बताया पिछड़े और अनुसूचित वर्गों के बीच खाई पैदा करने वाली आरएसएस और भाजपा की साज़िश 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊः बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में प्रवेश की सीटों पर सवर्णोंका ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटा लागू होने पर अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों और शिक्षकों ने विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 27 फीसदी कोटा को लागू करने के लिए अभियान छेड़ दिया है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के बुद्धिजीवियों ने इसे पिछड़े और अनुसूचित वर्गों के बीच खाई पैदा करने के लिए भाजपा और आरएसएस की साज़िश बताया है।