शनिवार, 7 अगस्त 2021

राष्ट्रीय ओबीसी दिवस: जाति जनगणना की मांग को लेकर पिछड़े आज करेंगे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

जनगणना-2021 में वर्गवार जातियों को गिनने की उठ रही मांग। विभिन्न बैनरों के तहत उत्तर प्रदेश और बिहार में आज होगा प्रदर्शन

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ/पटना। उत्तर प्रदेश और बिहार के कई सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक पार्टियों ने 7 अगस्त को राष्ट्रीय ओबीसी दिवस (नेशनल ओबीसी दिवस) के रूप में मनाने निर्णय लिया है। साथ ही वे आज जनगणना-2021 में वर्गवार सभी जातियों की गणना कराने के लिए देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी आज राज्य स्तर पर जाति जनगणना कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने आज सात सूत्रीय मांगों को लेकर सूबे के सभी जिलों में राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपने का ऐलान किया है जिसमें मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने और जाति जनगणना कराने की मांग प्रमुख है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भी जाति-जनगणना कराने के निर्णय पर केंद्र की भाजपा सरकार का साथ देने की घोषणा की है।

सामाजिक संगठनों ने ओबीसी पहचान और बहुजन एकजुटता को बुलंद करने की दिशा में बढ़ने के साथ ओबीसी-एससी-एसटी समाज और सामाजिक न्याय पसंद नागरिकों से सड़क पर आकर जनगणना-2021 में जातिवार जनगणना कराने की मांग पर हुंकार भरने का आह्वान किया है। यह जानकारी सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव और रामानंद पासवान ने शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में दिया। 

रिहाई मंच के राजीव यादव और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम ने बताया कि जातिवार जनगणना कराने के साथ एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने व निजी क्षेत्र, न्यायपालिका, मीडिया सहित सभी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने की मांगों को लेकर बिहार-यूपी के कई केन्द्रों पर प्रतिरोध मार्च, विरोध प्रदर्शन व सभाएं आयोजित होगी.सोशल मीडिया के जरिए भी आवाज बुलंद होगी।

कम्युनिस्ट फ्रंट (बनारस) के मनीष शर्मा और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के अंजनी ने बताया है कि 7 अगस्त 1990 खासतौर से ओबीसी समाज के लिए भारी महत्व का दिन है। इसी दिन आजादी के बाद लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद ओबीसी के लिए सामाजिक न्याय की गारंटी की दिशा में पहला ठोस पहल हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की केन्द्र सरकार ने 7 अगस्त को मंडल आयोग की कई अनुशंसाओं में एक अनुशंसा-सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की घोषणा की थी। देश की 52 प्रतिशत आबादी के लिए सामाजिक न्याय की दिशा में इस फैसले का राष्ट्रीय महत्व है क्योंकि ओबीसी के हिस्से का सामाजिक न्याय राष्ट्र निर्माण की महत्वपूर्ण कुंजी है।

जाति जनगणना संघर्ष मोर्चा (पटना) के विजय कुमार चौधरी और सूरज कुमार यादव ने कहा है कि 7 अगस्त 1990 को केन्द्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा ने ब्राह्मणवादी शक्तियों में बेचैनी पैदा कर दी तो दूसरी तरफ, ओबीसी पहचान और बहुजन समाज की एकजुटता को आवेग प्रदान किया था। हिंदुत्व की शक्तियां ओबीसी पहचान के टूटने और बहुजन एकजुटता के बिखरने के कारण मजबूत हुई हैं।

बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के सोनम राव और बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के अमन रंजन यादव ने कहा है कि ओबीसी की जाति जनगणना नहीं कराना इस समुदाय के सम्मान व पहचान पर हमला है। ओबीसी संवैधानिक कैटेगरी है और इस कैटेगरी को ऐतिहासिक वंचना से बाहर निकालने के लिए सामाजिक न्याय की बात संविधान में है। लेकिन, उस कैटेगरी के सामाजिक-शैक्षणिक व आर्थिक जीवन से जुड़े अद्यतन आंकड़ों को जुटाने के लिए जाति जनगणना से इंकार करना सामाजिक न्याय और ओबीसी के संवैधानिक अधिकारों के प्रति घृणा की अभिव्यक्ति है।

बिहार के चर्चित बहुजन बुद्धिजीवी डॉ.विलक्षण रविदास ने ब्राह्मणवादी शक्तियों के खिलाफ जाति जनगणना सहित अन्य सवालों पर 7 अगस्त को ओबीसी के साथ-साथ संपूर्ण बहुजन समाज से सड़कों पर उतरकर एकजुटता व दावेदारी को आगे बढ़ाने की अपील की है।

राष्ट्रीय ओबीसी दिवस को जातिवार जनगणना सहित अन्य सवालों पर सड़क से सोशल मीडिया तक आवाज बुलंद करने वाले संगठनों के अन्य प्रतिनिधियों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं में प्रमुख रूप से शामिल हैं- पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के डा. अनूप श्रमिक, पूर्वांचल किसान यूनियन के योगीराज पटेल, बनारस के अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव, पटना के युवा सामाजिक कार्यकर्ता रंजन यादव, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के अनुपम आशीष, रिहाई मंच के बलवंत यादव, मुंगेर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मणि कुमार अकेला सहित अन्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for comment