रॉबर्ट्सगंज तहसील में प्रदर्शन करते आदिवासी |
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
सोनभद्र। प्रदेश में आदिवासियों की आबादी के अनुपात में त्रिस्तरीय पंचायतों
में आरक्षण मुहैया कराये जाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। आल इण्डिया
पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर जिला पंचायत,
खंड विकास पंचायत और ग्राम पंचायत स्तर पर आदिवासियों के
लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की है।
उक्त जानकारी देते हुए आइपीएफ के प्रदेश संगठन प्रभारी दिनकर कपूर ने
कहा कि वर्ष 2003 में प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल गोड़,
खरवार, पनिका, चेरो, माझी, अगरिया जैसी 17 जातियों को केन्द्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे
दिया था। इसके कारण यह जातियां अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने
से वंचित हो गईं क्योंकि उसके बाद अनुसूचित जनजाति की आबादी में त्रिस्तरीय
पंचायतों में सीटों का आरक्षण नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि करीब पन्द्रह लाख की यह आबादी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही
बाहर हो गयी है। सोनभद्र जैसे जनपदों में जहां इन जातियों की बहुलता है,
वहां तो कई ग्राम पंचायतों का पद ही रिक्त रह गया। इनके
आरक्षण के सम्बंध में तमाम संगठनों ने माननीय उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय
में याचिकाएं दाखिल की थी। उनपर न्यायालयों ने इन जातियों के लिए सीटें आरक्षित
करने का आदेश दिया है।
इन आदेशों के अनुपालन में विधानसभा की दुद्धी और ओबरा दो
विधानसभा क्षेत्रों को इन जातियों के लिए आरक्षित किया गया है। परन्तु अभी तक
पंचायतों में इन जातियों के लिए सीटें आरक्षित नहीं हुई है। मुख्यमंत्री से अनुरोध
किया गया कि इस समय प्रदेश में प्रमुख सचिव (पंचायत राज) के आदेश पर पंचायतों के
परिसीमन का कार्य चल रहा है। ऐसी स्थिति में आदिवासी समुदायों की लोकतांत्रिक
प्रक्रिया में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख सचिव (पंचायत राज) को आदेश
दें कि वह इनके लिए पंचायतों में आरक्षण सुनिश्चित करें।