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'चकवड़-फकवड़ क साग खोट के खात बानी जा...कहीं जंगल में बा
पत्ती-पत्ता...बरवट-मरवट बोलला ऊ...उ लियायके,
ओके चुरय-पकय
के खाईला जा...का करल जाई'। यह कहना है उत्तर प्रदेश के पैंसठ साल की गुलाबी का। वह मुसहर समुदाय से आती हैं
और चंदौली के नरकटी गांव की निवासी हैं।