काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शोभना नेरलीकर दूसरे दिन अपनी सात सूत्री मांगों के साथ धरने पर बैठीं। विश्वविद्यालय प्रशासन पर जाति आधार पर भेदभाव करने का लगाया आरोप। विश्वविद्यालय प्रशासन ने की अनदेखी। वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में जाति आधार पर दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के उत्पीड़न और उनके अधिकारों के हनन का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग में कार्यरत दलित एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शोभना नेरलीकर मंगलवार को भी केंद्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार के सामने सात सूत्री मांगों के साथ धरने पर बैठीं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई भी प्रसासनिक अधिकारी उनसे मिलने नहीं पहुंचा। उन्होंने देर शाम विश्वविद्यालय प्रशासन पर जाति आधार पर दलित महिला के उत्पीड़न की आवाज की अनदेखी का आरोप लगाते हुए बुधवार को विरोध मार्च निकालने की घोषणा कीं। उनके मुताबिक, इस विरोध मार्च को छात्रों के संगठन बहुजन छात्र संघ बीएचयू, ऑल इंडिया स्टुडेंट्स एसोसिएशन, एससी/एटी/ओबीसी/मॉइनॉरिटी संघर्ष समिति बीएचयू, भारतीय जनजागरण समिति वाराणसी, एसएआरसी महिला संगठन वाराणसी और भारतीय जनजागरण समिति वाराणसी का समर्थन मिला है।