काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) प्रशासन के अधीन विद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों, संकायों और विभागों के विभिन्न पाठ्यक्रमों के प्रवेश शुल्क में 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की आशंका। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर सबसे ज्यादा मार।
reported by शिव दास / SHIV DAS
वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गढ़ के रूप में चर्चित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने विद्यालयों और शोध पाठ्यक्रमों के आवेदन शुल्कों में क्रमशः 50 और 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी है। नर्सरी और एलकेजी के आवेदन शुल्कों में यह बढ़ोत्तरी 78 फीसदी से भी ज्यादा है। आशंका है कि विश्वविद्यालय प्रशासन विभिन्न पाठ्यक्रमों के प्रवेश शुल्कों में भी करीब 60 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर सकता है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने दो दिनों पहले शिक्षा सत्र- 2021-22 के दौरान सेंट्रल हिन्दू ब्वायज स्कूल और सेंट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल की कक्षाओं (6, 9 और 11) में प्रवेश के लिए आयोजित होनी वाली विद्यालयी प्रवेश परीक्षा (SET) का विज्ञापन जारी किया है। इसकी अधिकारिक वेबासाइट पर उपलब्ध बुलेटिन के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्यालयी प्रवेश परीक्षा के शुल्क में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी है।
इंफॉर्मेशन बुलेटिन के पेज-9 पर आवेदन शुल्क का विवरण दिया गया है जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों को SET में बैठने के लिए अब 300 रुपये देने होंगे। यह पिछले साल के शुल्क की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा है। शिक्षा सत्र-2020-21 में यह आवेदन शुल्क 200 रुपये था। इतना ही नहीं, अगर अनूसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र ने अपने वर्ग के आधार पर आवेदन शुल्क में रियायत यानी छूट ली तो वह चाहे कितना भी अंक लाएं, उन्हें अनारक्षित वर्ग या सामान्य वर्ग में प्रवेश नहीं मिलेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें उसके वर्ग में ही प्रवेश देगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आवेदन शुल्क में फिलहाल कोई रियायत नहीं दी है। उसे सामान्य वर्ग के बराबर ही शुल्क चुकाने होंगे। अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के छात्रों को शिक्षा सत्र-2021-22 में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आयोजित SET प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए 600 रुपये चुकाने होंगे जो पिछले साल के आवेदन शुल्क से 50 फीसदी ज्यादा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षा सत्र-2020-21 में इसके लिए छात्रों से 400 रुपये वसूले थे।
इतना ही नहीं, कमच्छा स्थित सेंट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल में एलकेजी, श्री रणवीर संस्कृत विद्यालय में कक्षा-1 और आरजीएससी स्थित सेंट्रल हिन्दू स्कूल में नर्सरी में प्रवेश के आवेदन शुल्कों में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई है। इन कक्षाओं में आवेदन के लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग को अब 125 रुपये चुकाने होंगे जो पिछले साल की तुलना में 78.57 फीसदी ज्यादा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले साल इसके लिए इन वर्गों से प्रति आवेदन 70 रुपये वसूला था।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए इन कक्षाओं के आवेदन शुल्क में भी कोई रियायत नहीं दी है। उन्हें सामान्य, दिव्यांग और विश्वविद्यालय के कर्मचारी वार्ड की तरह ही 250 रुपये चुकाने होंगे जो पिछले साल के आवेदन शुल्क की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षा सत्र-2020-21 के दौरान इन वर्गों से आवेदन शुल्क के रूप में प्रति आवेदन 200 रुपये वसूले थे। फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षा सत्र-2021-22 के लिए आज से बढ़े हुए शुल्क पर ऑनलाइन आवेदन लेना शुरू कर दिया है।
वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने पीएचडी और एमफिल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली शोध प्रवेश परीक्षा (RET/RET Exempted) के आवेदन शुल्कों में 33 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले छात्र इस शुल्क का भुगतान कर आवेदन भी कर चुके हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने करीब एक महीने पहले सिंतबर-2020 सत्र के दौरान पीएचडी और एमफिल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए शोध प्रवेश परीक्षा (RET/RET Exempted) के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था। एक फरवरी से 22 फरवरी तक इसके लिए आवेदन मांगा था।
विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद RET बुलेटिन-2020-21 में उल्लेखित आवेदन शुल्क पर गौर करें तो विश्वविद्यालय प्रशास ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांग वर्ग के छात्रों से शोध प्रवेश परीक्षा (RET) के लिए इस बार 400 रुपये वसूले हैं जो पिछले साल की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा हैं। विश्वविद्यालय प्रशासने ने RET-2019 (सिंतबर और मार्च) में इन वर्गों के छात्रों से प्रति आवेदन 300 रुपये लिए थे। इतना ही नहीं, रियासती दर पर आवेदन करने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन अनारक्षित/सामान्य वर्ग में किसी भी हालत में प्रवेश नहीं देगा, चाहे वह प्रवेश परीक्षा में चाहे कितना भी ज्यादा अंक हासिल करें। हालांकि यह नियम दिव्यांगों पर लागू नहीं है।
विश्वविद्यालय प्रशासन अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को आवेदन शुल्क में कोई रियायत नहीं दी है। उन्हें अन्य वर्गों की तरह ही 800 रुपये चुकाने पड़े जो पिछले साल के आवेदन शुल्क से 33 फीसदी ज्यादा है। RET-2019 (सिंतबर और मार्च) में अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के छात्रों को इसके लिए 600 रुपये चुकाने पड़े थे।
विश्वविद्यालय प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों की बातों पर भरोसा करें तो प्रशासनिक अमला विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों के प्रवेश शुल्क में भी 40 से 60 फीसदी की बढ़ोत्तरी पर काम कर रहा है जिसके लागू होने की संभावना ज्यादा है। इसकी शुरूआत आवेदन शुल्कों में बढ़ोत्तरी के सात हो चुका है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अधीन विद्यालयों और शोध पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाओं के आवेदन शुल्क में बढ़ोत्तरी को लेकर छात्रों में गुस्सा बढ़ने लगा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधार्थी और छात्र नेता भुवाल यादव ने विश्वविद्यालय प्रशासन के इस रवैये को आपदा में अवसर करार दिया है। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 वायरस से उपजी महामारी की वजह से लोगों को धंधा चौपट हो गया है। लोग रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आवेदन शुल्क में बढ़ोत्तरी गरीबों और वंचित समुदाय के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से रोकना है। यह महामना के आदर्शों के भी खिलाफ है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।" उन्होंने बताया कि छात्र आज दोपहर 12 बजे कुलपति को आवेदन शुल्कों में हुई बढ़ोत्तरी को वापस लेने और शोध छात्रों से वसूले गए आवेदन शुल्क को वापस करने का ज्ञापन देंगे। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन बढ़े हुए आवेदन शुल्क को वापस नहीं लेता है तो वे लोग मजबूरन आंदोलन करने को मजबूर होंगे जिसकी पूरी जिम्मदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
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