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परिचर्चा को संबोधित करते प्रो. जीएस मौर्य |
बुद्धिजीवियों और सामाजिक
कार्यकर्ताओं ने देश में जाति के आधार पर एससी, एसटी, ओबीसी
और अल्पसंख्यों के उत्पीड़न के लिए आरएसएस और भाजपा को बताया जिम्मेदार। विपक्ष की
वर्तमान राजनीति के लिए जताई चिंता।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सूबे में सरगर्मी तेज हो गई है।
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सत्ता विरोधी लहर को शांत करने के लिए अपने
सहयोगियों समेत छोटे-छोटे दलों को साधने में जुटी है तो उसकी नीतियों से नाराज
बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता लोगों को गोलबंद करने में जुट गए हैं। इसे लेकर
लोगों के बीच मंथन भी हो रहा है। ऐसा ही मंथन रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अखरी चौराहा इलाके स्थित एक
निजी भवन में हुआ जिसमें वाराणसी में सक्रिय बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता
शामिल हुए। एससी,
एसटी,
ओबीसी और अल्पसंख्यक बौद्धिक मंच और प्रजापति शोषित समाज
संघर्ष समिति (पीएस4)
की ओर से आयोजित 'जातिगत उत्पीड़न और विपक्ष की राजनीति'
विषयक परिचर्चा में वक्ताओँ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
(आरएसएस) और भाजपा की हिन्दुत्व संस्कृति,
वर्णव्यवस्था और नीतियों पर जमकर हमला बोला। साथ ही
उन्होंने भाजपा सरकार की मनुवादी नीतियों के लिए विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के
नेताओं को जिम्मेदार ठहराया।