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उत्तर
प्रदेश में पहली बार आदिवासियों के लिए आरक्षित दुद्धी और ओबरा विधानसभा सीटों का
निर्वाचन हो सकता है रद्द। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा 'संसदीय
और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन आदेश-2008’ में किया गया संशोधन
संवैधानिक रूप से मान्य नहीं!
reported by शिव दास
लखनऊ।
लोकसभा चुनाव-2014 के बाद केंद्र की सत्ता में आई भाजपा के सियासी दांव में यूपी के आदिवासी एक
बार फिर फंस सकते हैं। सूबे में जारी विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति वर्ग के
लिए आरक्षित विधानसभा सीटों पर ताल ठोंक रहे आदिवासियों की जीत कर भी हार जाने की
संभावना है। उत्तर प्रदेश में पहली बार आदिवासियों के लिए आरक्षित दुद्धी और ओबरा
विधानसभा सीटों का चुनाव भविष्य में कभी भी रद्द हो सकता है क्योंकि केंद्रीय
चुनाव आयोग द्वारा 'संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन आदेश-2008’ में
किया गया संशोधन संवैधानिक रूप से मान्य नहीं है! हालांकि यह 'संसदीय
और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन आदेश-2008' और 'संसदीय
और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति
प्रतिनिधित्व का पुनःसमायोजन (तीसरा) विधेयक-2013’ के आलोक में उच्चतम
न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगा।