चंदौली जिले के बबुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत अकोढ़वा गांव निवासी किशोरी डॉली मौर्या की संदिग्ध परिस्थितियों में सोनभद्र में हुई थी मौत।
राजीव कुमार मौर्य
चंदौली। बबुरी थाना क्षेत्र के अकोढ़वा गांव से संदिग्ध परिस्थितियों में एक किशोरी के गायब होने और सोनभद्र मुख्यालय स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में उसकी मौत होने का मामला सामने आया है। वहीं, चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएस) ने जहर से किशोरी की मौत होने की आशंका जाहिर करते हुए बिना पोस्टमार्टम के डिस्चार्ज पेपर पर ही उसका डेथ सर्टिफिकेट जारी किया है जो संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। इसे लेकर पुलिस प्रशासन और जिला संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन सवालों के घेरे में है।
किशोरी के गांव और आस-पास के इलाकों में हो रही चर्चाओं की मानें तो अपहरण कर दुष्कर्म के बाद जहर देकर उसकी हत्या कर दी गई है। हालांकि चंदौली पुलिस को दर्ज कराए गए बयान में परिजनों ने अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले से साफ इंकार किया है।
चकिया क्षेत्राधिकारी प्रीति त्रिपाठी के अनुसार, किशोरी के पिता कमलेश मौर्या ने बयान दर्ज कराया है कि उनकी बेटी डॉली मौर्या शनिवार को घर से नाराज होकर बाहर चली गई थी। रास्ते में उसने विषाक्त पदार्थ खा लिया था। वाराणसी-सोनभद्र मार्ग पर जाते समय मधुपुर में उसको उल्टियां होने लगी थीं। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना 112 नम्बर पर पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पीआरवी वैन के पुलिसकर्मियों ने 108 नम्बर पर फोन कर एम्बुलेंस बुलाया और उसे सोनभद्र मुख्यालय स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय भेजवाया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
संवाददाता को बताया गया कि डॉली मौर्या शनिवार की सुबह बैंक जाने की बात कहकर घर से साइकिल से निकली थी। वह अपने घर से करीब 70 किलोमीटर दूर मधुपुर कैसे पहुंची और उसने ज़हर क्यों खाया? वह सोनभद्र क्यों जा रही थी? अगर वह सोनभद्र जा रही थी, उसने ज़हर क्यों खाया? यह एक रहस्य है। सोनभद्र मुख्यालय स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय के सीएमएस द्वारा बिना पोस्टमार्टम डिस्चार्ज पेपर पर डेथ सर्टिफिकेट जारी किया जाना भी संदिग्ध है जबकि उसमें चिकित्सक ने जहर खाने की आशंका जताई है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्व में जारी मृत्यु प्रमाण-पत्र से तुलना करें तो इस मामले में जारी मृत्यु प्रमाण-पत्र नियमानुसार जारी नहीं किया गया है। इससे जिला संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सकों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है।
संवाददाता ने डॉली मौर्या के पिता कमलेश मौर्या के बयान की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
इस संदर्भ में जब संवाददाता ने मधुपुर क्षेत्र के सुकृत रिपोर्टिंग पुलिस चौकी प्रभारी राजेश कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की घटना को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने फोन पर बताया कि हम लोग अपनी पूरी टीम के साथ सोनभद्र क्षेत्राधिकारी के साथ कॉम्बिंग में कई दिनों से लगे हुए है। हमें या हमारी पुलिस चौकी के अंतर्गत किसी भी क्षेत्र में ऐसी कोई सूचना नही मिली है और न ही कोई मामला चौकी के किसी कर्मचारी को मालूम है ।
वही, दैनिक जागरण अखबार के मधुपुर संवाददाता ने रपट दिया है कि युवती रविवार को चकिया स्थित अपने गांव से चलकर 60 किलोमीटर की दूरी तय करके मधुपुर में उल्टियां करती हुई मिली थी जिसे स्थानीय लोगों की मदद से पहले मधुपुर पीएचसी, फिर जिला संंयुक्त चिकित्सालय सोनभद्र ले जाया गया। उसने रॉबर्ट्सगंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक अविनाश चन्द्र सिन्हा के हवाले से यह भी खबर दिया है कि सोनभद्र जिला चिकित्सालय द्वारा युवती को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया।इस संबंध में जब इस संवाददाता ने प्रभारी निरीक्षक अविनाश चंद्र सिन्हा से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं है। अब किसी पत्रकार ने अलग से कुछ छाप दिया हो तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं ?
हालांकि इसी क्रम में अखबार ने एक कालम और लिखा है कि युवती को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया और युवती के हाथ पर लिखे मोबाइल नम्बर से परिजनों को सूचना दे दिया गया। सूचना मिलते ही परिजन वाराणसी के लिए रवाना हो गये।
अब सवाल यह बनता है कि अखबार के अनुसार युवती ने अकेले लगभग 70 किलोमीटर की दूरी साइकिल से कैसे तय किया? यदि जिला संयुक्त चिकित्सालय सोनभद्र ने युवती को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया तो फिर मृत्यु प्रमाण पत्र जिला संयुक्त चिकित्सालय सोनभद्र ने कैसे जारी कर दिया ?
क्षेत्राधिकारी चकिया प्रीति त्रिपाठी का कहना है कि वह घटना के सभी बिन्दुओं की खुद जांच कर रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि घटना सोनभद्र में घटी थी और सुकृत पुलिस चौकी का एक कांस्टेबल जिला अस्पताल से मृतक किशोरी का शव रिसीव भी किया है। चूंकि घटना सोनभद्र में घटी है तो सोनभद्र पुलिस की यह जिम्मेदारी थी कि वह शव को बिना पोस्टमार्टम के किसी को न सौंपे। हालांकि परिजन यह कह रहे थे कि हम पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते थे। इसी आधार पर शव परिजनों को सुपुर्द किया गया होगा।
इस पूरे घटनाक्रम में एक सवाल महत्वपूर्ण है कि जब किशोरी द्वारा विषाक्त पदार्थ खाने की आशंका थी तो जिला संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन ने स्थानीय पुलिस थाने को इसकी सूचना क्यों नहीं दी? मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बिना पोस्टमार्टम किशोरी के शव को परिजनों को क्यों सौंपा? क्या उनके ऊपर भी कोई दबाव था?
सहमे हैं मृतक किशोरी के परिजन
संवाददाता ने जब मृतक किशोरी के परिजनों को फोन किया तो उसकी बहन ने फोन रिसीव किया और रो पड़ी। वह बोलती रही कि जो भी सच था, हमने उसे स्थानीय पुलिस अधिकारियों को बता दिया है। लोग तरह -तरह की बातें कर रहे हैं। इससे हमारा पूरा परिवार परेशान हो गया है। मीडिया और नेताओं के सवालों के जवाब देते-देते हम थक गए हैं। सभी हमारी बातों पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। हम लोग सदमे से उबर भी नहीं पाए हैं। हमें लोगों के इतने सवालों के जवाब देने पड़ रहे हैं। मैं, मेरी माँ, मेरे पिता और एकलौता भाई है घर में हैं।यदि भाई या परिवार के किसी भी सदस्य को कुछ हो गया तो हम कहाँ न्याय मांगने जाएंगे ? इसलिए मेरा निवेदन है कि हमें परेशान न किया जाए। हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। जो भी बातें थीं, हमने पुलिस अधिकारियों को सबकुछ सच-सच बता दिया है ।
किससे डर है परिवार को ?
जिस तरह से किशोरी की बहन रो-रो कर बात कर रही थी, उसमें एक बात को बार -बार दोहरा रही थी कि यदि हमारे पापा को या भाई के साथ कोई हादसा हो गया तो कौन हमारा सहारा बनेगा? इससे तो इस बात की पुष्टि हो रही है कि पीड़ित परिवार भय में है और उनके ऊपर किसी का दबाव है। इस वजह से परिजन डरे और सहमे हुए हैं।
उच्चस्तरीय जांच की मांग :
समाजवादी पार्टी महिला सभा की जिलाध्यक्ष गार्गी सिंह पटेल ने कहा कि इस पूरे घटना की उच्चस्तरीय जाँच हो। इसमें पूर्णतया संदेह ही नहीं, यकीन भी है कि मामले को दबाने में सत्ताधारी कई मजबूत नेताओं का भी हाथ है। मेरी जिला प्रशासन से अपील है कि पीड़ित पक्ष की जान-माल की सुरक्षा के लिए प्रबन्ध करे।
चकिया सिविल कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वशिष्ठ सिंह मौर्य ने भी एक बयान जारी करते हुए कहा कि घटना पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और मामले का पर्दाफाश हो। जिस प्रकार घटना संदिग्ध दिख रही है, बिना उच्चस्तरीय जांच के इसके तह में नही जाया जा सकता। क्षेत्र के सभी मौर्य समाज के लोग पीड़ित परिवार के साथ है ,बतौर अधिवक्ता मुझसे जो भी मदद बनेगी हम पीड़ित पक्ष के साथ खड़े रहेंगे ।
लोक एकता पार्टी के प्रमुख जगन्नाथ कुशवाहा ने भी कहा कि वह बेटी पूरे समाज की बेटी है ,इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करके पर्दाफाश किया जाना चाहिए ।
जन अधिकार पार्टी के प्रदेश सचिव कन्हैया कुशवाहा ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात किया और ढांढस बढाया। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार का हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया ।
It is a critical case so high level inquiry is necessary there so that reaches to the final guilty.
जवाब देंहटाएं