सोनभद्र के जिलाधिकारी ने आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज वर्मा का अनुसूचित जनजाति वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र किया निरस्त। चंदौली की चकिया तहसील के गरला गांव निवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग की कहार जाति के डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने सोनभद के रॉबर्ट्सगंज तहसील क्षेत्र के वैनी से अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST) की खरवार जाति का बनवाया था प्रमाण-पत्र। अनूसूचित जनजाति वर्ग के फर्जी प्रमाण-पत्र पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पिछले छह साल से नौकरी कर रहा है आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर।
reported by SHIV DAS
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के समाज शास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा के खिलाफ छल-कपट, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हथियाने के आरोपों में प्रथम सूचना रपट (FIR) दर्ज हुई है। लंका थाना पुलिस ने गत सोमवार को बीएचयू के शोधार्थी अनंत नारायण मिश्रा की तहरीर पर यह एफआईआर दर्ज की है।
'वनांचल एक्सप्रेस' के पास प्राथमिकी की प्रति मौजूद है। प्राथमिकी के मुताबिक चंदौली के सकलडीहा थाना क्षेत्र के चतुर्भुजपुर निवासी अनंत नारायण मिश्रा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाज शास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर अनुसूचित जनजाति (खरवार) का कूट रचित फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर एसटी (जनजाति) कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति लेने का आरोप लगाया है। आरोपों के मुताबिक, डॉ.मनोज कुमार वर्मा चंदौली जिले की चकिया तहसील के गरला गांव के निवासी हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग की कहार जाति से आते हैं। उन्होंने सोनभद्र जिले की रॉबर्ट्सगंज तहसील क्षेत्र के तहत आने वाले वैनी गांव के पते से अनुसूचित जनजाति वर्ग की खरवार जाति का प्रमाण-पत्र बनवाया था। इसी के आधार पर वह 23 फरवरी 2016 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) में पाने पर सफल हुए।
बीएचयू के समाज कार्य विभाग में शोधार्थी अनंत नारायण मिश्रा ने अपनी तहरीर में लिखा है कि सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज तहसील के तहसीलदार ने डॉ. मनोज कुमार वर्मा के जाति प्रमाण-पत्र की जांच की तो उनका जाति प्रमाण-पत्र कूटरचित साक्ष्य के आधार पर बने होने की पुष्टि हुई। इसी के आधार पर तहसीलदार ने डॉ. मनोज कुमार वर्मा का अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण-पत्र निरस्त किए जाने की संस्तुति की और जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला स्क्रूटनी कमेटी ने गत 6 अप्रैल को उनका जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया।
'वनांचल एक्सप्रेस' के पास सोनभद्र के जिलाधिकारी का वह आदेश मौजूद है जिसमें उन्होंने डॉ. मनोज कुमार वर्मा का अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया है। जिलाधिकारी के आदेश में लिखा है कि सोनभद्र में रॉबर्ट्सगंज तहसील के विजयगढ़ परगना के तहत आने वाले वैनी गांव निवासी कन्हैया प्रसाद के पुत्र मनोज कुमार वर्मा का अनुसूचित जनजाति (खरवार) का प्रमाण-पत्र 16 जून 2009 को जारी किया गया था जिसका क्रमांक-70209509276 है। रॉबर्ट्सगंज के तहसीलदार ने पिछले साल 11 फरवरी को अपनी जांच आख्या में कूट रचित साक्ष्यों के आधार पर जारी इस प्रमाण-पत्र को निरस्त किए जाने की संस्तुति की थी।
![]() |
सोनभद्र के जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश-1 |
इस मामले में जिला स्क्रूटनी समेटी ने पिछले साल तीन बैठकें की जिसमें शिकायतकर्ता अनंत नारायण मिश्रा और मनोज कुमार वर्मा, दोनों मौजूद रहे। साक्ष्यों के अभिलेखों के आधार पर आरोपी मनोज कुमार वर्मा मूल रूप से चंदौली जिले के चकिया तहसील के गरला गांव का निवासी है और अन्य पिछड़ा वर्ग की कहार जाति के अंतर्गत आता है। मनोज कुमार वर्मा ने जो भी साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, वे अनुचित लाभ लेने के उद्देश्य से तैयार कराए गए हैं। यह स्थापित सिद्धांत है कि किसी भी व्यक्ति की जाति उसके पिता की जाति से निर्धारित होती है। व्यक्ति की जाति अपरिवर्तनीय है। मनोज कुमार वर्मा के पिता और नाना की जाति कहार है तो उनकी भी जाति कहार (पिछड़ी जाति) ही है। इसलिए मनोज कुमार वर्मा के पक्ष में अनुसूचित जनजाति (खरवार) का प्रमाण-पत्र निरस्त किया जाता है।
![]() |
सोनभद्र के जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश-2 |
जिलाधिकारी ने आवश्यक कार्रवाई के लिए उक्त आदेश की प्रति वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी भेजी थी लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी। अनंत नारायण मिश्रा की शिकायत पर लंका थाना पुलिस ने गत 2 मई को मनोज कुमार वर्मा और उनके भाई अरविंद कुमार वर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-419 (प्रतिरूपण द्वारा छल), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (छल के प्रायोजन से कूटरचना) और 471 (फर्जी अभिलेख का उपयोग करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की। हालांकि पुलिस ने मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की है और ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ कोई कार्रवाई की है।
अनंत नारायण मिश्रा ने अपनी तहरीर में मनोज कुमार वर्मा पर कूटरचित प्रमाण-पत्र के आधार पर छात्रवृत्ति और नौकरी से करीब 75 लाख रुपये के सरकारी धन के गबन का आरोप भी लगाया है। साथ ही उसने उनके बड़े भाई अरविंद कुमार वर्मा पर भी इतिहास विभाग से पीएचडी और पीडीएफ के दौरान सरकार के लाखों रुपये के गबन का आरोप लगाया है।
![]() |
उ.प्र. अनु. जाति एवं अनु.जनजाति आयोग के अध्यक्ष की प्रेस विज्ञप्ति |
इस मामले में उत्तर प्रदेश के राज्य अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने करीब तीन साल पहले वाराणसी के अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर मामले की जांच करने और एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट से आयोग को भी अवगत कराने का निर्देश दिया था।
![]() |
डॉ. मनोज कुमार वर्मा द्वारा अनंत नारायण मिश्रा पर दर्ज FIR की प्रति |
बता दें कि शिकायतकर्ता अनंत नारायण मिश्रा वही शख्य है जिस पर आज से करीब तीन साल पहले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने साथियों के साथ मारने-पीटने और जूतों की माला पहनाकर उन्हें सामाजिक विज्ञान संकाय के परिसर में घुमाने का आरोप लगाया था। इसे लेकर डॉ. वर्मा ने 28 जनवरी 2019 को लंका थाने में समाज शास्त्र के तत्कालीन विभागाध्यक्ष और वर्तमान संकायाध्यक्ष प्रो. अरविंद कुमार जोशी और अनंत नारायण मिश्रा समेत करीब 15 अज्ञात छात्रों के खिलाफ भा.द.सं. की धारा-147, 323, 120बी और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम की धारा-3(1)(द) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
![]() |
FIR में नामजद अनंत नारायण मिश्रा एवं प्रो. अरविंद कुमार जोशी |
अनुसूचित जनजाति वर्ग का फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के मामले में आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने 'वनांचल एक्सप्रेस' से बातचीत में कहा कि सोनभद्र के जिलाधिकारी ने एकतरफा अन्यायपूर्ण आदेश दिया है। उनके द्वारा पेश दस्तावेजों पर विचार ही नहीं किया गया। सोनभद्र के जिला समाज कल्याण अधिकारी ने गत 5 अप्रैल को स्वीकार किया कि उन्होंने रॉबर्ट्सगंज के तहसीलदार के पास उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सत्यापन के लिए भेजा है। वे दस्तावेज अभी सत्यापित होकर वापस नहीं आए हैं। अगले दिन ही इस मामले में जिला स्क्रूटनी कमेटी ने बैठक कर एकतरफा शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर निर्णय ले लिया। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि शिकायतकर्ता अनंत नारायण मिश्रा और अन्य के खिलाफ न्यायालय द्वारा गैर-जमानती वारंट की कार्रवाई की जा चुकी है। आरोपी उच्च न्यायालय के आदेश के तहत अगली तारीख तक अंतरिम जमानत पर हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि मिश्रा ने अपने बचाव में प्रतिशोध की भावना से ग्रसित होकर एफ आई आर दर्ज कराया है। निरस्त प्रमाणपत्र के विरुद्ध न्यायिक दरवाजे खुले हैं। मिर्जापुर के कंहार स्वयं को खरवार आदिवासी कहते हैं।
जवाब देंहटाएंUtter Pradesh me Kahar name ki koi Safe cast nahi hai (Dhadhan.dhimar.dhuru.godiya.kashayap.mehar.singhaniya.Tawar
जवाब देंहटाएंDhadhan dhimar.dhiwar.godiya.kashayap.
जवाब देंहटाएंKo hi Kahar kaha jata hai..aur Sarkar inko Kahar ka jati praman patra jari karati hai...
जवाब देंहटाएं