सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

BHU को खोलने की मांग को लेकर धरने पर बैठे छात्र, विश्वविद्यालय प्रशासन से वार्ता रहा बेनतीजा

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) आज से अंतिम वर्ष के छात्रों और शोधार्थियों के लिए कर रहा ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) को पूर्ण रूप से खोलने की मांग को लेकर छात्र-छात्राएं आज सुबह नौ बजे लंका स्थित सिंह द्वार पर बड़ी संख्या में धरने पर बैठ गए और उनका धरना देर शाम तक जारी रहा। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शाम को डीन ऑफ स्टूडेंट प्रो. एमके सिंह धरना स्थल पर दो बार छात्रों को मनाने पहुंचे लेकिन उनसे उनकी वार्ता बेनतीजा रही।छात्रों ने साफ कर दिया कि वे पूर्ण रूप से विश्वविद्यालय को खुल जाने के बाद ही धरना खत्म करेंगे। वहीं, छात्रों ने आरोप लगाया कि त्रिवेणी छात्रावास में छात्राओं को कैद कर रखा गया है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसी किसी भी घटना से इंकार किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने देर शाम विज्ञप्ति जारी कर भारत सरकार के निर्देशानुसार विश्वविद्यालयय को खोलने की बात कही और छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण बनाने की अपील की। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज से विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत अंतिम वर्ष के छात्रों और शोधार्थियों की ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया है।

छात्रों का साफ कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन तानाशाही रवैया अपना रहा है। उसने विश्वविद्यालय परिसर स्थित मंदिर बहुत दिनों से खोल रखा है लेकिन छात्रों की कक्षाओं का संचालन नहीं कर रहा है। कोरोना महामारी की आड़ में विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है। इससे छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन आज से विभिन्न पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष छात्रों और शोधार्थियों की कक्षाओं का ऑफलाइन संचालन शुरू जरूर किया है लेकिन शेष छात्रों को इस सुविधा से वंचित कर रहा है जो छात्रों के संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन है। 

छात्रों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय में पंजीकृत सभी छात्र-छात्राओं की कक्षाओं का ऑफलाइन संचालन किया जाए। साथ ही विश्वविद्यालय को पूर्ण रूप से खोला जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो वे धरने पर बैठे रहेंगे। खबर लिखे जाने तक सिंह द्वार पर छात्रों का धरना जारी था।


धरनारत छात्र-छात्राओं ने शाम को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि देश के सभी विश्वविद्यालय लगभग एक साल से बंद हैं । पूरे देश में चुनाव हो रहा है। सरकारें बन रही हैं, गिराई भी जा रही हैं। सरकार को विश्वविद्यालय खुलवाने से ज्यादा दारू के ठेके खुलवाने पर ध्यान दे रही है। भारत के सभी राज्य विश्वविद्यालय खुल चुके हैं लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय अभी भी बंद हैं । उनका कहना है कि महामना की 2300 एकड़ की जगह पांच इंच का मोबाइल डिस्प्ले नहीं ले सकता है। ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर छात्रों को गुमराह किया जा रहा है। 


प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये नया भारत है। ये उसका  नया सिस्टम है,जहां अब पढ़ाई करने के लिए भी धरना देना पड़ रहा है । बीएचयू प्रशासन के निर्देशानुसार तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए कॉलेज खोलने की बात कही गई है लेकिन न उनका टाइम टेबल जारी हुआ है और न ही प्रशासन की तरफ से कोई सूचना आई है। विश्वविद्यालय में सभी दुकानें, सभागार और कार्यालय खुल चुके हैं। सिर्फ कक्षाओं को खोलना बाकी रह गया है। सभी छात्रों की मांग है कि विश्वविद्यालय को पूरी तरह से पहले की तरह खोला जाए। छात्रों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर कालेज नहीं खोला गया तो यह आंदोलन लगातार चलता रहेगा।


वहीं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जन संपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने सोमवार की देर शाम दो पृष्ठों की विज्ञप्ति जारी कर भारत सरकार के निर्देशानुसार चरणबद्ध तरीके से विश्वविद्यालय को खोले जाने की बात कही। विज्ञप्ति में विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र-छात्राओं से शैक्षणिक वातावरण को बनाए रखने और दूर-दराज से आने वाले मरीजों के हितों को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय प्रशासन का सहयोग करने की अपील की है। 


  

2 टिप्‍पणियां:

  1. सभी कार्य सम्पादित हो रहें हैं तो विश्वविद्यालय क्यों बंद हैं। छात्रों की मांग जायज।

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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