वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। स्थानीय छावनी इलाका स्थित संत मैरी कान्वेंट स्कूल ने 2017 में जन्म लेने वाले पांच वर्ष के बच्चों का एलकेजी में प्रवेश लेने से इंकार कर दिया है। हालांकि विद्यालय ने प्रवेश सूचना की अपनी नोटिस में ऐसा कोई प्रावधान या शर्त प्रकाशित नहीं किया था। एलकेजी में प्रवेश के लिए निर्धारित परीक्षा दिलाने गए अभिभावकों ने विद्यालय प्रबंधन पर गुमराह कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।
विद्यालय में अपने बच्चे की एलकेजी की प्रवेश परीक्षा दिलाने पहुंचे उमेश कुमार ने बताया कि उनके बच्चे का जन्म अगस्त 2017 में हुआ था। आज जब मैं अपने बच्चे का टेस्ट दिलाने विद्यालय आया तो वहां मौजूद शिक्षिका ने मौखिक रूप से कहा कि वे लोग 2017 में जन्म लेने वाले बच्चों का प्रवेश एलकेजी में नहीं ले रहे हैं। यूकेजी में उनके बच्चे का एडमिशन होगा। हमारे यहां यूकेजी में सीटें खाली नहीं हैं। वे दूसरे विद्यालय में अपने बच्चे का एडमिशन करा लें।
यह सुनकर उमेश कुमार के होश ही उड़ गए। उन्होंने बताया कि विद्यालय द्वारा जारी प्रवेश सूचना में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है। उसमें केवल इतना लिखा है कि जुलाई 2022 को एलकेजी में प्रवेश लेने वाले छात्र की उम्र न्यूनतम चार साल होनी चाहिए। अधिकतम उम्र की कोई सीमा या शर्त का उल्लेख नहीं किया गया है। प्रवेश फॉर्म जमा करने के दौरान भी विद्यालय प्रशासन ने ऐसी कोई बात नहीं बताई। अधिकतर विद्यालयों के प्रवेश फॉर्म जमा हो चुके हैं। ऐसे में हम अपने बच्चे का प्रवेश कहां कराएंगे?
कुछ ऐसा ही कहना था संगीता का। वह भी अपने बेटे की प्रवेश परीक्षा दिलाने गई थीं। उनके बेटे का जन्म जून 2017 में हुआ था। वह भी जुलाई 2022 में पांच साल का हो रहा है। उन्होंने भी बताया कि उन्हें भी कहा गया कि वह अन्य विद्यालय में अपने बच्चे के प्रवेश के लिए कोशिश करें। विद्यालय में दर्जनों अभिभावक ऐसे ही परेशान थे जिनके बच्चे विद्यालय प्रबंधन की गलती का खामियाजा भुगतने की कगार पर खड़े हैं।
इस संबंध में जब उमेश कुमार ने प्रशासनिक अधिकारियों से बात की तो वे अपनी गलती सुधारने के लिए तैयार नहीं दिखे। वे साफ कहते नजर आए कि लोग अपने बच्चे का प्रवेश अन्य विद्यालयों में करावें। फिलहाल विद्यालय प्रबंधन ने प्रवेश परीक्षा देने पहुंचे सभी बच्चों का लिखित एवं मौखिक टेस्ट लिया है।
मेरे बच्चे के साथ भी यही हुआ था। प्राइवेट स्कूलों ने अपना संविधान बना रखा है। मन करता है तो एडमिशन ले लेते है नहीं तो अविभावक गिड़गिड़ाता रहे। इनके ऊपर कोई फर्क नही पडता। मुख्यतः ये उन्हीं को प्रवेश देना चाहते हैं जिनको फीस देने में कोई परेशानी न हो। फीस चाहे आसमान छूने लगे। मुख्यतः ये गवर्नमेंट जाॅब वाले या बड़े बिजनेस वालों को प्रमुखता देते हैं। शिक्षा को पूर्णतः बिजनेस बना रखा है, प्राइवेट संस्थाओं के मालिको ने।
जवाब देंहटाएंमिस्शनरी स्कूल वाले सब ऐसे ही है
जवाब देंहटाएंइस तरह तो जो बच्चों ने जन्म नहीं लिया है उनका रजिस्ट्रेशन इस तरह के स्कूलों में माता पिता को करा देना चाहिए। पता नहीं क्यों शिक्षा के बाजारीकरण ने शिक्षा के मूल को हर क्षेत्र में खत्म कर दिया है। देश के शिक्षा मंत्री को इस तरह के मामलों पर कड़ा कदम उठाना चाहिए। औऱ इस तरह के स्कूलों जो बाज़ार में दुकानों की तरह के है उनकी मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए।
जवाब देंहटाएं