10 हजार रुपये के मुचलके पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दी जमानत।
वनांचल न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू
छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को सशर्त जमानत दे ही है। न्यायालय ने 10 हजार रुपये के मुचलके पर उसे यह जमानत दी है। साथ ही
न्यायालय ने कन्हैया पर शर्त लगाया है कि वह जांच में सहयोग करेगा और जेएनयू के
शिक्षक उसकी जमानत देंगे।
इससे पहले कल न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने जेएनयू कैंपस के भीतर बीते नौ फरवरी
को हुए कार्यक्रम में भारत विरोधी नारेबाजी के आरोपों का सामना कर रहे कन्हैया की
जमानत याचिका पर तीन घंटे तक सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई
के दौरान कन्हैया के वकील ने कहा कि छात्र नेता ने देश के खिलाफ कभी नारेबाजी नहीं
की,
जबकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि सबूत हैं कि उन्होंने और अन्य
ने भारत विरोधी नारेबाजी की और वे अफजल गुरू के पोस्टर थामे हुए थे।
पुलिस ने दावा किया था कि कन्हैया जांच में सहयोग नहीं कर रहे और खुफिया
ब्यूरो और दिल्ली पुलिस की संयुक्त पूछताछ में 'विरोधाभासी' बयान आए। न्यायिक हिरासत में मौजूद कन्हैया ने वरिष्ठ वकील
कपिल सिब्बल के जरिए कहा कि परिसर के अंदर नकाबपोश लोगों ने भारत विरोधी नारे
लगाए। अदालत ने पूछा कि क्या नारेबाजी की जगह कार्यक्रम से पहले और बाद की कोई
समकालीन रिकार्डिंग है और भारत विरोधी नारेबाजी में उनकी 'सक्रिय भूमिका' को लेकर उनके खिलाफ सबूत दिखाने को कहा। कन्हैया ने भी
मामले में गिरफ्तार किए गए दो अन्य आरोपी उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य से अपने
को अलग कर लिया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कन्हैया को जमानत
देने को अनुरोध किया। कन्हैया अभी न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में है। आईपीसी
की धारा 124
ए (देशद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज मामले में उन्हें 12
फरवरी को गिरफ्तार किया गया।
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