वाराणसी में शोधार्थियों ने किया विरोध
प्रदर्शन।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
(यूजीसी) ने पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप की पात्रता में एससी, एसटी और ओबीसी को मिल
रही रियायत खत्म कर दी है। इन वर्गों के अभ्यर्थियों को भी अब सामान्य वर्ग के
बराबर अंक हासिल (60 प्रतिशत) करने पर ही इस फेलोशिप का लाभ मिलेगा। आयोग ने पात्र
अभ्यर्थियों से आगामी 16 जनवरी – 14 फरवरी के बीच आयोजित बैठक में दावा प्रस्तुत
करने का निर्देश जारी किया है। वहीं यूजीसी के इस फैसले के खिलाफ आरक्षित वर्ग के
शोधार्थियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। साथ ही वे मामले में याचिका दायर
करने की तैयारी कर रहे हैं।
आयोग के सचिव प्रो. जयपाल सिंह संधु ने
गत 23 दिसंबर को जारी पब्लिक नोटिस में कहा है कि वित्तीय वर्ष-2017-18 में एससी/एसटी/महिलाओं
को मिलने वाले पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप और विभिन्न भाषाओं समेत मानवीय एवं सामाजिक
विज्ञान के अभ्यर्थियों को मिलने वाले डॉ. एस राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप के
लिए पात्र शोधार्थियों का चयन आगामी 16 जनवरी-16 फरवरी के बीच होना है। इच्छुक
अभ्यर्थी निर्धारित प्रक्रिया के तहत यूजीसी की होने वाली बैठक में दावा प्रस्तुत
कर सकते हैं। यूजीसी सचिव ने डॉ. एस राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप के लिए
सामान्य, एससी, एसटी और ओबीसी के लिए स्नातक और परास्नातक स्तर पर न्यूनतम कट ऑफ
60 प्रतिशत निर्धारित किया है। इससे पूर्व इस फेलोशिप के लिए सामान्य वर्ग के लिए स्नातक स्तर पर न्यूनतम कट ऑफ 55 प्रतिशत और परास्नातक स्तर
पर 60 प्रतिशत निर्धारित था। जबकि आरक्षित वर्ग (एससी/एसटी/ओबीसी/पीडब्ल्यूडी) के
लिए स्नातक स्तर पर न्यूनतम कट ऑफ 50 प्रतिशत और परास्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत था।
शारीरिक रूप से विकलांग शोधार्थियों के लिए इस बार भी न्यूनतम कट ऑफ पहले की तरह
ही निर्धारित है लेकिन एससी/एसटी/ओबीसी के लिए इस पात्रता में बदलाव करते हुए
सामान्य वर्ग के बराबर कर दिया गया है। इसी तरह महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के लिए
संचालित पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप योजना की पात्रता यूजीसी ने न्यूनतम कट ऑफ डॉ. एस
राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप योजना के तहत कर दी है।
दूसरी ओर यूजीसी के उपरोक्त निर्णयों को
लेकर शोधार्थियों ने विरोध शुरू कर दिया है। पिछले दिनों ‘फाइट
फॉर फेलोशिप’ के बैनर तले शोधार्थियों ने वाराणसी में विरोध
प्रदर्शन किया और वे अपना हक पाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का
मन बना रहे हैं। इस संदर्भ में अभियान के कार्यकर्ता और शोधार्थी प्रभात महान से
बात की गई तो उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा के आरक्षण विरोधी
नेताओं और मंत्रियों की सह पर यूजीसी ने वंचित वर्ग को मिलने वाली रियायत खत्म की
है ताकि इस वर्ग के लोग सामाजिक नीतियों के निर्धारण में भागीदारी न निभा सकें। इसके
खिलाफ हम पूरे देश में अभियान चलाएंगे। साथ ही हम न्यायालय के माध्यम से अपना हक
पाने की कोशिश करेंगे।
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