भारत की पहली महिला
शिक्षिका की 186वीं जयंती के मौके पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने आरएसएस पर
किया हमला। महाराष्ट्र के किसान नेता अविनाश काकड़े ने कहा, आरएसएस मतलब सारस्वत
ब्राह्मणों के गढ़ की शाखा तो वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. चौथी राम यादव ने आरएसएस को
बताया भारत का सबसे आतंकवादी गिरोह। डॉ. भीम राव राजनैतिक चिंतक चौधरी राजेंद्र ने
अंबेडकर की विचारधारा को बताया कार्ल मार्क्स और आरएसएस की विचारधारा से आगे तो
समाजवादी विचारक अफलातून देसाई ने सावित्री बाई फूले की जयंती को शिक्षक दिवस के
रूप में मनाये जाने की मुखर की आवाज़। अंबेडकर के विचारों की पृष्ठभूमि में
बहुजनों ने आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा और एकलव्य को भी किया नमन।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
वाराणसी। भारत की पहली
महिला शिक्षिका की 186वीं जयंती के मौके पर मंगलवार को ‘फाइट फॉर फेलोशिप’ के बैनर तले सावित्री बाई फूले,
आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा और एकलव्य की संयुक्त रूप से जयंती मनाई गई। लंका
स्थित स्वयंवर वाटिका के लॉन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ‘वर्तमान शिक्षा नीति और विद्यार्थियों की दशा एवं दिशा’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें वक्ताओं ने ब्राह्मणवाद और
उसके संरक्षक संगठन आरएसएस पर जमकर हमला बोला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
और महाराष्ट्र के किसान नेता अविनाश काकड़े ने कहा कि आरएसएस मतलब सारस्वत
ब्राह्मणों के गढ़ की शाखा है जो समाज को दो भागों में बांटने का कार्य करता है। आरएसएस
के हिन्दुत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि जो कट्टर है, वह हिन्दू नहीं और जो हिन्दू
है, वह कट्टर नहीं हो सकता है। गुजरात में किसानों की दुर्दशा का विवरण देते हुए
उन्होंने कहा कि वहां किसानों के करीब साढ़े पांच हजार युवाओं पर केस दर्ज हैं
जिनमें सवा दो हजार को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। पिछले दस साल में देश में
सवा तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन किसानों की चिंता किसी को नहीं है।
विकास के नाम पर लोगों को छला जा रहा है। लोगों का विकास का गलत पैमाना बताया जा
रहा है। असली विकास तो वह है जो समाज के अंतिम व्यक्ति की क्रय शक्ति बढ़ा दे।
यहां तो उसकी क्रय शक्ति ही कम हो रही है।
देश के हालात पर चिंता
जाहिर करते हुए राजनैतिक चिंतक और बीएचयू के पूर्व छात्र नेता चौधरी राजेंद्र ने
कहा कि आज देश गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है। बाजार और उसके पोषकों ने युवाओं और
छात्रों में गैप (खाई) पैदा कर दिया है। अभी वे अंबेडकर की विचारों को समझ नहीं पा
रहे हैं। जिस दिन वे इसे समझ लेंगे, उस दिन उन्हें नई ऊर्जा मिलेगी और यही भारतीय
लोकतंत्र का रास्ता तय करेंगे क्योंकि अंबेडकर की विचारधारा कार्ल मार्क्स और
आरएसएस की विचारधारा से बहुत आगे है। उन्होंने काशी विश्वविद्यालय की जगह काशी
हिन्दू विश्वविद्यालय का नाम लिए जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने
विश्वविद्यालय में भारतीय संविधान के तहत प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था को लागू नहीं
किये जाने पर सरकार और प्रोफेसरों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि आज भी
बीएचयू में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के छात्रों और शिक्षकों की भारी कमी है
जो विश्वविद्यालय के कुलपतियों के सामंती और ब्राह्मणवादी चेहरे को बेनकाब करता
है।
समाजवादी विचारक अफलातून
देसाई ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सावित्री बाई फूले के संघर्ष को देखते हुए
उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। डॉ. सर्वपल्ली
राधाकृष्णन का योगदान सावित्री बाई फूले के योगदान के आगे बहुत छोटा है। उन्होंने कल्याणकारी
राज्य की अवधारणा को पूंजीवाद के ‘सेफ्टी वॉल्व’ के रूप
में परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी के बाद वेल्फेयर स्टेट की अवधारणा
पूंजीवाद का ‘सेफ्टी वॉल्व’ है।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय
उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. चौथी राम यादव ने कहा कि देश को मदारी
प्रधानमंत्री पहली बार मिला है। ये जुमले फेंकता है। विदेश में डॉ. भीम राव अंबेडर
एवं महात्मा गांधी का नाम लेकर वाहवाही बटोरता है और देश में उनके अनुआइयों का दमन
करता है। उसने खूब सपने बेचे और हमने खरीदा। वास्तव में उसकी अगुआई वाली केंद्र
सरकार वैज्ञानिक शिक्षा की घोर विरोधी है।
संगोष्ठी में महात्मा
गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व प्रोफेसर महेश विक्रम, काशी हिन्दू विश्व विद्यालय
की पूर्व प्रोफेसर डॉ. स्वाती, डॉ. अमरनाथ पासवान, किसान नेता राम जनम यादव, रामायन
पटेल, धनन्जय त्रिपाठी, नरेश राम, अमरेन्दर यादव, रितेश, इश्तिकार, सुनील कश्यप, विजेंद्र मीणा, राहुल राजभर, गंगा राम आदि ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में राजीव कुमार मौर्य, अभिषेक कुमार, युद्धेश
बेमिशाल समेत सैकड़ों छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में युद्धेश
बेमिशाल और उनके साथियों ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन
प्रभात महान और धन्यवाद ज्ञापन नरेश राम ने किया।
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