भगत सिंह-अंबेडकर विचार
मंच की ओर से आयोजित परिचर्चा में शिक्षा, रोजगार, बाजार, जीएसटी और नोटबंदी जैसे
मुद्दों पर हुई चर्चा।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
वाराणसी। “मध्य प्रदेश के मंदसौर में जो हुआ। महाराष्ट्र समेत देश के कोने-कोने में
जो किसानों के साथ हो रहा है। वह बहुत ही चिंतनीय है। किसानों की हत्या को लोग
आत्महत्या कह रहे हैं। यह शब्दावली बदलनी होगी। ये किसानों की आत्महत्या नहीं है।
ये नीतिगत हत्या है।“
उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का जिक्र
करते हुए कहा कि वंचित तबकों को शिक्षा के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। साथ ही
उन्हें उनके द्वारा लिखी पुस्तक “शुद्रों का पतन” पढ़ने की जरूरत है। वक्तव्य के दौरान उन्होंने देश की आजादी के 70 सालों
के दौरान सत्तासीन राजनीतिक पार्टियों की नीतियों और उनके विकास के एजेंडे को
आंकड़ों के माध्यम से लोगों के दौरान रखा। उन्होंने शिक्षा, रोजगार, बाजार,
नोटबंदी और जीएसटी जैसे बिन्दुओं पर विस्तार से अपनी बात रखी। इस दौरान लोगों ने
उनसे कई सवाल किये और उन्होंने उसी अनुसार लोगों की जिज्ञासाओं को शांत करने की
कोशिश की।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता और बीएचयू के पूर्व
छात्र-नेता सुनील यादव ने किया जबकि अध्यक्षता एसपी राय ने की। कार्यक्रम में
प्रमुख रूप से बीएचयू के पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.
शोभना नर्लिकर, किसान नेता राम जनम, रवि शेखर, एकता, जागृति राही, राजीव मौर्य,
सुनील कश्यप, भगत सिंह मोर्चा के विनोद शंकर समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
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