वाराणसी। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में गत एक जनवरी को शौर्य दिवस मनाने जा रहे अंबेडकरवादियों पर हुये हमले के विरोध में बहुजन छात्रों ने आज लंका स्थित सिंह द्वार से प्रधानमंत्री कार्यालय तक स्वाभिमान मार्च निकाला। साथ ही उन्होंने प्रशासन और सरकार को चेतावनी दी कि अगर हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा।
वाराणसी ३ जनवरी . दिनांक ०१ जनवरी २०१८ को भीमा कोरेगाव का २००वां ‘शौर्य दिवस’ के अवसर पर महाराष्ट्र के पुणे में बहुजन समाज इकठ्ठा हुआ था. इस दिन देश के सभी प्रान्तों से ५ लाख लोग जातिवाद ,अश्पृश्यता एवं शोषण का प्रतिकार करने के लिए आये थे .कार्यक्रम के होने की पूर्व सूचना महाराष्ट्र प्रशासन को थी .इस दिन शांतिपूर्ण ढंग से आ रहे समूहों पर नियोजित ढंग से जातिवादी ,मनुवादी एवं सामंतवादी मानसिकता के असामाजिक तत्वों ने कातिलाना हमला किया और साथ ही उनके वाहन को जला दिया .कोरेगावं में शौर्यस्तम्भ के आसपास की दुकानों , घरों एवं रिहायशी इलाकों को आग के हवाले कर दिया गया . इस हिंसक वारदात को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार के तरफ से आवश्यक प्रबंध नहीं था जो राज्य के तरफ से नागरिकों के शांतिपूर्ण ढंग से किये जाने वाले सम्मलेन को सुरक्षा प्रदान करने के उसके संवैधानिक कर्तव्य का घोर उल्लंघन दर्शाता है. इस घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी तथा सैकड़ों लोगों को गंभीर चोटें आयीं जिनमें कई की हालात गंभीर बताई जा रही है .सरकार के तरफ से फांसीवादी ताकतों को अराजकता फ़ैलाने के लिए मिली खुली छुट से देश में राज्य के नागरिकों का समानता ,स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकार खतरे में पड़ गया है . इस घटना के मद्देनजर आज महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया गया है जिसका हम सब भी समर्थन करते हैं . हम सभी बहुजन समाज के लोग निम्न आधार पर उक्त आन्दोलन का समर्थन कर रहे हैं - १. यह शौर्य दिवस भारत में जातिवाद ,अश्पृश्यता एवं ब्राह्मणवाद पर आधारित पेशवाई राज्य के समूल रूप से विध्वंश होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जिसमें ५०० महार सैनिकों ने २८००० पेशवाई सैनिकों को धुल चटा दिया था . विदित हो कि पेशवाई वंश ने सैकड़ों वर्षों तक देश की
एक तिहाई आबादी को बुनियादी अधिकारों से वंचित करते हुए उनके स्वाभिमान को कुचल रखा था .
२. भीमा कोरेगावं का इतिहास सम्पूर्ण बहुजन समाज के स्वाभिमान के जीवंत गौरव का सूचक है . इस दिन वंचित समाज अपने महापुरुषों के शौर्य को याद करते हैं न कि अंग्रेजों के विजय पर हर्षोल्लास मानते हैं.
३.एक जनवरी को घटित घटना ने संवैधानिक मूल्यों एवं मौलिक अधिकारों की खुली धज्जियां उड़ा दी हैं जो इस देश में रोहित वेमुला ,उना –काण्ड, सहारनपुर सरीखी घटना को अनवरत बनाये रखने का माहौल बना दी है .इससे देश की एकता- अखण्डता एवं सामाजिक समानता खतरे में पड़ गया है जिसका हम सभी विरोध करते है .
भीमा कोरेगाव में घटित उपरोक्त घटना से सरकार की घोर लापरवाही उजागर होती है जिसके लचर व्यवस्था से जातिवादी संगठनों को उत्पात मचाने की खुली छुट मिल गयी . हम सभी उक्त घटना के संवंध में निम्न मांगे रख रहे हैं-
१. ब्राह्मणवादी संगठनों के द्वारा बहुजनों के ऊपर जातिवादी हमला करने, हत्या किये जाने, समूह में भगदड़ मचाने, पेट्रोल बम जैसे घातक हथियारों का इस्तेमाल करने का संगीन अपराध दर्ज करके तत्काल गिरफ्तार किया जाय .
२. घटना की सीबीआई जाँच कराई जाय.
३ .महाराष्ट्र सरकार इस पूरे घटना पर बहुजन समाज से तत्काल मांफी मांगे .
यदि हम लोगों के सभी के मांगों को तत्काल पूरा नहीं किया गया तो संवैधानिक मूल्य एवं बहुजन समाज के स्वाभिमान की रक्षा के लिए भारत बंद के नारों के साथ संसद से सड़क तक प्रतिरोध प्रदर्शन के लिए प्रतिबद्ध होंगे।
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