जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
(जेएनयू) के प्रो. राकेश भटनागर विश्वविद्यालय परिसर में आरक्षण विरोधी संगठन ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ के संस्थापक सदस्यों में थे शामिल।
भटनागर ने वर्ष 2007 में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग
को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का किया था विरोध।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू
विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर राकेश भटनागर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
(बीएचयू) के नये कुलपति नियुक्त किये गए हैं। शुक्रवार को देर रात बीएचयू प्रशासन ने
ई-मेल जारी कर इस बात की पुष्टी कर दी है। बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर राकेश भटनागर
नैनीताल स्थित कुमाऊ विश्वविद्यालय के कुलपति समेत जेएनयू विश्वविद्यालय में
विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रह चुके हैं। साथ ही वे विश्वविद्यालय के छात्रों के
बीच मुखर आरक्षण विरोधी के रूप में जाने जाते हैं।
विश्वविद्यालय के छात्रों के
आरोपों की मानें तो भटनागर ने वर्ष 2007 में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में
अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय की जमकर मुखालफत की।
उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में आरक्षण विरोधी संगठन ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई थी। वे इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। इतना ही नहीं, जेएनयू में 9
फरवरी 2016 को घटित और कथित देश विरोधी गतिविधियों की जांच समिति के प्रमुख के रूप
में भटनागर ने शोधार्थी कन्हैया कुमार समेत आठ छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दी थी
जिसके आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन सभी को छात्रावास से बेदखल कर दिया था।
इन छात्रों में तत्कालीन छात्र संघ के महासचिव रामा नागा, अनिर्बन भट्टाचार्य,
आशुतोष कुमार, अनंत प्रकाश, ऐश्वर्या अधिकारी, श्वेता राज और उमर खालिद का नाम
शामिल था।
अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ की अधिकारिक वेबसाइट पर 23 फरवरी 2016 (18
अक्टूबर 2016) को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों ने प्रो. राकेश भटनागर
पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हवाले
से वेबसाइट ने लिखा कि प्रो. भटनागर अतीत में आरक्षण विरोधी विचारों के लिए बहुत
ही मुखर थे। वह विश्वविद्यालय परिसर में आरक्षण विरोधी संगठन ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ के संस्थापक सदस्य भी थे जिसे
2007 में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को 27
प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय के बाद परिसर में गठित किया गया था। जेएनयू छात्र
संघ के पूर्व अध्यक्ष संदीप कुमार ने द हिन्दू के संवाददाता से कहा था कि वर्ष-2007
में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र प्रो. भटनागर के आरक्षण विरोधी विचारों से
बहुत अच्छी तरह से वाकिफ थे। वह परिसर में ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ के संस्थापक थे और आरक्षण विरोधी धड़े को पूरी तरह से सहयोग करते थे। उन्होंने
यह भी कहा था कि वर्ष 2007 में जब ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ से जुड़े छात्र चुनाव लड़ रहे थे और ऐसा दिखाया जा रहा था कि वे चुनाव
जीत रहे थे तो प्रो. भटनागर ‘मेरिट को जगह दो’ जैसे नारे लगाने शुरू कर दिये थे। वह आरक्षण के विरोधी में मुखर थे और ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ के गठन के लिए सभी जरूरतों का प्रबंध करते थे।
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