विश्वविद्यालयों और
महाविद्यालयों की नियुक्तियों में कार्मिक मंत्रालय के 200 प्वाइंट रोस्टर को लागू
करने और गत 5 मार्च को जारी यूजीसी की अधिसूचना को निरस्त करने की उठी मांग। सामाजिक
अन्याय प्रतिकार मोर्चा के बैनर तले आरक्षण समर्थक छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निकाली आरक्षण बचाओ पदयात्रा।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। विश्वविद्यालयों
और महाविद्यालयों की नियुक्तियों में भागीदारी के सवाल को लेकर आरक्षण समर्थकों ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
(यूजीसी) समेत केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उच्च शिक्षण संस्थानों
में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को ईकाई मानकर कार्मिक मंत्रालय के 200 प्वाइंट
रोस्टर के तहत शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग को लेकर आरक्षण समर्थकों ने आज
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र मेंं हल्ला बोला और अपनी आवाज बुलंद की। सामाजिक
अन्याय प्रतिकार मोर्चा के बैनर तले करीब पांच सौ आरक्षण समर्थकों ने वाराणसी के नरिया
से प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय तक ‘आरक्षण बचाओ पदयात्रा’
निकाला और भारतीय संविधान में उल्लेखित प्रतिनिधित्व के अधिकार की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने
पदयात्रा के दौरान सात सूत्री मांगों का मुद्दा उठाया जिनमें विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग यानी यूजीसी के हालिया आदेश को निरस्त कर वर्ष 2006 में जारी अधिसूचना को
लागू करने के साथ विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को ईकाई मानकर आरक्षण लागू
किये जाने की मांग प्रमुख रूप से की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों और
गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं के संयोजन से बने सामाजिक अन्याय प्रतिकार
मोर्चा के बैनर तले निकली इस पदयात्रा में निम्नलिखित सात मांगों के मुद्दे को
प्रमुखता से उठाया गया-
1-
पिछड़े वर्ग की आरक्षण व्यवस्था को 1993 के संविधान संशोधन
के बाद बनी कार्मिक मंत्रालय के 200 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से विश्वविद्यालय या
महाविद्यालय को एक यूनिट मानकर लागू किया जाए और उस रोस्टर को कोई प्रभावित न कर
पाए। इससे बचने के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन नियामक के रूप में किया जाए।
विश्वविद्यालय के रोस्टर में विभाग और संकाय को अल्फाबेट से क्रमित किया जाए। इससे
कोई व्यक्ति रोस्टर में अपनी मनमानी न कर पाए।
2-
विश्वविद्यालयों में सीधी भर्तियों के पदों पर एसोसिएट और
प्रोफेसर के पद के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण पूर्व नियम के अनुसार तत्काल फिर
से व्यवहार में लाया जाए क्योंकि सीधी भर्ती वाली सीट पदोन्नति की सीट नहीं होती
है।
3-
आरक्षण के पदों पर नियुक्त कर्मचारियों और अधिकारियों की
पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधान को पुनः बहाल किया जाए जिससे आरक्षित समुदायों के
कर्मचारियों और अधिकारियों को अन्याय से मुक्ति मिल सके।
4-
जिस प्रकार देश के सभी विभाग भारत सरकार के कार्मिक
मंत्रालय की आरक्षण नियमावली को मानते हैं, उसी स्वरूप को विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग यानी यूजीसी को भी उस मंत्रालय के अधीन लाया जाए तथा वहीं रोस्टर विश्वविद्यालय
में लगाकर शैक्षणिक पदों पर नियुक्तियां की जाएं।
5-
देश के सभी विश्वविद्यालयों में एक ही विज्ञापन को कई बार विज्ञापित
कर आधी नियुक्तियां करके फिर उसमें से बचे पदों को दूसरी बार नए रोस्टर में लाकर
आरक्षित सीटों को प्रभावित करने का कार्य जोर-शोर से चल रहा है जिसको तत्काल
प्रभाव से रोका जाए।
6-
वर्तमान समय में देश के तमाम अयोग्य और जातिवादी कुलपतियों
के कार्यों को संज्ञान में लेकर देश के विश्वविद्यालयों के कुलपति पदों के लिए
आरक्षण की व्यवस्था लागू किया जाए। अन्यथा ये अयोग्य लोग देश की शैक्षणिक व्यवस्था
को बर्बाद कर देंगे।
7-
आरक्षण को क्रियान्वित करने के लिए, उसको अधिक प्रभावी और
व्याख्यायित बनाने के लिए रोस्टर को अहस्ताक्षेपित बनाने के लिए एक नियामक आयोग
बनाया जाए जिससे स्वायत्ता के नाम पर मनमानी कर रहे संस्थानों या व्यक्तियों पर
अंकुश लगे और उन सभी को भारतीय दंड संहिता में लाकर दंड के प्रावधानों को लागू कर
पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी एवं प्रभावी बनाया जाए।
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