विश्वविद्यालयों
और महाविद्यालयों की नियुक्तियों में विभागवार आरक्षण के खिलाफ सैकड़ों की संख्या
में छात्रों और शिक्षकों ने निकाला विरोध मार्च, शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता
का भी हुआ विरोध।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। विश्वविद्यालयों
और महाविद्यालयों की नियुक्तियों में विभागवार आरक्षण (प्रतिनिधित्व) दिये जाने के
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के फरमान के खिलाफ एससी, एसटी, ओबीसी संघर्ष
समिति ने बुधवार को लंका स्थित सिंह द्वार से संत रविदास गेट तक विरोध मार्च
निकाला और केंद्र सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की। काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों समेत सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने केंद्र
सरकार द्वारा शिक्षण संस्थाओं को स्वायत्त घोषित करने के साथ रोस्टर व्यवस्था को
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आरक्षण को खत्म करने की साजिश करार दिया।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम
के तहत एससी, एसटी, ओबीसी संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में शिक्षक
और छात्र बुधवार की शाम चार बजे लंका स्थित सिंह द्वार के पास इकट्ठा हुए। इसके
बाद वे मार्च के रूप में रविंद्रपुरी स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर बढ़ने लगे
लेकिन पुलिस प्रशासन ने मार्च को संत रविदास गेट पर रोक लिया। इसके बाद
प्रदर्शनकारी वापस सिंह द्वार पहुंचे। वहां उन्होंने एक नुक्कड़ सभा की।
सभा के दौरान वक्ताओं ने
कहा कि हर साल दो करोड़ रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराने के वादे के साथ भाजपा
सत्ता में आई लेकिन उसकी अगुआई वाली केंद्र सरकार रोजगार पूरा करने में नाकाम
साबित हुई है। इतना ही नहीं, उसने पहले से उपलब्ध रोजगार को कम कर दिया है और जो
भी रोजगार के अवसर बचे हैं, उनमें तरह-तरह की पेंचीदगियां पैदा कर उसे उलझा दिया
है। एसएससी समेत प्रतियोगी परीक्षाओं में घपले हो रहे हैं। बहुजन और वंचित समुदाय के
लिए रोजगार के अवसरों को खत्म किया जा रहा है। न्यायालयों में बैठे अपने चहेते
न्यायाधीशों का सहारा लेकर संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ संवैधानिक निकायों पर
हमला बोला जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि यूजीसी
के नये आदेश के मुताबिक, विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती
विभागवार रोस्टर प्रणाली के जरिए होगी। इसका मतलब यह है कि विश्वविद्यालय या
महाविद्यालय के किसी भी विभाग अथवा विषय में यदि भर्ती के लिए 4 पद होंगे
तब एक पद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलेगा। जब 7 पद होंगे, तब एक पद अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के
उम्मीदवार को और जब 14 पद होंगे तो एक पद अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के उम्मीदवार को मिलेगा। जमीनी
हकीकत यह है कि शायद ही किसी विभाग में दो या तीन से ज्यादा रिक्तियां निकल रही हैं
। जाहिर है ऐसे में 49.5 % आरक्षण कागज पर ही लागू रहेगा। व्यवहार में 49.5 प्रतिशत की जगह एक या दो
पद ही आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को मिल पाएगा। जैसा कि मध्य प्रदेश के
अमरकंटक स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में विज्ञापित पदों
के मामले में हुआ है। शिक्षकों के विज्ञापित 52 पदों में से केवल एक पद अन्य
पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। शेष 51 पद अनारक्षित वर्ग के विज्ञापित
किये गए हैं। कुल मिलाकर ऐसा खेल खेला जा रहा है कि प्रक्रिया की जटिलता को आम
आदमी समझ भी ना पाए और आरक्षण निष्प्रभावी हो जाए।
वक्ताओं ने कहा कि यह फर्क
जरूर रेखांकित किया जाना चाहिए कि पहले की व्यवस्था में 100 पदों
में 49.5% पर आरक्षित श्रेणी से भरने की बाध्यता ज्यादा थी लेकिन यूजीसी के नये फरमान
के जरिए सरकार ने संवैधानिक बाध्यता से बचने का चोर दरवाजा तलाश लिया है। दिन-ब-दिन
विकराल होती बेरोजगारी की समस्या को हल करने की जरूरत थी। लंबे समय से खाली पड़ी रिक्तियों को भरे जाने की
आवश्यकता थी ताकि रोजगार के अवसरों पैदा हों और समाज के सभी तबकों की अर्थव्यवस्था
में हिस्सेदारी बढ़े लेकिन सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर जारी अपनी नाकामी को छुपाने
के लिए आरक्षण पर हमला बोलने का राजनीतिक रास्ता चुन लिया। जाहिर है सरकार की यह
चाल कामयाब हुई तो रोजगार और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामियों के
बजाय अन्य दूसरे प्रश्न पर चर्चा तेज हो जाएगी।
वक्ताओं ने सरकार की इस
चाल को नाकाम करने के लिए समाज के सभी इंसाफ पसंद लोगों से अपील की है कि वह
यूजीसी के संविधान और सामाजिक न्याय विरोधी फरमान की वापसी के लिए मुखर होकर सामने
आएं ताकि केंद्र सरकार इस गैर-संवैधानिक फरमान को वापस लेने के लिए मजबूर हो।
विरोध मार्च के बाद हुई
नुक्कड़ सभा को संगठन के अध्यक्ष रविंद्र भारतीय, प्रो. एम.पी.ओहिरवार, डॉ. प्रमोद
बांगड़े, डॉ. अमरनाथ पासवान, पूर्व छात्र नेता सुनील यादव, डॉ विकास यादव, कृष्ण
कुमार यादव , अनूप भारद्वाज ,
विजेंद्र मीणा, अजय कुमार, शशि बिन्द, राहुल कुमार भारती, बाल गोविंद सरोज, सुनील कुमार, चंद्रभान,
वरुण कुमार भास्कर,
बच्चे लाल,
मनीष भारती, मदनलाल, भुवाल यादव, रणधीर सिंह,
हरेन्द्र आदि ने संबोधित किया। इनके अलावा अजय कुमार, सत्यपाल, रणवीर
सिंह , राहुल यादव,
अरविंद सेनापति समेत सैकड़ों लोग विरोध मार्च में शामिल
रहे।
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