रविवार, 17 जून 2018

PM के संसदीय क्षेत्र में शिक्षा के निजीकरण का हुआ विरोध, समान शिक्षा प्रणाली के लिए निकली 'समान शिक्षा अधिकार यात्रा'

समान शिक्षा अधिकार मंच के बैनर तले वाराणसी-चंदौली-सोनभद्र-मिर्जापुर-वाराणसी तक मोटरसाइकिलों से समाजसेवी निकाल रहे समान शिक्षा अधिकार यात्रा।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। शिक्षा के निजीकरण से देश में बढ़ती विषमता पर चिंतित 'समान शिक्षा अधिकार मंच' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से मोर्चा खोल दिया है। मंच ने रविवार को स्थानीय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गेट संख्या-एक से तीन दिवसीय 'समान शिक्षा अधिकार यात्रा' निकाली जो चंदौली-सोनभद्र-मिर्जापुर से होते हुए वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सिंह द्वार तक जाएगी। करीब आधा दर्जन मोटरसाइकिलों पर सवार मंच के साथियों ने समान शिक्षा प्रणाली के प्रति लोगों को जागरूक करने और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को लागू कराने में जनमर्थन हासिल करने के लिए इस यात्रा को निकाले जाने का दावा किया।
तीन दिवसीय उक्त यात्रा का आगाज के दौरान आयोजित कार्यक्रम में संयोजक दीन दयाल सिंह ने कहा कि देश में सभी को एक जैसी शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए। चाहे वह राष्ट्रपति की संतान हो या फिर डीएम, किसान, मजदूर की। सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने से ही यह संभव हो सकेगा और अगर सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, जन प्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाएंगे तो सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता में रातों-रात सुधार होगा जिसका फायदा गरीब जनता को भी मिलेगा और उसका बच्चा भी अच्छी शिक्षा पाएगा । 

विजय कुमार ने कहा कि 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को समान शिक्षा मिलनी चाहिए अर्थात कक्षा 1-8 के सभी बच्चों को एक जैसी समान शिक्षा मुफ्त और मातृ भाषा में मिलनी चाहिए। समान शिक्षा अधिकार मंच, उत्तर प्रदेश के महेंद्र ने कहा कि देश के संविधान के अनुच्छेद 51-अ के अनुपालन में देश के प्रत्येक नागरिक / बच्चों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली समान शिक्षा देना, संविधान के अनुच्छेद 21-अ  के अनुपालन में 6-14 वर्ष के बच्चों  का समान शिक्षा प्रणाली काय मौलिक अधिकार है और मौलिक अधिकार सबके लिए समान होता है।
       
युवा सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र ने कहा कि सभी सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जाने चाहिए और सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के सरकारी/ परिषदीय विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करना चाहिए।

समान शिक्षा अधिकार यात्रा की लक्ष्मी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ने के लिए परिषदीय विद्यालयों में शिक्षको की कमी दूर की जानी चाहिए साथ ही यह सुनिश्चित हो कि शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय  और प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो. यात्रा में मुख्य रूप से सुरेश राठौर,अजय पटेल, वल्लभाचार्य, प्रो महेश विक्रम सिंह, डॉ नीता चौबे , विनय शकंर राय ' मुन्ना ' , मुकेश , डॉ इंदु पांडेय ,नंदलाल मास्टर, चिंतामणि सेठजी, सूरज , राजकुमार, दिग्वन्त पांडेय, बृजेश यादव, आनंद यादव, अमित पांडेय, दीन दयाल, धनंजय एवम अन्य लोग रहे।

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