वाराणसी स्थित शास्त्री घाट पर आयोजित नागरिक अधिकार सम्मेलन में मंच पर बैठे (बायें से ) रामजी राय, योगेंद्र यादव, कन्नन गोपीनाथन। |
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सीएए,
एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर आयोजित हुआ 'नागरिक अधिकार सम्मेलन'।
एनआरसी(राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) गरीबों के खिलाफ है, सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) संविधान के खिलाफ है, दोनों को मिला दें तो यह मुसलमानों के खिलाफ हैः कन्नन गोपीनाथन
शासक वर्ग सबसे ज्यादा हिन्दू-मुस्लिम एक से डरता हैः रामजी राय
एनआरसी(राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) गरीबों के खिलाफ है, सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) संविधान के खिलाफ है, दोनों को मिला दें तो यह मुसलमानों के खिलाफ हैः कन्नन गोपीनाथन
शासक वर्ग सबसे ज्यादा हिन्दू-मुस्लिम एक से डरता हैः रामजी राय
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) शुरू होगा टीचर से लेकिन खत्म
होगा डिटेंशन सेंटर से। यह पांच उंगलियों का खेल है। पहली उंगली हिलते ही इसे रोक
लीजिए। मुट्ठी बनाकर इसे मजबूत कीजिए। एनआरसी असम और पश्चिम बंगाल के लिए लाया गया
था लेकिन पूरे देश में इसका विरोध हो गया। देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अब
एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) की बात कर रहे हैं। हमें इसका बॉयकाट करना
होगा। इसका बॉयकाट कीजिए। भाजपा घर में आग लगाकर रोटी सेंकने वाली पार्टी है। असम
और पश्चिम बंगाल में वह यही कोशिश कर रही है।
यह कहना था स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का। वह सोमवार को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित शास्त्री घाट पर
आयोजित 'नागरिक अधिकार सम्मेलन' को सम्बोधित कर रहे थे। स्वराज इंडिया,
भगतसिंह-अंबेडकर विचार मंच, नागरिक प्रयास मंच, इंसाफ मंच, एनएपीएम, एक्टू,बीसीएम(भगत सिंह छात्र मोर्चा),आइसा,ऐपवा, पीएस-4 (प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति),
एआईएसएफ, भाकपा-माले, भाकपा, प्रलेस, आल इंडिया सेकुलर फोरम, किसान संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन, पूर्वांचल किसान यूनियन आदि ने संयुक्त रूप से इस सम्मेलन
का आयोजन किया था।
वाराणसी में आयोजित नागरिक अधिकार सम्मेलन में बोलते स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव। फोटोः शिव दास |
सम्मेलन को संबोधित करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि एनपीआर सर्वेक्षण के
दौरान कुछ लोगों के नाम के आगे 'डी' लिख दिया जाएगा। 'डी' का मतलब डाउट (संदेह)। इसके बाद आप लोगों को चिट्ठी आएगी और
आपको साबित करना होगा कि आप इस के नागरिक हैं। इसके लिए आपको सुबूत चाहिए लेकिन वे
सुबूत क्या होंगे? आधार मान्य नहीं, वोटर आईडी मान्य नहीं, पासपोर्ट मान्य नहीं है। आपका जन्म प्रमाण-पत्र मान्य नहीं
है। मैं पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपनी मां का जन्म प्रमाण-पत्र नहीं ला सकता तो इस देश
की औसत आबादी अपने पूर्वजों का प्रमाण-पत्र कहां से लाएगी?
वाराणसी स्थित शास्त्री घाट पर आयोजित नागरिक अधिकार सम्मेलन में शामिल लोग। फोटोः शिव दास |
पिछले साल 19 दिसम्बर को जेल जाने वाले काशी के लोगों को सलाम करते हुए योगेंद्र यादव ने
कहा कि यह केवल योगी की काशी नहीं है। यह कबीर की काशी है। यह विस्मिल्लाह खान की
काशी है। यहां गंगा-जमुनी तहजीब है। आज यहां यह तहजीब दिख रही है। यहां
प्रधानमंत्री या उनके प्रतिनिधि को होना चाहिए था जो कपड़ों से लोगों की पहचान
करते हैं। बड़े शर्म की बात है कि प्रधानमंत्री को लोगों का कपड़ा तो दिखाई देता
है लेकिन उनको यह तिरंगा क्यों नहीं दिखाई देता है? देश भर के आंदोलन का नेतृत्व अब उत्तर प्रदेश को करना होगा।
सबसे ज्यादा पीड़ित यहां के लोग हैं। सत्ता का दमन सबसे ज्यादा यहां के लोगों ने
झेला है।
नागरिकता संशोधन विधेयक(सीएए) के खिलाफ देश भर में हो रहे आंदोलन का जिक्र
करते हुए उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को ले जाने का काम औरतों ने किया है। इस देश
की आत्मा का काम किसी ने किया है तो वे शाहीन बाग ने किया है जिसका नेतृत्व औरतें
कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने जवाहरलाल विश्वविद्यालय छात्र संगठन की अध्यक्ष
आइशी घोष पर हुए हमले और दिल्ली पुलिस की कार्यशैली का भी जिक्र किया।
उन्होंने आगे कहा कि सीएए कानून ऐसा है कि बोर्ड लगा दीजिए और कहिए कि मुसलमान
हैं तो माफ कीजिएगा। पहली बार आजाद भारत की नागरिकता को धर्म से जोड़ा गया है।
बीजेपी वाले कहते हैं कि धर्म के आधार पर पाकिस्तान बना था जबकि सच यह है कि केवल
एक व्यक्ति था जिसने पाकिस्तान के अलग होने का समर्थन किया था। उसे भाजपा और
आरएसएस वाले वीर कहते हैं। उसका नाम सावरकर था।
जम्मू-कश्मीर में नागरिकों के अधिकारों के हनन के मुद्दे पर नौकरी से इस्तीफा
देकर चर्चा में आये केरल के पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने सम्मेलन को
संबोधित करते हुए कहा कि एनआरसी(राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) गरीबों के खिलाफ है।
सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) संविधान के खिलाफ है। दोनों को मिला दें तो यह
मुसलमानों के खिलाफ है।
उन्होंने सम्मेलन में मौजूद लोगों से सवाल के जरिये सीएए,
एनआरसी और एनपीआर समेत काला धन,
मंदिर आदि मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने लोगों से पूछा,
आप नागरिकता संशोधन कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?
आप एनआरसी का विरोध क्यों कर रहे हैं?
क्या हिन्दुओं के लिए मंदिर बनना चाहिए?
क्या देश में काला धन आना चाहिए?
इन सवालों के उत्तर के माध्यम से कन्नन गोपीनाथन ने लोगों
को भाजपा और आरएसएस समेत सरकार की नीतियों और मुद्दों को लोगों समझाया।
उन्होंने कहा कि हम जो बाहर से आ रहे हैं, उनके खिलाफ नहीं हैं। हम धर्म के आधार पर बने कानून के
खिलाफ हैं। कानून में केवल तीन देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को ही क्यों चुना गया जबकि सबसे
ज्यादा पीड़ित हिन्दू श्रीलंका से यहां आए हैं। लेकिन उन्होंने श्रीलंका को नहीं
चुना क्योंकि वह एक बौद्धिस्ट देश है। उन्होंने इस्लामिक मेजॉरिटी के आधार पर
देशों को शामिल किया है ताकि देश में विभाजन पैदा किया जा सके जो हमें मंजूर नहीं
है।
पूर्व आईएएस अधिकारी गोपीनाथन ने आगे कहा कि नागरिकों को सरकार से सवाल पूछना
चाहिए। वे यही नहीं करने दे रहे हैं। जो सवाल पूछ रहे हैं,
वे उन्हें क्षेत्र के आधार पर शहरी नक्सली,
नक्सली, आतंकवादी, देशद्रोही आदि कह रहे हैं। एनआरसी का जिक्र करते हुए
उन्होंने कहा कि आदिवासी,
मजदूर,
कारीगर, महिलाएं, घुमंतू लोग, गरीब, अशिक्षित लोगों के पास कागज नहीं है। ये कहां से कागज पेश
करेंगे?
जिनके पास पैसा है, वे कागज बनवा लेंगे लेकिन जिनके पास पैसा नहीं है,
वे कागज नहीं पेश कर पाएंगे और इस नागरिकता कानून से बाहर
हो जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि लोग पूछते हैं, आंदोलन करने से क्या होगा? आंदोलन की जीत है कि प्रधानमंत्री संसद में बोलते हैं तो
कहते हैं कि एनआरसी क्या है? अगर दो माह और आंदोलन करेंगे तो प्रधानमंत्री कहेंगे कि
अमित शाह कौन है? संविधान बचाने की जिम्मेदारी केवल मुसलमानों की नहीं है।
इसकी जिम्मेदारी सभी धर्मों और जातियों की है।
वाराणसी के संदर्भ में वारेन हेस्टिंग का उल्लेख करते हुए भाकपा (माले) के
पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय ने शासक वर्ग को सबसे ज्यादा डर हिन्दू-मुस्लिम एकता
से है। इसमें सिख,ईसाई, जैन आदि भी शामिल हैं। इस आंदोलन ने भारत की आत्मा 'आजादी' का नारा विकसित किया है। नौजवानों ने प्रण किया है। भारत के
विकास का विकल्प नौजवानों का विकल्प होगा और बूढ़ी पत्तियां झड़ जाएंगी।
सम्मेलन को हाजी इश्तियाक, भाकपा(माले) नेता मनीष शर्मा, गांधीवादी विचारक प्रो. दीपक मलिक,
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा
गोंड, स्वराज इंडिया के नेता राम जनम ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन भगत सिंह-अंबेडकर विचार मंच के श्रीप्रकाश राय ने किया जबकि
धन्यवाद ज्ञापन भाकपा (माले) के मनीष शर्मा ने किया। इस दौरान संजीव सिंह, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. असीम मुखर्जी, प्रो. प्रशांत शुक्ला, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो. रमन पंत, प्रलेस के संजय श्रीवास्तव, गोरख पांडेय, पीएस-4 प्रमुख छेदी प्रसाद निराला, मानवाधिकार जन निगरानी के लेनिन रघुवंशी, आकांक्षा आजाद, अनुपम कुमार, भाकपा(माले) के सुधाकर यादव, ऐपवा की कुसुम वर्मा समेत एक हजार से ज्यादा लोग सम्मेलन
में मौजूद रहे।
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