बसपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को मीडिया वार्ता के दौरान कहा- प्रवासी मजदूरों के मूल राज्यों में कोरोना फैलने के लिए सरकारें जिम्मेदार हैं...
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को कहा कि बीएसपी का जन्म ही देश के शोषित, पीड़ित, उपेक्षित, दलित , आदिवासी, पिछड़े, अक्लियत और अपरकास्ट समाज के गरीबों एवं मजदूर-किसान-विरोधी कांग्रेस पार्टी की गलत नीतियों के खिलाफ हुआ जो आज बीजेपी के शासनकाल में भी लगातार जारी दिख रहा है। इसलिए बोलना पड़ा है कि प्रवासी श्रमिकों की व्यथा के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही जिम्मेदार हैं। साथ ही उन्होंने बसपा के लोगों को अपने घर लौटे प्रवासी मजदूरों की मदद करने की अपील की। उन्होंने आज अपने ट्विटर हैंडल से लोगों को ईद-उल-फितर की मुबारकबाद एवं शुभकामनाएं दी हैं।
बसपा प्रमुख ने मीडिया वार्ता में यह भी कहा, "अपनी कमियों को छिपाने के लिए घर लौटे प्रवासी मजदूरों पर मिथ्या आरोप लगाया जा रहा है कि वे अपने मूल राज्यों में कोरोना फैला रहे हैं। इसके लिए सीधे तौर पर सरकारें ही असली जिम्मेदार हैं क्योंकि इन प्रवासी मजदूरों को जहां उनके गांवों में दूर 14 दिन के लिए अलग-थलग रखा गया है, वहां की व्यवस्था हर प्रकार से इतनी ज्यादा खराब है कि अच्छा आदमी भी वहां रहकर बीमार पड़ जा रहा है।"
उन्होंने राज्य सरकारों से खास तौर पर अपील की है कि वे प्रवासी श्रमिकों के प्रति अपना गलत और शोषणकारी रवैया बदलें। उनके साथ जानवर जैसा व्यवहार होने से रोकें। साथ ही आगे के लिए उनके गांवों और कस्बों में ही उनकी रोजी-रोटी यानी स्थाई नौकरी की उचित व्यवस्था करें। उनके हितों के खिलाफ श्रमिक कानूनों से कोई छेड़छाड़ ना करें।
उन्होंने आगे कहा कि जब देश के करोड़ों प्रवासी मजदूर कोरोना महामारी लॉक-डाउन से उत्पन्न नई अव्यवस्थित परिस्थिति के कारण गरीबी और बेरोजगारी से बहुत ही दयनीय स्थिति में हैं और अपने मूल राज्य पहुंचकर भी सरकारी उपेक्षाओं के कारण तंग हालत में हैं, तब कांग्रेस-बीजेपी और उनकी सरकारों को उनके खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप की घिनौनी राजनीति बंद करके इन भूखे, लाचार, मजबूर लोगों की हर तरह से मदद को तुरंत आगे आऩा चाहिए। वरना, देश इन पार्टियों को कभी भी माफ करने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में कोरोना लॉक-डाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है। उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गाँव और शहरों में की होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता? वैसे ही वर्तमान में कांग्रेसी नेताओं द्वारा लॉक-डाउन त्रासदी के शिकार कुछ श्रमिकों के दुःख-दर्द बांटने सम्बंधी जो वीडियो दिखाया जा रहा है, वह हमदर्दी वाला कम, नाटक ज्यादा लगता है। कांग्रेस अगर यह बताती कि उसने उनसे मिलते समय कितने लोगों की वास्तविक मदद की है तो यह बेहतर होता।
बसपा प्रमुख ने बीजेपी और उसकी सरकारों को नसीहत देते हुए कहा कि बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर ना चलें। वे इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों और शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी की सरकारें मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी।
मायावती ने बीएसपी के लोगों से भी पुनः अपील है कि जिन प्रवासी मजदूरों को उनके घर लौटने पर उन्हें गाँवों से दूर अलग-थलग रखा गया है तथा उन्हें उचित सरकारी मदद नहीं मिल रही है तो ऐसे लोगों को भी अपना मानकर उनकी भरसक मानवीय मदद करने का प्रयास करें। मजलूम ही मजलूम की सही मदद कर सकता है।
उन्होंने सोमवार को अपने टि्वटर हैंडल से देशवासियों को ईद-उल-फितर की मुबारकबाद और शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने लिखा, "पवित्र रमज़ान में एक माह की इबादत के बाद अब ईद-उल-फित्र की, खासकर सभी मुस्लिम भाई-बहनों को, दिली मुबारकबाद व शुभकामनाएं। जिस तरह आपने लॉकडाउन के नियमों पर अमल करते हुए रमजान बिताया, उसी प्रकार आप ईद भी मनाएं और अपनी इस खुशी में अपने गरीब पड़ोसी को उसके खुशी के हक को कतई न भूलें।"
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