काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित महिला महाविद्यालय में समाज शास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा गोंड़ ने गत 3 जुलाई को लंका थाना पुलिस और भाजपा नेताओं के बीच हुई मारपीट के मामले में आयोग को लिखा था पत्र।
reported by राजीव कुमार मौर्य
वाराणसी के सुंदरपुर चौराहा पर गत 3 जुलाई को सत्ताधारी भाजपा नेताओं और पुलिसकर्मियों के बीच हुई मारपीट के मामले में उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से जवाब तलब किया है। आयोग ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित महिला महाविद्यालय में समाज शास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा गोंड़ की शिकायत का संज्ञान लेते हुए एसएसपी से आगामी 21 सितंबर तक रिपोर्ट मांगा है। साथ ही आयोग ने चेतावनी दी है कि उसकी अपेक्षा के अनुरूप कार्यवाही नहीं किए जाने पर वह न्यायोचित आदेश पारित कर देगा।
आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति केपी सिंह के आदेश पर जारी नोटिस में लिखा है कि डॉ. प्रतिमा गोंड ने गत 8 जुलाई को आयोग को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने गत 3 जुलाई को वाराणसी के सुंदरपुर चौराहा पर भाजपा नेताओं और पुलिसकर्मियों के बीच हुई मारपीट का जिक्र करते हुए लिखा है, "जिस अभद्रतापूर्ण ढंग से हमारे पुलिस कर्मचारियों पर हमले हुए हैं, उस घटना के कुछ अंश का एक वीडियो मैं इस पत्र के साथ संलग्न कर रही हूं जिससे काफी कुछ स्पष्ट हो जाता है। महोदय, यह तथ्य अभी मेरे संज्ञान में आया है कि हमला करने वाला पक्ष बरी है और जिन पर हमला हुआ, उन्हें निलंबित कर दिया गया है। क्या लोकतंत्र में यही न्याय है जो सापेक्षिक अवधारणा पर कार्य कर रही है। अगर इस देश में दलित, किसान, मजदूर, स्त्री वर्ग सबके लिए न्याय की व्यवस्था है तो इस परिप्रेक्ष्य में पुलिस वर्ग (जो कि इस संतुलन की व्यवस्था का एक मजबूत आधार है) हाशिये पर क्यों है?"
डॉ. प्रतिमा गोंड़ ने आयोग को देश का जिम्मेदार नागरिक और समाज शास्त्र का शिक्षक के बतौर पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच होने और सही पक्ष क न्याय देने की मांग की थी। आयोग ने उसे बतौर शिकायत दर्ज कर वाराणसी के एसएसपी से रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि वाराणसी स्थित लंका थाना क्षेत्र के सुंदरपुर चौराहा पर गत 3 जुलाई को भाजपा नेताओं और पुलिसकर्मियों के बीच मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। लंका पुलिस ने इस मामले में नामजद और अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट, बवाल, जानलेवा हमला, लूट और सरकारी कार्यों में बाधा डालने समेत अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। मामला बढ़ने पर पुलिस अधीक्षक ने तत्कालीन लंका थाना प्रभारी अश्वनी कुमार चतुर्वेदी, उप-निरीक्षक सुनील कुमार गोंड़, उप-निरीक्षक राजू कुमार राय, सिपाही मनोज प्रताप सिंह और धर्मेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया था। वहीं, भेलूपुर क्षेत्राधिकारी प्रीति त्रिपाठी को वहां से हटाकर एसएसपी कार्यालय से अटैच कर दिया गया था।
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