रविवार, 10 जनवरी 2021

यूपी में धान न खरीदे जाने से नाराज किसान ने खाया जहर, दूसरे ने फूंक दिया धान

मिर्जापुर और सोनभद्र में सरकारी धान क्रय केंद्रों पर धान खरीद में मनमानी से परेशान थे दोनों किसान। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का चक्कर लगाने के बाद भी नहीं हुई किसान के धान की खरीद।  

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

त्तर प्रदेश में धान की सरकारी खरीद में किसानों को राहत देने का भाजपा सरकार का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। शनिवार को मिर्जापुर में धान न खरीदे जाने से नाराज एक युवा किसान ने जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की जबकि सोनभद्र में आठ दिनों से धान न खरीदे जाने से नाराज किसान ने सहकारी समिति परिसर में ही अपना धान फूंक दिया। किसान का आरोप है कि मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे भद्दी-भद्दी गालियां दी और गुंडा बताकर जेल भेजने की धमकी दी।  

मिर्जापुर के जमालपुल क्षेत्र में  नेफेड ( नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) द्वारा संचालित भदावल धान क्रय केंद्र पर धान न खरीदे जाने से नाराज बत्तीस वर्षीय किसान विवेक कुमार ने शनिवार की सुबह करीब 10 बजे कीटनाशक खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। इससे गांव में हड़कंप पच गया। भदावल निवासी विवेक कुमार के पिता रमांशकर ने जमालपुर थाने में तहरीर देकर नेफेड के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। 

रमाशंकर का आरोप है कि नेफेड के अधिकारियों ने गत 25 दिसंबर को उनके पुत्र विवेक से भदावल धान क्रय केंद्र पर 200 कुंतल धान मंगा लिया। बाद में उन्होंने धान खरीदने से मना कर दिया। इससे वह तनाव में रह रहा था। शनिवार की सुबह करीब 10 बजे उसने जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। उनका आरोप है कि ऐसा वह धान की खरीद न हो पाने की वजह से किया। वहीं, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने चुनार तहसील के उप-जिलाधिकारी को मामले की जांच का आदेश दे दिया है और धान की खरीद न होने से नाराज किसान की खुदकुशी को निराधार बताया है। 

वहीं, सोनभद्र के बहुअरा साधन सहकारी समिति लिमिटेड परिसर में पिछले आठ दिनों से धान की खरीद न होने से नाराज किसान तेजबली यादव ने शनिवार को अपना धान फूंक दिया। इससे वहां हड़कंप मच गया। किसान का आरोप है कि मौके पर पहुंची 112 नंबर की पुलिस ने उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां दी और गुंडा बताकर जेल भेजने की धमकी दी।

बहुअरा साधन सहकारी समिति लिमिटेड में जले धान की बोरी के साथ किसान तेजबली यादव

वनांचल एक्सप्रेस से फोन पर हुई बातचीत में किसान तेजबली यादव ने कहा कि उन्होंने करीब 77 कुंतल धान की खरीद के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया था। इसके आधार पर उन्हें गत 2 जनवरी को बहुअरा साधन सहकारी समिति लिमिटेड के परिसर में धान लेकर पहुंचना था। वे उस दिन ट्रैक्टर से धान लेकर गए भी थे लेकिन उनके धान की खरीद नहीं की गई।


उन्होंने बताया कि वे पिछले आठ दिनों से ट्रैक्टर से धान लेकर बहुअरा कोऑपरेटिव पर पहुंच रहे थे लेकिन धान की खरीददारी नहीं हो रही थी। फिर वह सहकारिता विभाग के अधिकारियों से मिलने सोनभद्र मुख्यालय लोढ़ी स्थित विकास भवन पहुंचे। वहां अधिकारियों ने सचिव को निर्देशित कर शनिवार को धान खरीदे जाने की बात कही। वे ट्रैक्टर से धान लेकर कोऑपरेटिव पहुंचे लेकिन बोरा नहीं होने की बात कहकर उन्होंने धान खरीदने से मना कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बहुअरा साधन सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष शिव शंकर मौर्या और सचिव संतोष मौर्या ने उन्होंने बोरा खरीदकर लाने की बात कही। फिर वह 150 रुपये का बोरा खरीदकर लाए। उसके बाद भी उनके धान की खरीददारी नहीं की गई। फिर वह विकास भवन स्थित सहकारिता विभाग के अधिकारियों के पास गए लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में उन्होंने हारकर अपने धान पर डीजल डाकर आग लगा दी। 


किसान तेजबली यादव का कहना है, "जैसे ही मैंने दो बोरों में भरे धान पर डीजल डालकर आग लगाई। लोग आकर आग बुझा दिए और कोऑपरेटिव के लोग उनका धान तौलने लगे। मैंने उन्हें धान तौलने से रोक दिया, तब तक वे करीब 40 कुंतल धान तौल चुके थे। अभी भी मेरे दोनों ट्रैक्टर वहीं खड़े हैं लेकिन पूरा धान नहीं तौला गया है।"

किसान तेजबली यादव ने आरोप लगाया, "कोऑपरेटिव के अध्यक्ष और सचिव केवल अपने चेहेते लोगों का धान खरीद रहे हैं। यहां कोई नियम कानून नहीं है। वे टोकन नंबर से किसी भी व्यक्ति का धान नहीं खरीद रहे हैं। यहां बस मनमानी कर रहे हैं।" 

उन्होंने आरोप लगाया कि मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें भद्दी भद्दी गालियां दी और गुंडा बताकर जेल भेज देने की धमकी दी। किसान के आरोपों के बाबत जब रॉबर्ट्सगंज कोतवाली के थाना प्रभारी से बात की गई तो उन्होंने इसके बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही। साथ ही कहा कि उनके थाने से कोई भी पुलिसकर्मी नहीं गया था। आप 112 नंबर पर फोन कर बात कर लीजिए। 

बता दें कि बहुअरा साधन सहकारी समिति लिमिटेड पर धान और गेहूं की खरीद में मनमानी को लेकर पहले भी शिकायतें सामने आ चुकी हैं। गत 31 जुलाई को किसानों ने सहकारिता विभाग के सहायक निबंधन को पत्र लिखकर इसके बारे में अवगत भी कराया था लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 

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