मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान की निंदा।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। भारत की संस्कृति और परम्पराओं को विश्व के मंच पर लाने में सेक्यूलरिज़्म बहुत बड़ा खतरा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान की रिहाई मंच ने निंदा की है। साथ ही उसने कहा है कि योगी आदित्यनाथ का यह बयान देश पर मनुवादी व्यवस्था थोप कर दलितों और पिछड़ों को दास बनाने का एक षणयंत्र है।
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव की ओर से जारी विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि योगी आदित्यनाथ जिस संविधान की शपथ लेकर यूपी के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए हैं, उस संविधान की व्यवस्थाओं के विरुद्ध बोलकर देशद्रोह का परिचय दे रहे हैं। संविधान में आस्था न रखने वाले मुख्यमंत्री को अपने पद से तुरंत हट जाना नैतिक मूल्यों के पक्ष में होगा। संविधान में आस्था न रखने के कारण उनको अपने पद से हटने के बाद उन्हें किसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सेदार न बनकर संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध काम करने का नैतिक कर्तव्य निभाना चाहिए। संघ और भाजपा ने देश के संविधान को कभी दिल से स्वीकार नहीं किया। जिस संविधान की शपथ लेकर भाजपा सत्ता में बैठी है, उसे खत्म करने के लिए वह तरह-तरह के षणयंत्र कर रही है। योगी आदित्यनाथ का बयान भी उसी की एक कड़ी है।
उन्होंने कहा कि देश के सेकुलर संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार को जाति–जन्म के आधार पर वर्चस्व में विश्वास रखने वाली ताकतें कुछ दलों की गलत नीति व नीयत की आड़ में विगत कुछ समय से सेकुलरिज़्म पर निशाना साधती रही हैं लेकिन वास्तिविकता यह है कि वर्तमान शासक वर्ग देश के बहुसंख्क दलित, पिछड़ा, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक समुदायों को हमेशा के लिए शासन–सत्ता से वंचित कर एक बार फिर गुलाम बनाना चाहता है।
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछा कि वह किस संस्कृति और परंपरा की बात कर रहे हैं? क्या उस परंपरा की बात कर रहे हैं, जिसमें किसी शम्बूक की हत्या कर दी जाती है? किसी एकलव्य का अंगूठा काट लिया जाता है? महिलाओं को स्तन ढकने की अनुमति नहीं होती? उन्होंने चेतावनी दी कि जाति–धर्म के आधार पर ऊंच–नीच का सपना पालने वालों को संविधान पर बुरी नज़र डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मंच महासचिव कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब पहले कभी नहीं थी। बलात्कारी खुले आम घूमते हैं और बलात्कार पीड़िता के परिजन की मर्जी के खिलाफ पुलिस रात के अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कर देती है। खुद पीड़िता के चरित्र पर सवाल खड़े किए जाते हैं और बलात्कारियों को बचाने के लिए पुलिस पीड़िता के बाप को घर से उठा ले जाती है।
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं और सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ तक ने चिंता जाहिर की है और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने रिपोर्टें जारी की हैं। सरकार को चाहिए कि सेकुलरिज़्म पर हमला करने के बजाए विश्व मंचों पर हो रही देश की बदनामी का संज्ञान लेकर उसे ठीक करने का प्रयास करना चाहिए।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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