शनिवार, 25 अप्रैल 2015

ग्रामीणों की आवाज को दबाने के लिए सोनभद्र प्रशासन ने फोड़ा 'रिपोर्ट बम'

बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे में तीन सालों से अधिक समय से लंबित मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट के अंशों को जिलाधिकारी ने किया सार्वजनिक। हादसे में मरने वाले मजदूरों और अवैध खननकर्ताओं के नामों पर जिला प्रशासन ने साधी चुप्पी। प्रभारी खनन अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी की संयुक्त मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट की छायाप्रति उपलब्ध कराने से कतरा रहे जिलाधिकारी। बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे में दस मजदूरों की हुई थी मौत। 27 फरवरी 2012 को बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र के शारदा मंदिर के पीछे पत्थर की एक अवैध खदान में हुआ था हादसा।

written by Shiv Das Prajapati

सोनभद्र। दुद्धी तहसील के अमवार गांव के पास कनहर और पांगन नदियों के संगम पर बन रही कनहर सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र के ग्रामीणों की आवाज को दबाने के लिए जिला प्रशासन ने 'रिपोर्ट बम' का सहारा लिया है। जिलाधिकारी संजय कुमार ने पिछले तीन सालों से अधिक समय से लंबित बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट के अंशों पर आधारित प्रेस विज्ञप्ति पिछले दिनों जारी की। इसमें निर्धारित प्रक्रिया और मानकों का अनुपालन नहीं होने के साथ अवैध खनन को हादसे के लिए जिम्मेदार बताया है। साथ ही अपनी जिम्मेदारियों में लापरवाही बरतने के आरोप में दो पूर्व जिला खान अधिकारियों, दो खनन सर्वेक्षकों, तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी, तत्कालीन ओबरा थाना प्रभारी समेत तत्कालीन क्षेत्रीय लेखपाल और ग्राम प्रधान को नामजद किया गया है। हालांकि जिलाधिकारी ने अपनी विज्ञप्ति में यह स्पष्ट नहीं किया है कि मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में खनन हादसे में कितने मजदूरों की मौत हुई थी, उनका नाम क्या है और वे कहां के रहने वाले हैं। साथ ही अवैध खननकर्ताओं का नाम भी विज्ञप्ति में नहीं है। उन्होंने यह भी नहीं स्पष्ट किया कि मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में अपनी जिम्मेदारियों में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ उन्होंने क्या कार्रवाई की है। जिलाधिकारी संजय कुमार से जब मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट की छायाप्रति मांगी गई तो वह कल-परसों देने की बात कहकर अपना पीछा छुड़ाते नजर आए। हालांकि उन्होंने अभी तक मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट की छायाप्रति मुहैया नहीं कराई है।

जिला सूचना और जन संपर्क विभाग की ओर से गत 21 अप्रैल को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रॉबर्ट्सगंज तहसील के बिल्ली-मारकुंडी ग्राम में 27 फरवरी, 2012 को हुई खनन दुर्घटना में अपर जिला मजिस्ट्रेट, सोनभद्र और मुख्य विकास अधिकारी, सोनभद्र ने न्यायिक जांच की। मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र सिंह ने मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट गत 18 अप्रैल को जिला अधिकारी के सामने प्रस्तुत की जिसमें पाया गया कि खदान धंसने की घटना अवैध खनन होने के साथ खनन कार्य में निर्धारित प्रक्रिया और मानकों की पालन नहीं होने के कारण हुई है। यह अवैध खनन कुछ व्यक्तियों ने बिना पट्टे वाली भूमि पर और कुछ पट्टाधारकों द्वारा अपने पट्टा क्षेत्र से अधिक भूमि पर किया गया। राजस्व एवं खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा किये गये संयुक्त निरीक्षण में यह पाया गया कि 27 फरवरी 2012 की घटना आराजी संख्या-4452 में हुई है जिसमें कोई पट्टा नहीं है और इस नम्बर के समीप आराजी संख्या-4449 तथा 4471 में भी अवैध खनन हुआ है जो पहाड़ खाते की भूमि, सुरक्षित वन भूमि तथा काश्तकारों की भूमि है। समीप के आराजी संख्या-4448, 4450 तथा 4471घ के पट्टाधारकों द्वारा भी नियमों के विपरीत खनन किया जाना पाया गया। उक्त घटना के संबंध में थाना ओबरा में जो प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित करायी गई थी, उसमें आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।
          
विज्ञप्ति में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट जांच में उक्त आराजी संख्याओं में अवैध खनन के साथ-साथ खनन कार्य में निर्धारित प्रक्रिया और मानकों का पालन नहीं किया गया है। नियमों के विपरीत खनन कार्य होने के लिए उत्तरदायी खनिज विभाग के तत्कालीन खान अधिकारी एके सेन, पूर्व खान अधिकारी वीपी यादव, तत्कालीन वरिष्ठ खनन सर्वेक्षक धीरेंद्र कुमार शर्मा, खनन सर्वेक्षक दयाराम, वन भूमि पर अवैध खनन होने के लिए उत्तरदायी तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी, ओबरा एसपी चौरसिया, अवैध खनन होने और दबंगई के बल पर खनन कार्य करने की शिकायतें प्राप्त होने पर कोई कार्यवाही नहीं करने के लिए उत्तरदायी तत्कालीन थाना प्रभारी ओबरा शेषधर पाण्डेय, ग्रामसभा की पहाड़ और परती भूमि पर अवैध खनन की सूचना नहीं देने तथा उसे रोकवाने का प्रयास नहीं करने के लिए उत्तरदायी ग्राम पंचायत बिल्ली-मारकुण्डी के प्रधान राजाराम और ग्रामसभा की पहाड़, परती भूमि पर अवैध खनन होने की सूचना नहीं देने या उसे रोकवाने की कार्यवाही नहीं करने के लिए उत्तरदायी तत्कालीन क्षेत्रीय लेखपाल श्रीराम के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। उक्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई के बाबत जब जिलाधिकारी संजय कुमार से बात की गई तो वे पूर्व के एफआईआर का हवाला देकर पल्ला झाड़ते नजर आए।


गौतरलब है कि सोनभद्र में कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर विस्थापितों और जिला प्रशासन के नुमाइंदों में घमासान मचा हुआ है। गत 14 अप्रैल को विस्थापितों और पुलिस प्रशासन के नुमाइंदों के बीच झड़प और गोलीबारी की घटना भी हुई थी जिसमें सुंदरी गांव निवासी विस्थापित अकलू चेरो को पुलिस ने गोली मार दी थी। उसका इलाज वाराणसी स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय, बीएचयू में चल रहा है। इसके बाद गत 18 अप्रैल की सुबह परियोजना स्थल पर धरना दे रहे विस्थापितों और पुलिस प्रशासन के बीच एक बार झड़प हुई जिसमें पुलिस और पीएसी के जवानों ने धरनारत विस्थापितों पर लाठीचार्ज किया। इतना ही नहीं उन्होंने उनके उपर रबर की गोलियां दागी और आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमें करीब डेढ़ दर्जन लोग घायल हो गए। पुलिस प्रशासन ने घायलों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही धरनारत विस्थापितों को परियोजना स्थल से करीब दो किलोमीटर परिधि से दूर खदेड़ दिया है और पूरे इलाके को सीज कर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। पिछले दिनों दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की स्वतंत्र जांच टीम विस्थापितों पर गोली चलाने की घटना की जांच करने डूब क्षेत्र के गांवों का दौरा करने जा रही थी लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। 

जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद उन्हें वापस दिल्ली रवाना कर दिया गया। इस बीच स्वतंत्र जांच दल को कनहर सिंचाई परियोजना निर्माण समर्थकों और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने करीब दो घंटे दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बंधक बनाये रखा। बाद में दुद्धी तहसील के उपजिलाधिकारी ने अपने वाहन से उन्हें शहर से बाहर निकाला। जांच दल के साथ हुई इस घटना ने राष्ट्रीय स्तर पर विस्थापितों की आवाज पहुंचा दी जिससे जिला प्रशासन सकते में आ गया। राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच रही विस्थापितों की आवाज से ध्यान बंटाने के लिए जिला प्रशासन ने आनन-फानन में पिछले तीन सालों से अधिक समय से लंबित बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे से संबंधित मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट के अंशों को सार्वजनिक कर दिया। हालांकि उसकी यह रणनीति कारगर होती दिखाई नहीं दे रही है। उधर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर 25 अप्रैल को कनहर परियोजना के विस्थापितों से मिलने डूब क्षेत्र पहुंची। वहां उन्होंने लोगों से बात कीं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को लोगों से संवाद स्थापित करनी चाहिए। जबरदस्ती करने से संघर्ष और तेज होगा। उन्होंने पुलिस प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के खिलाफ की गई कार्रवाई की निंदा कीं।

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