विद्यालय का संचालन करने वाली संस्था के नाम शासन द्वारा
निर्धारित भूमि अथवा भवन नहीं पर भी माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश ने दी
मान्यता। शिकायत के दो साल बाद भी अधिकारियों ने विद्यालय की नहीं की जांच। जिला
विद्यालय निरीक्षक के पास एक साल से लंबित है जांच आख्या।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश में ‘भ्रष्टाचार और गुण्डाराज’ के मुद्दे पर सत्ता में आई
भाजपा सरकार खुद के भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई करने से कतरा रही है। जिले के एक भाजपा
नेता ने जाली दस्तावेजों के सहारे माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से हाईस्कूल
स्तर के विद्यालय संचालन की मान्यता हासिल कर ली लेकिन राज्य सरकार के नुमाइंदे उसके
खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जरूरत महसूस नहीं की। शिकायतकर्ता ने जिला विद्यालय
निरीक्षक से मुख्यमंत्री तक मामले की शिकायत की लेकिन किसी भी अधिकारी एवं सरकार
के नुमाइंदों ने मामले की बिन्दुवार जांच कराने की हिम्मत नहीं दिखाई। महकमे के
दस्तावेजों पर गौर करें तो मामले की जांच पिछले एक साल से जिला विद्यालय निरीक्षक
के पास लंबित है।
दस्तावेज बताते हैं कि रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम
पंचायत बहुअरा निवासी भाजपा नेता हरिदास खत्री ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर
माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य हैं। आरोपों की मानें तो उन्होंने
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश और जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के
अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से जाली दस्तावेजों के सहारे 21 जनवरी 2010
को ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बहुअरा, सोनभद्र में हाई
स्कूल स्तर की कक्षाओं के संचालन की मान्यता हासिल की। दस्तावेजों की मानें तो उस
समय उक्त विद्यालय और उसे संचालित करने वाली संस्था ‘ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर’ बहुअरा, सोनभद्र
(पंजीकरण संख्या- 954/2004-05) के नाम रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत
बहुअरा में कोई भी भूमि पंजीकृत नहीं थी और ना ही भवन पंजीकृत था। इसके बावजूद
सोनभद्र के तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक और विंध्याचल मंडल के तत्कालीन उप
शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) के अनुमोदन पर माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के
क्षेत्रीय सचिव (वाराणसी परिक्षेत्र) ने उक्त विद्यालय को हाई-स्कूल स्तर के
कक्षाओं के संचालन के लिए मान्यता जारी कर दी।
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के सचिव की ओर से 26
सितम्बर 2002 को जारी विहित प्रक्रिया (संख्या परिषद-9/396) के निर्देशानुसार, “हाई स्कूल नवीन मान्यता (वनटाइम) के लिए संस्था के नाम कम से कम 2000
वर्गमीटर क्षेत्रफल युक्त भूमि होनी चाहिए जिसमें 648 वर्ग मीटर भूमि का क्रीड़ा
स्थल होगा। संस्था के पास भवन के लिये (क) 8 X 6 मीटर या 48
वर्गमीटर के पांच शिक्षण कक्ष, (ख) वैकल्पिक विषय के लिए 6 X 5 मीटर या 30 वर्ग मीटर का एक कक्ष, (ग) 4 X 3 मीटर
या 12 वर्ग मीटर के दो प्रशासकीय कक्ष, (घ) 9 X 6 मीटर या 54
वर्ग मीटर माप के तीन प्रयोगशाला (जूनियर, गृह विज्ञान एवं विज्ञान) कक्ष, (ङ) 6
X 5 मीटर या 30 वर्ग मीटर मीप के संगीत, सिलाई, कला, कृषि तथा
वाणिज्य आदि के लिए एक कॉमन कक्ष, और (च) 8 X 6 मीटर या 48
वर्गमीटर माप का पुस्तकों युक्त पुस्तकालय हेतु एक कक्ष का होना अनिवार्य है। सभी
कक्ष (कुल 13) लिन्टर्ड पक्के होंगे। उक्त विद्यालय आज भी इन मानकों को पूरा नहीं
करता है।
विहित प्रक्रिया के तहत 648 वर्ग मीटर भूमि के क्रीड़ा स्थल
में शहरी क्षेत्र में रियायत बरती गई है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में यह अनिवार्य है
जो विद्यालय हेतु चिन्हित भूमि से अधिकतम 200 मीटर की दूरी की परिधि में हो सकता
है लेकिन ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बहुअरा, सोनभद्र
इस मानक को भी पूरा नहीं करता है।
उक्त विहित प्रक्रिया के बिन्दु 11(ख) में स्पष्ट लिखा है
कि संस्था में सभी शिक्षण कर्मी परिषद द्वारा विहित अर्हता परिषद विनियमों के
अध्याय दो के विनियम-1 के परिशिष्ट-क में विहित अर्हता के अनुसार नियुक्त होने
चाहिए यानी हाई स्कूल स्तर के विद्यालयों में अध्यापन के लिए अभ्यर्थी का
प्रशिक्षित स्नातक (बीएड, एलटी, वीटी या शिक्षा शास्त्री उपाधि) होना अनिवार्य है।
लेकिन ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र में कार्यरत 11
शिक्षकों में से केवल दो ही उत्तर प्रदेश शासन और माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर
प्रदेश द्वारा निर्धारित अर्हता को पूरा करते हैं। हालांकि उनकी नियुक्ति भी सेवा
नियमावली के तहत नहीं की गई है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की अधिकारिक वेबसाइट पर
उपलब्ध ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र में कार्यरत
अंशकालिक शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के विवरण में विद्यालय के प्रधानाध्यापक
के रूप में हरिदास खत्री 1 जुलाई 2009 से कार्य कर रहे हैं जिनकी नियुक्त प्रबंधक
एवं प्रधानाचार्य द्वारा की गई है। विवरण में उनकी योग्यता बी.ए. और डी.एड है।
जानकारी के मुताबिक हरिदास खत्री डी.एड. (शिक्षा विशारद) हैं जो एनसीटीई अथवा
यूजीसी से मान्य नहीं है। इतना ही नहीं, हरिदास खत्री विद्यालय में बतौर
प्रधानाध्यापक 3,500 रुपये वेतनमान भी ले रहे हैं और विद्यालय का संचालन करने वाली
समिति के प्रबंधक भी हैं। रॉबर्ट्सगंज तहसील के कम्हारडीह ग्राम पंचायत में
ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र में के नाम अंकित भूमि
की खतौनी में हरिदास खत्री का नाम बतौर प्रबंधक दर्ज भी है।
उक्त विवरण में ही साधना रानी पाल को ग्रामोदय शिशु विद्या
मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र में सहायक अध्यापक के पद पर 1 जुलाई 2009 से
नियुक्त दिखाया गया है जो एम.ए. और बॉम्बे आर्ट उपाधि धारक हैं। इनकी नियुक्ति
प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य द्वारा की गई है। साधना रानी पाल का शैक्षिक योग्यता और
नियुक्ति के विवरणों में फर्जीवाड़ा किया गया है। उन्होंने वर्ष 2014 में महात्मा
गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से संबद्ध आदर्श जनता महाविद्यालय, कोलना, चुनार,
मिर्जापुर से नियमित रूप में परास्नातक किया है जिनका पंजीकरण संख्या
केए2के13/1088697 और अनुक्रमांक 42113200246 है। इस परिस्थिति में विद्यालय में
साधना रानी पाल की नियमित नियुक्ति और बॉम्बे ऑर्ट की उपाधिधारक होने का दावा
संदिग्ध है। इतना ही नहीं ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर प्राथमिक विद्यालय, बहुअरा
(बंगला), सोनभद्र में वह बतौर प्रधानाध्यापक छात्रों के मार्कशीट और टीसी पर
हस्ताक्षर भी कर रही हैं जो गैर-कानूनी है। साधना रानी पाल प्रबंधक/प्रधानाध्यापक
हरिदास खत्री की रिश्तेदार भी हैं जिससे उनकी नियुक्त में भारी अनियमितता बरती गई
है।
ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र
में कार्यरत सहायक अध्यापक परमेश्वर प्रसाद, दुर्गावती देवी, अशोक कुमार, रवि शंकर
उपाध्याय, राम चंद्र, बबिता रानी पाल और नितेश कुमार मौर्य हाई स्कूल स्तर के
विद्यालय में पढ़ाने के योग्य नहीं है। इनमें से कोई भी प्रशिक्षित स्नातक नहीं
है। नितेश कुमार मौर्य तो केवल इंटर पास हैं। बबिता रानी पाल भी प्रबंधक हरिदास
खत्री की रिश्तेदार और सहायक अध्यापक साधना रानी पाल की बहन हैं। इन लोगों की
नियुक्ति में भी उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित नियमावली के प्रावधानों और
अर्हता की अनदेखी की गई है।
ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र
में कार्यरत गैर-शैक्षणिक अंशकालिक कर्मचारियों की नियुक्ति में भी भारी अनियमितता
बरती गई है और उनमें भी शासन द्वारा निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित
नहीं किया गया है। परिचारक पद पर नियुक्त कमला पाल प्रबंधक हरिदास खत्री के
रिश्तेदार और सहायक अध्यापक साधना रानी पाल के पति हैं।
ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय बहुअरा, सोनभद्र
में कार्यरत शिक्षणेत्तर और गैर-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए कोई भी
सेवानियमावली नहीं बनाई गई है जिसकी वजह से प्रबंधक मनमाने ढंग से उनकी नियुक्ति
और निष्कासन करते रहते हैं। इसकी जांच विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों और
कर्मचारियों के वेतनमान, प्रोविडेंट फंड, स्वास्थ्य बीमा लाभ योजना आदि के विवरणों
की जानकारी मांगकर की जा सकती है। इस विद्यालय में कार्यरत किसी भी शिक्षक अथवा
कर्मचारी का ना ही कोई पीएफ कटता है और ना ही उन्हें स्वाथ्य बीमा योजना से
लाभान्वित किया जाता है जबकि उनकी मानदेय के अनुसार यह आवश्वक रूप से होना चाहिए।
दस्तावेज बताते हैं कि रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के तिनताली
गांव निवासी शिव दास प्रजापति ने वर्ष 2015 में 6 एवं 8 जुलाई को उक्त बिन्दुओं की
शिकायत क्रमशः माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के सचिव एवं क्षेत्रीय सचिव से
की थी लेकिन शिकायत-पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं की जांच तक नहीं कराई गई और ना ही
उनसे संबंधित दस्तावेज शिकायतकर्ता को मुहैया कराये गए। करीब एक साल बाद जब
शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर मुख्यमंत्री, माध्यमिक शिक्षा
विभाग के प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव एवं
क्षेत्रीय सचिव, सोनभद्र के जिलाधिकारी एवं जिला विद्यालय निरीक्षक से भी की तो
माध्यमिक शिक्षा परिषद के क्षेत्रीय सचिव कामता प्रसाद पाल ने 27 सितंबर 2016 को
विद्यालय के प्रबंधक को नोटिस जारी किया और जिला विद्यालय निरीक्षक, सोनभद्र को
विद्यालय की जांच आख्या मुहैया कराने का निर्देश दिया। इसके बावजूद जिला विद्यालय
निरीक्षक ने मामले की जांच नहीं की और ना ही विद्यालय से संबंधित जांच आख्या शासन
या माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजी।
इतना ही नहीं, शिव दास प्रजापति की शिकायत पर
जिलाधिकारी ने ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर संस्था द्वारा संचालित प्राथमिक, उच्च
प्राथमिक, हाई स्कूल और इंटर मीडिएट स्तर की कक्षाओं के संचालन और उनकी मान्यता से
संबंधित मामलों की जांच करने का निर्देश जिला विद्यालय निरीक्षक को दिया था लेकिन
जिला विद्यालय निरीक्षक ने जिलाधिकारी के आदेशों को भी दर किनार कर दिया। मामले की
जांच करने के बजाय जिला विद्यालय निरीक्षक ने शिकायतकर्ता और प्रबंधन के बीच
मन-मुटाव की झूठी रिपोर्ट शासन को भेज दी। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के
क्षेत्रीय सचिव ने करीब एक साल पहले जिला विद्यालय निरीक्षक को आरोपों की जांच के
लिए निर्देश दिया था लेकिन आज तक उन्होंने मामले की जांच नहीं की और ना ही
शिकायतकर्ता को विद्यालय से संबंधित दस्तावेज मुहैया कराये जबकि शिकायतकर्ता ने
सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत उक्त बिन्दुओं की सूचनाएं और दस्तावेज मुहैया
कराने के लिए आवेदन किया था।
सूत्रों की मानें तो करीब छह महीने पहले जिला विद्यालय
निरीक्षक प्रभु राम चौहान ने बहुअरा स्थित ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर
माध्यमिक विद्यालय गए थे लेकिन उन्होंने कोई भी निरीक्षण रिपोर्ट शासन को नहीं
भेजी। इस संबंध में उनसे जब बात की गई तो उन्होंने विद्यालय प्रबंधन को नोटिस जारी
करने और उससे मिले जवाब से शासन को अवगत कराने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।
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