रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के बहुअरा में बिना मान्यता नर्सरी और इंटमीडिएट की कक्षाओं के संचालन का लगा बैनर। |
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में
घूसखोरी के बल पर हो रहा फर्जीवाड़ा। वर्षों से जमे बाबुओं और अधिकारियों ने
मानकों की अनदेखी कर सैकड़ों विद्यालयों को दिलाई मान्यता। शिकायत के वर्षों बाद
भी नहीं हुई कार्रवाई। जिले में संचालित हो रहे हजारों फर्जी स्कूल।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
सोनभद्र।
शिक्षा माफियाओं और जिला प्रशासन के गठजोड़ के आगे सूबे की
भाजपा सरकार नतमस्तक हो गई है। जिले में शिक्षा माफिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
के निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए धड़ल्ले से फर्जी स्कूलों का संचालन कर रहे
हैं तो संबंधित विभागों के अधिकारी उनके पक्ष में दलीलें पेश कर रहे हैं। शिकायत
के वर्षों बाद भी वे फर्जी ढंग से संचालित स्कूलों और उसके प्रबंध-तंत्र पर
कार्रवाई करने की जरूरत महसूस नहीं कर रहे।
जांच के नाम पर वे शिक्षा माफियाओं को
मौका दर मौका दे रहे हैं और शिकायतकर्ता को गलत साबित करते हुए शासन को रपट भेज
रहे हैं। इसके बदले वे शिक्षा माफियों से लाखों रुपये की अवैध वसूली भी कर रहे
हैं। वहीं विपक्षी पार्टियों ने जिला बेसिक शिक्षा विभाग और जिला विद्यालय
निरीक्षक कार्यालय में तैनात बाबुओं और अधिकारियों की संपत्तियों की जांच की मांग
की है। उनका आरोप है कि इन कार्यालयों में तैनात कई बाबुओं और अधिकारियों ने
करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्तियां अर्जित की हैं। अगर उनकी जांच हो तो आय से
अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है।
रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के
ग्राम पंचायत बहुअरा में ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर प्राथमिक विद्यालय, ग्रामोदय
शिशु विद्या मंदिर पूर्व माध्यमिक विद्यालय, ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर
माध्यमिक विद्यालय को मानकों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने मान्यता दी है।
विद्यालय के पास भूमि, भवन और योग्य शिक्षक नहीं होने के बावजूद इन विद्यालयों के
संचालन के लिए मान्यता प्रदान कर दी। इसके अलावा विद्यालय प्रबंध-तंत्र बिना
मान्यता के नर्सरी और इंटरमीडिएट की कक्षाओं का संचालन कर रहा है। इसके बावजूद
अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। बहुअरा में ही नेहरू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
का संचालन फर्जी ढंग से किया जा रहा है।
विद्यालय को केवल छह से आठ तक की कक्षाओं
के संचालन की मान्यता प्राप्त है लेकिन विद्यालय संचालक नर्सरी से इंटरमीडिएट तक
की कक्षाओं का संचालन कर रहा है। वह दूसरों विद्यालयों से परीक्षा फॉर्म भरवा कर ग्रामीणों
से हर साल लाखों रुपये की धन उगाही कर रहा है। सूत्रों की मानें तो जिले में ऐसे हजारों विद्यालय हैं जिन्हें मानकों की
अनदेखी कर मान्यता दी गई है और धड़ल्ले से संचालित किये जा रहे हैं। ग्रामोदय शिशु
विद्या मंदिर उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय बहुअरा सोनभद्र की गैर-कानूनी ढंग से
मान्यता की शिकायत भी विभाग के पास है लेकिन आज तक विभाग ने आरोपों की जांच तक
नहीं कराई।
इस बाबत जब जिला विद्यालय
निरीक्षक प्रभु राम चौहान से बात की गई तो उन्होंने शिक्षा माफियाओं के पक्ष में
दलीलें देनी शुरू कर दीं। जोर देने पर उन्होंने ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर
उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय बहुअरा सोनभद्र के मामले में अपने मातहत राजकीय इंटर
कॉलेज, दुद्धी के प्रधानाचार्य मंगलम गोपालम और अपने खासमखास सहायक वित्त एवं
लेखाधिकारी संतोष कुमार श्रीवास्तव की संयुक्त टीम गठित कर सात दिनों के अंदर जांच
आख्या मांगी लेकिन एक महीने गुजर जाने के बाद भी अभी जांच पूरी नहीं हुई है।
सूत्रों
की मानें तो जिला विद्यालय निरीक्षक प्रभु राम चौहान शिक्षा माफिया और विद्यालय
संचालक के पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिए अपने मातहत जांचकर्ताओं पर दबाव बना रहे
हैं। सूत्र बताते हैं कि विभाग के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी संतोष कुमार
श्रीवास्तव जिला विद्यालय निरीक्षक के बहुत खास हैं। वही जांच रिपोर्ट तैयार कर
रहे हैं। उन्हीं की जांच आख्या स्वीकार की जाएगी। ऐसा इसलिए किया गया है कि जिला
विद्यालय निरीक्षक प्रभु राम चौहान पूर्व में विद्यालय की मान्यता नियमों के तहत लेने
की फर्जी रिपोर्ट शासन को भेज चुके हैं। इसलिए उनके मातहत कोई भी जांच अधिकारी
विद्यालय के संदर्भ में आरोपों की सही जांच आख्या शासन को प्रेषित करने का जोखिम
नहीं उठा रहा है। यही वजह है कि एक महीने गुजर जाने के बाद भी अभी तक जांच पूरी
नहीं हुई है।
उधर जनता दल (यू) के नेता
और अधिवक्ता अतुल प्रताप सिंह ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय और जिला बेसिक
शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दोनों
ही कार्यालय भ्रष्टाचार और खूसखोरी का अड्डा बन चुके हैं। यहां वर्षों से तैनात कई
बाबू करोड़ों की बेनामी संपत्ति के मालिक हैं। उनकी संपत्तियों की उच्च स्तरीय
जांच कराई जानी चाहिए।
वहीं जनाधिकार मंच के जिलाध्यक्ष भागीरथी मौर्य ने जिले में
संचालित सभी निजी विद्यालयों की मान्यता की जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराये
जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने जिले में ऐसे
सैकड़ों विद्यालयों को मान्यता देने की रिपोर्ट शासन को भेजी है जो शासन के मानकों
को पूरा नहीं करते लेकिन माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बिना जांच पड़ताल के उन्हें
मान्यता दे दी। उन्होंने बताया कि जिले में ऐसे सैंकड़ों विद्यालय हैं जो केवल
कागज पर संचालित होते हैं। उनके संचालकों ने पैसे के बल पर मान्यता हासिल की है।
जिला विद्यालय निरीक्षक का कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। इसकी
उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। इस संबंध में जब भाजपा के जिलाध्यक्ष अशोक मिश्रा
से मोबाईल पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you for comment