3 जुलाई से सिविल लाइन्स
स्थित केजरीवाल आवास के बाहर धरना देंगी आँगनवाड़ी कार्यकत्रियां और सहायिकायें।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली | दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से नाराज हजारों आँगनवाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं ने शुक्रवार को विभिन्न मांगों को लेकर घण्टों तक राजघाट के नज़दीक रिंग रोड़ का चक्का जाम किया। मांगे नहीं माने जाने पर उन्होंने 1 जुलाई
को अपने-अपने इलाके के विधायकों का घेराव करने की चेतावनी दी।
30 जून 2017 को दिल्ली की समस्त आँगनवाड़ी की वर्करों और हेल्परों ने केजरीवाल सरकार के
अड़ियल रवैये का विरोध करते हुए दिल्ली सचिवालय पर महाजुटान का आयोजन किया। 28 जून
से ही दिल्ली के 93 आँगनवाड़ी प्रोजेक्टों में काम करने वाली 22,000 आँगनवाड़ी की महिलाओं ने
अपनी-अपनी आँगनवाड़ियों में ताला लगाकर अपनी हड़ताल की शुरुआत की थी। न तो किसी
आँगनवाड़ी पर खाना उतारा जा रहा है और ही बाँटा जा रहा है। मंगोलपुर खुर्द, सीलमपुर, त्री
नगर, नीमड़ी कॉलोनी,
शाहदरा,
रोहिणी,
ज्वालापुरी,
उत्तम नगर,
मायापुरी,
नवादा,
सरिता विहार,
निजाम्मुद्दीन,
जमरूदपुर,
संगम विहार,
शाहबाद,
दौलतपुर,
नांगलोई,
गीता कॉलोनी,
मीर विहार,
खानपुर,
तिमारपुर,
मीठापुर,
बारपुर,
तिलक विहार,
बुरारी,
ख़जूरी अदि तमाम प्रोजेक्टों की महिलाओं ने आज अपने हक़ों के
लिए संघर्ष का बिगुल फूंखते हुए महाजुटान में भारी संख्या में शिरकत की। दिल्ली
स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की क़ानूनी सलाहकार शिवानी ने महाजुटान
में बात रखते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार अपने वादों से तो मुकरी ही और ऊपर से हमसे
4 महीनों से बेगारी करवा रही है। इतना ही नहीं केजरीवाल सरकार आँगनवाड़ी की
महिलाओं से हड़ताल पर जाने के उनके संवैधानिक अधिकार को छीनने के लिए महिला एवं बाल
विकास विभाग की निदेशक के ज़रिये उनपर दबाव बना रही है जो कि ग़ैर क़ानूनी है। साथ ही
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी लड़ाई सिर्फ केजरीवाल सरकार की वादाख़िलाफ़ी और अड़ियल
रवैये के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ भी है। और हमारी लड़ाई तब
तक जारी रहेगी जब तक के हमारी सारी माँगें मानी नहीं जाती।
पिछले 4
महीनों से दिल्ली की आँगनवाड़ी की महिलाओं के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है।
अपने मानदेय में बढ़ोतरी के लिए आँगनवाड़ी की महिलायें 2015 से
संघर्षरत हैं। बार-बार प्रदर्शन करने पर भी दिल्ली सरकार ने उनकी माँगों की कोई
सुनवाई नहीं की। 2015 में खुद अरविन्द केजरीवाल ने आँगनवाड़ी की महिलाओं की 23 दिन
लम्बी चली भूख हड़ताल के दबाव में आकर लिखित समझौते पर दस्तख़त किये थे। इस समझौते
में केजरीवाल ने आँगनवाड़ी की महिलाओं की सारी माँगों किसी शर्त स्वीकार किया था।
लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने आँगनवाड़ी की महिलाओं से किये अपने किसी भी वायदे को
पूरा नहीं किया।
24 जून 2017 को सैंकड़ों की संख्या में दिल्ली की आँगनवाड़ियों में काम करने वाली वर्करों और
हेल्परों ने केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ दिल्ली सचिवलय पर चेतावनी प्रदर्शन किया था।
दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन के बैनर तले यह चेतावनी
प्रदर्शन श्री अरविन्द केजरीवाल और श्री मनीष सिसोदिया को आँगनवाड़ी की महिलाओं को
प्रताड़ित करने के विरोध में आयोजित किया गया था। इस प्रदर्शन के दबाव के चलते मनीष
सिसोदिया ने आँगनवाड़ी की महिलाओं के प्रतिनिधि मंडल को 27 जून
को अपने आवास पर मिलने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन जब आँगनवाड़ी की महिलायें अपनी
माँगों को लेकर वहाँ पहुँची तो मंत्री जी ने पहले तो उनसे मिलने और उनकी किसी भी
माँग को मानने से साफ़ मना कर दिया। जिसके बाद सभी आँगनवाड़ी की महिलाओं ने मिलकर यह
फैसला किया कि जब तक उनकी माँगें नहीं मानी जाती तब तक वो एक भी आँगनवाड़ी नहीं
खोलेंगी और हड़ताल पर बैठी रहेंगी। जब आँगनवाड़ी की महिलाओं द्वारा हड़ताल पर जाने से
आम आदमी पार्टी सरकार की असलियत जनता के बीच उजागर हुई तो पूरा महिला एवं बाल
विकास विभाग तुरंत हरकत में आ गया। महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक से लेकर
हर प्रोजेक्ट की सी.डी.पी.ओ.,
सुपरवाइजर आँगनवाड़ी की महिलाओं को डरा धमका कर हड़ताल वापिस
लेना का दबाव बना रही है। नोटिस जारी कर आँगनवाड़ी की महिलाओं को काम से निकाल देने
की धमकियाँ दी जा रही है। लेकिन इन सभी धमकियों के बावजूद भी आँगनवाड़ी की महिलायें
अपने संवैधानिक अधिकारों को हासिल करने के लिए डट कर संघर्ष कर रही हैं। 5000 और 2500 रूपये
में अपने घरों का चूल्हा जलाने वाली आँगनवाड़ी की महिलाओं की परेशानियाँ दूर करने
की जगह केजरीवाल सरकार लगातार उन्हें प्रताड़ित कर रही है।
ज्ञात हो की 2 जून 2017 को
महिला एवं बाल विकास विभाग के मंत्री,
श्री मनीष सिसोदिया द्वारा एक निरीक्षण के समय कृष्णा नगर
और जगत पूरी की आँगनवाड़ियों की कर्मचारियों और सहायिकाओं को निष्कासित करने के
आदेश जारी किये गए थे। जिसके बाद से लगातार आँगनवाड़ियों के निरीक्षण करने के नाम
पर आँगनवाड़ी की महिलाओं पर दबाव बनाने की कार्यवाही जारी है। आँगनवाड़ी की वर्कर और
हेल्पर बेहद कम मानदेय पर (वर्कर 5000 रु प्रति माह और हेल्पर 2500 रु प्रति माह ) पर इन आँगनवाड़ियों में काम कर रही है, काम
बहुत ज़्यादा होने और काम की कोई समय सीमा न होने के बावजूद भी आँगनवाड़ी की वर्कर्स
और हेल्पर्स पूरी लगन के साथ इस बेहद ज़रूरी सेवा को दिल्ली की जनता तक पहुँचाने का
काम करती हैं। टीकाकरण,
प्रसव के दौरान दी जाने वाली सहायता और गर्भवती महिलाओं की
देखभाल के साथ साथ आँगनवाड़ी की वर्कर्स और हेल्पर्स से जनगणना और बी.एल.ओ.
सम्बन्धी काम भी करवाए जाते हैं। इतना काम करने के बाद भी उन्हें अपने मानदेय के
भुगतान के लिए भी आंदोलन करने पड़ते हैं। आँगनवाड़ी की साज सज्जा से लेकर मंथली
रिपोर्ट बनाने का खर्च भी आँगनवाड़ी की औरतों को अपनी जेब से देना पड़ता है।
आँगनवाड़ी केंद्रों का किराया तक आँगनवाड़ी की महिलाये अपनी जेब से देना पड़ता हैं।
आँगनवाड़ी में काम ठीक से न होने का सारा ठीकरा आँगनवाड़ी की महिलाओं के सर फोड़ कर
सरकार अपनी सारी ज़िम्मेदारियों और जवाबदेही दे अपना पिंड छुड़ाना चाहती है।
आँगनवाड़ी की वर्कर्स और हेल्पर्स को काम करने के लिए कोई भैतिक प्रोहत्सान (न
मानदेय में बढ़ोतरी न ही आँगनवाड़ी में आधारभूत सुविधाओं को मज़बूत करना) नहीं दिया
जाता ऐसे में आँगनवाड़ी में काम ठीक से न होने की सारी ज़िम्मेदारी उनके सिर डाल
देना बिलकुल जायज़ नहीं हैं।
अपनी समस्याओं को सरकार के
सामने उजागर करने के लिए आँगनवाड़ी की महिलाओं ने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल
विकास मंत्री, दिली सरकार के मुख्य मंत्री,
निदेशक (महिला एवं बाल विकास विभाग) और केंद्रीय महिला एवं
बाल विकास मंत्री को पत्र भी लिखे थे ,
जिसमे उन्होने अपनी सारी परेशानियों को सरकार के समक्ष पेश
किया। लेकिन इसके बावजूद भी न तो दिल्ली सरकार न ही केंद्र सरकार उनकी मदद के लिए
आगे आई। हड़ताल पर बैठी आँगनवाड़ी की महिलाओं का कहना है कि उनकी हड़ताल केवल दिल्ली
सरकार ही नहीं है बल्कि केंद्र की मोदी सरकार की आँगनवाड़ी महिला विरोधी नीतियों के
ख़िलाफ़ भी है। दिल्ली के मुख्य मंत्री ने 2015 में लिखित में आँगनवाड़ी की महिलाओं की सभी मांगो को बिना किसी शर्त के कबूल
किया था लेकिन वो अपने सभी वादों से एक-एक कर के मुकरती आयी है। इसीलिए मजबूरबन
दिल्ली की आँगनवाड़ी की महिलाओं को फिर से सडकों पर उतरना पड़ रहा है। हड़ताल पर बैठी
आँगनवाड़ी की महिलाओं की मुख्य माँगें इस प्रकार हैं:
1.
निष्कसित आँगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को काम पर वापिस
लिया जाए।
2
. केजरीवाल सरकार द्वारा वेतन में बढ़ोतरी के वादें को तुरंत
पूरा किया जाए जिसके तहत एक वर्कर को आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा घोषित कुशल
मज़दूर जितनी न्यूनतम मज़दूरी (16,182 रु/महीने ) और हेल्पर को अर्ध कुशल मज़दूर जितना न्यूनतम वेतन (14,698
रु/महीने) दिया जाए।
3
. आंगनवाड़ी की महिलाओं को श्रमिकों का दर्जा दिया जाए ताकि वह
भी सभी श्रम कानूनी द्वारा दिए जाने वाले अधिकारों और सुविधाओं की हक़दार हो।
4
. आँगनवाड़ी में आधारभूत संरचना को मज़बूत किया जाए ताकि लोग
अपने बच्चों को महंगे प्राइवेट प्ले वे स्कूलों की जगह आँगनवाड़ी में भेजे।
5.
आँगनवाड़ी में दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता को दुरुस्त
किया जाए और बच्चों को पौष्टिक आहार मुहैया कराया जाए।
6
. सबला स्कीम के भत्ते का भुगतान नियमित रूप से किया जाए।
7
. आँगनवाड़ी की महिलाओं को ग्रीष्म और शीत कालीन अवकाश दिए
जाए।
8
. हर माह की 10 तारिक तक वेतन का भुगतान किया जाए।
9
. आंगनवाँड़ी बीमा योजना सक्रियता से लागु की जाय।
10.
सुपरवाइजर के पद पर नियुक्ति के लिए आँगनवाड़ी वर्करों और
हेल्परों में से ही चायन किया जाए।
(दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी
वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की ओर से जारी विज्ञप्ति)
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