काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लगातार हो रही छेड़खानी के विरोध में सिंह द्वार पर पिछले 28घंटे से चल रहा है छात्राओं का धरना। छात्राओं के तीखे तेवर देखकर जिला प्रशासन ने बदला प्रधानमंत्री के दुर्गा मंदिर जाने का पूर्व निर्धारित रास्ता।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की छात्राओं ने शुुक्रवार की रात संस्कृति के नाम पर संघी कुलपति गिरीश चंंद्र त्रिपाठी द्वारा थोपी गई पाबंदियों को तोड़ दिया और छेड़खानी के विरोध मेें पूरी रात धरना प्रदर्शन किया। रात में ही छात्राओं ने कुलपति के आवास का घेराव किया। उधर विश्वविद्यालय परिसर में लगातार छेड़खानी से परेशान छात्राओं के तीखे तेवर देख जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूर्व निर्धारित रास्ता ही बदल दिया जो बीएचयू के सिंह द्वार से दो बार गुजरना था।
जिला प्रशासन द्वारा रास्ता बदलने पर प्रधानमंत्री ने उफ तक नहीं की और दूसरे रास्ते से दुर्गा कुंड स्थित दुर्गा देवी की दर्शन कर वापस हो लिए। उन्होंने नवरात्रि में दुर्गा और चंडी के आक्रोश का रूप धारण करने वाली बीएचयू की छात्राओं से बात करना भी मुनासिब नहीं समझा जबकि वे वाराणसी के सांसद भी हैं। बेटियों के पढ़ने और बढ़ने का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी उनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया।
गौरतलब है कि बृहस्पतिवार की शाम करीब छह बजे कुछ छात्रों ने त्रिवेणी हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा के साथ छेड़खानी कर दी। उसने इसकी तत्काल शिकायत पास में खड़े सुरक्षाकर्मियों से की लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद वह कुछ छात्राओं के साथ प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराने पहुंची जहां उनके साथ बदतमिजी की गई। इससे नाराज छात्राओं ने शुक्रवार की सुबह छह बजे लंका स्थित बीएचयू के सिंह द्वार को जाम कर दिया और धरने पर बैठ गईं। देखते ही देखते छात्राओं की संख्या पांच सौ के पार पहुंच गई। छात्राओं के इस आंदोलन में छात्र भी कूद पड़े। इससे प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे और उन्होंने वहां भारी संख्या में फोर्स तैनात कर दी। शहर में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मौजूदगी होने की वजह से जिला प्रशासन कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता था, इसलिए उसने पीएसी और आरएएफ की दो कंपनियों तक की तैनाती कर दी। उधर, छात्राएं कुलपति को हटाने और प्राक्टोरियल बोर्ड के गैर-जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर हटी रहीं। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनका धरना समाप्त कराने की बहुत कोशिश की लेकिन वे टस से मस नहीं हुईं। छात्राओं की मांग थी कि कुलपति मौके पर आकर कम से कम उनकी सुरक्षा का आश्वासन दें और प्राक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों और आरोपी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करें लेकिन कुलपति नहीं आए। सूत्रों की मानें तो छात्राओं के धरने की खबर मिलते ही कुलपति विश्वविद्यालय छोड़कर फरार हो गए थे।
प्रोटोकाल और जिला प्रशासन की तैयारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री को दुर्गा कुंड स्थित दुर्गा मंदिर जाने के लिए लंका चौराहे से दो बार गुजरना था। प्रशासन ने इसकी तैयारियां भी कर ली थी लेकिन छात्राओं के तेवर देखकर ऐन मौके पर प्रधानमंत्री का मार्ग ही बदल दिया। इसके बावजूद छात्राएं लंका स्थित सिंह द्वार पर धरना देती रहीं और अपनी मांग पर डंटी रहीं। छात्राओं के धरने को 21 घंटे हो चुके हैं और उनका धरना लगातार जारी है लेकिन विश्वविद्यालय का कोई उच्चाधिकारी उनसे मिलने मौके पर नहीं पहुंचा। जिला प्रशासन ने भी धरनारत छात्राओं और विश्विविद्यालय प्रशासन के बीच मध्यस्थता कर मामले को खत्म करनी की कोशिश नहीं की। बता दें कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने नवीन और त्रिवेणी छात्रावासों में ताला जड़वा दिया था जिसे छात्राओं ने तोड़ दिया और धरने में शामिल हुईं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you for comment