वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शनिवार की रात कुलपति लॉज के सामने आंदोलनकारी छात्राओं पर कुलपति के निजी गुंडों (सुरक्षाकर्मी) ने ही पहले लाठियां बरसाई थीं जिसमें करीब आधा दर्जन छात्र एवं छात्राएं घायल हो गये। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को सूचना देकर भारी संख्या में पुलिस फोर्स बुलाई। कुछ ही देर में जिलाधिकारी सैकडों की संख्या में पुलिस फोर्स लेकर लंका स्थित सिंह द्वार पर धरना दे रही छात्राओं समेत छात्रों और मीडियाकर्मियों पर टूट पड़े। कुछ ही देर में सिंह द्वार खाली हो गया और छात्राओं को महिला महाविद्यालय की चहारदीवारी के अंदर कैद कर दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के अंदर मौजूद विश्ववसनीय सूत्रों की मानें तो छात्राओं के आंदोलन को खत्म कराने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्य आरक्षाधिकारी समेत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कुछ पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से ये रणनीति बनाई थी।
एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय के कुलपति और संघ कार्यकर्ता गिरीश चंद्र त्रिपाठी के हठ ने शनिवार की रात महामना की शिक्षा की बगिया को हिंसा और आग के हवाले कर दिया। विश्वविद्यालय परिसर में आये दिन होने वाली छेड़खानी और उसमें प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गैर-जिम्मेदाराना भूमिका से परेशान त्रिवेणी और नवीन छात्रावासों की छात्राएं लंका स्थित सिंह द्वार पर धरना देकर कुलपति से सुरक्षा का आश्वासन मांग रही थीं लेकिन विश्वविद्यालय के शीर्ष अभिभावक ने उनकी एक न सुनी।
नाम न छापने की शर्त पर अपना बयान देने वाली धरनारत कुछ छात्राओं ने बताया कि कुलपति और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग विश्वविद्यालय में अध्ययनरत कुछ छात्राओं और छात्रों की मदद से कई बार हमारे आंदोलन में फूट डालने और हिंसा पैदा करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे सफल नहीं हुए। इसके लिए उन्होंने कुलपति से वार्तालाप की भ्रामक सूचना भी हम लोगों के बीच फैलाई। जब छात्राएं कुलपति से मिलने महिला महाविद्यालय पहुंचीं तो उन्होंने मीडिया की उपस्थिति में बात करने से मना कर दिया और वे मिले भी नहीं। इसके बाद छात्राएं जब उनसे मिलने कुलपति लॉज पहुंची तो वहां भी उन्होंने बात-चीत करने से मना कर दिया। इसके बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोगों ने हम पर हमला बोल दिया। उन्होंने लाठी-डंडों से हमें पीटा जिसमें कई लड़कियां और लड़के घायल हो गए। एक लड़की को गंभीर चोटें आईं जिसका इलाज ट्राम सेंटर में कराया गया। उधर, कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने छात्राओं पर लाठीचार्ज की सूचना से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने मीडिया से कहा कि किसी पर भी लाठीचार्ज नहीं हुआ है।
एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय के कुलपति और संघ कार्यकर्ता गिरीश चंद्र त्रिपाठी के हठ ने शनिवार की रात महामना की शिक्षा की बगिया को हिंसा और आग के हवाले कर दिया। विश्वविद्यालय परिसर में आये दिन होने वाली छेड़खानी और उसमें प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गैर-जिम्मेदाराना भूमिका से परेशान त्रिवेणी और नवीन छात्रावासों की छात्राएं लंका स्थित सिंह द्वार पर धरना देकर कुलपति से सुरक्षा का आश्वासन मांग रही थीं लेकिन विश्वविद्यालय के शीर्ष अभिभावक ने उनकी एक न सुनी।
नाम न छापने की शर्त पर अपना बयान देने वाली धरनारत कुछ छात्राओं ने बताया कि कुलपति और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग विश्वविद्यालय में अध्ययनरत कुछ छात्राओं और छात्रों की मदद से कई बार हमारे आंदोलन में फूट डालने और हिंसा पैदा करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे सफल नहीं हुए। इसके लिए उन्होंने कुलपति से वार्तालाप की भ्रामक सूचना भी हम लोगों के बीच फैलाई। जब छात्राएं कुलपति से मिलने महिला महाविद्यालय पहुंचीं तो उन्होंने मीडिया की उपस्थिति में बात करने से मना कर दिया और वे मिले भी नहीं। इसके बाद छात्राएं जब उनसे मिलने कुलपति लॉज पहुंची तो वहां भी उन्होंने बात-चीत करने से मना कर दिया। इसके बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोगों ने हम पर हमला बोल दिया। उन्होंने लाठी-डंडों से हमें पीटा जिसमें कई लड़कियां और लड़के घायल हो गए। एक लड़की को गंभीर चोटें आईं जिसका इलाज ट्राम सेंटर में कराया गया। उधर, कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने छात्राओं पर लाठीचार्ज की सूचना से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने मीडिया से कहा कि किसी पर भी लाठीचार्ज नहीं हुआ है।
अगर शनिवार की रात करीब 11 बजे की बात करें तो सिंह द्वार पर और कुलपति लॉज के सामने छात्राओं पर बल का प्रयोग किया गया था। पुलिस और पीएसी के जवानों की बातों पर विश्वास करें तो कुलपति लॉज पर छात्रों और छात्राओं पर बल प्रयोग के समय वे वहां मौजूद नहीं थे। नाम न छापने की शर्त पर पुलिस विभाग के एक सिपाही ने स्पष्ट किया कि खाकी वर्दी में प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोगों ने छात्रों पर लाठियां भांजी जिसमें एक लड़की गंभीर रूप से घायल हो गई है जबकि तीन लड़कों को चोटें आईं।
अगर लंका स्थित सिंह द्वार पर मौजूद पत्रकार सिद्धांत मोहन की बातों पर विश्वास करें तो शनिवार की रात करीब 11 बजे जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक ने मय फोर्स के साथ धरनारत छात्राओं और छात्रों पर लाठीचार्ज किया। इससे कुछ ही देर में सिंह द्वार खाली हो गया। इस दौरान पुलिस वालों ने मीडियाकर्मियों को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें भी पुलिस वालों ने पीटा।
लाठीचार्ज की सूचना मिलते ही त्रिवेणी और नवीन छात्रावासों की छात्राएं महिला महाविद्यालय के सामने सड़क पर आ गईं और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगीं। पुलिस फोर्स ने उनपर बल प्रयोग कर उन्हें महिला महाविद्यालय की गेट के अंदर किया। कुछ ही देर में फिर छात्राएं बाहर आ गईं जिसमें से दो छात्राओं को गंभीर चोटें लगी थीं। छात्राओं का आरोप था कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने उन पर लाठियां चलाईं जिससे उनके सिर और पैर में चोटें लगीं। उन्होंने बताया कि इस दौरान पुलिसवालों ने छात्रावास के वार्डन को भी नहीं बख्सा। उन्होंने उनपर भी लाठियां चलाईं। कुछ देर बाद सड़क पर प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर पुलिसवालों ने फिर लाठियां भांजी। छात्राओं ने आरोप लगाया कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिला महाविद्यालय के अंदर घूंसकर उन्हें लाठियों से पीटा जिसमें कई छात्राएं घायल हो गईं।
दूसरी ओर होल्कर हाउस से लेकर बिड़ला छात्रावास तक पुलिस फोर्स और छात्रों के बीच ईंट-पत्थर चलते रहे। इस दौरान करीब 10 धमाकों की आवाजें सुनाईं दी। आगजनी भी होती रही। पुलिस फोर्स हवाई फायरिंग और रबर की गोलियां दागते हुए छात्रों को बिड़ला हास्टल तक खदेड़ रही थी। कुछ ही देर में जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हॉस्टल पहुंचे। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति को बुलाया। उनके हास्टल पहुंचने तक रास्ते में छात्रों और पुलिसवालों के बीच ईंट-पत्थर चलते रहे। कुलपति के पहुंचने के बाद जिलाधिकारी ने उनसे वार्ता की। फिर उन्होंने छात्रों से वार्ता करने की कोशिश की। कुछ देर बाद कुछ पुलिस फोर्स वापस होने लगी क्योंकि लंका चौराहे पर उपद्रवियों ने पुलिस चौकी में तोड़फोड़ करने के साथ तीन बाइकों में आग लगा दी थी। साथ ही कई मोटरसाइकिलों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। फायर ब्रिगेट ने जल्द ही आग पर काबू पा लिया। करीब पौने दो बजे तक छात्रों और पुलिस के बीच गोरिल्ला युद्ध चलता रहा। इसके बाद मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण पर मौके जायजा लेने विश्वविद्यालय पहुंचे। करीब तीन बजे तक पुलिस फोर्स और छात्रों के बीच संघर्ष का दौर चलता रहा।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि लंका चौराहे पर जिस समय मोटरसाइकिलें जल रहीं थी, उसी दौरान वहां से करीब 25 मीटर की दूरी पर करीब 20 छात्रों का गुट बीएचयू अस्पताल के छोटे वाले गेट के पास बैठा था। इनमें से कुछ छात्र चेहरे पर रुमाल बांध रखे थे। शेष ने अपने चेहरे नहीं ढके थे। इसमें से कुछ कैंपस परिसर में अक्सर घूमते हुए दिखाई देते हैं। इनमें से कुछ दुकानदारों से चंदा वसूलते भी दिखाई दे जाते हैं। ये सभी बड़ी ही इत्मिनान से वहां बैठे थे। देखने से ऐसा लगता था कि इन्हें पुलिस प्रशासन का कोई खौफ नहीं था। यहां यह प्रबल संभावना है कि लंका चौराहे पर जो मोटरसाइकिलें फूंकी गईं थी, उनमें कहीं न कहीं इनका हाथ हो सकता है। ऐसा इसलिये भी संभव है कि पुलिस फोर्स ने करीब 11 बजे ही सिंह द्वार आंदोलनरत छात्राओं और छात्रों से खाली करा दिया था। जहां छात्राओं को महिला महाविद्यालय के गेट में कैद कर दिया था, वहीं आंदोलकारी छात्र कैंपस के अंदर सर सुंदर लाल अस्पताल के गेट और विभिन्न भवन परिसरों के अंदर से पुलिस फोर्स से मोर्चा ले रहे थे। फोर्स पहुंचने के बाद करीब 1 बजे वे शांत हो गए थे या फिर छात्रावासों की पनाह ले ली थी।
विश्वविद्यालय प्रशासन में विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो प्रॉक्टोरियल बोर्ड और उसके सुरक्षाकर्मियों द्वारा शनिवार की रात छात्राओं में फूंट डालकर उनपर एक रणनीति के तहत लाठीचार्ज किया गया जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और हिन्दू युवा वाहिनी के कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल थे। सूत्र ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन एबीवीपी के माध्यम से पहले आंदोलन का नेतृत्व करना चाहता था लेकिन वह सफल नहीं हुआ। फिर वह एबीवीपी और हिन्दू युवा वाहिनी के माध्यम से आंदोलन को खत्म कराना चाहता था लेकिन छात्राओं की रणनीति की वजह से वे सफल नहीं हुए। अंत में प्रॉक्टोरियल बोर्ड के कुछ अधिकारियों और एबीवीपी के कुछ पदाधिकारियों ने रणनीति के तहत कुलपति के मिलने की भ्रामक सूचना धरनारत छात्राओं में फैलाकर उन्होंने दो गुटों में तोड़ दिया और कुलपति लॉज के सामने ले गए। इसके बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोगों ने उनपर हमला बोल दिया। इसकी सूचना पर छात्रों के उग्र के रूप को देकर कुलपति ने विश्वविश्वविद्यालय में फोर्स बुला ली और फिर क्या हुआ आप जानते ही हैं।
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