विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार ने की थी नियुक्तियों में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने की शिकायत।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में विभिन्न पदों पर होने वाली नियुक्तियों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्यों को संवैधानिक प्रतिनिधित्व नहीं दिये जाने को अनुसूचित जनजाति आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने पिछले दिनों बीएचयू के कुलपति, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर सुबूतों के साथ जवाब मांगा है। साथ ही आयोग ने निर्धारित समय में जवाब नहीं मिलने पर संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी करने की चेतावनी भी दी है। आयोग ने ये नोटिस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार की शिकायत पर जारी किया है।
अहिरवार ने गत 22 अगस्त को आयोग से शिकायत की थी कि बीएचयू प्रशासन इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या करके टेंटेटीव रोस्टर (अस्थायी रोस्टर) के माध्यम से गैरकानूनी ढंग से स्थाई नियुक्तियां कर रहा है। इसकी जांच पिछड़े वर्गों की संसदीय समिति भी कर रही है। अहिरवार ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए पूर्व में निर्धारित सीटों को सामान्य और अनारक्षित कर अपने चहेतों की भर्ती नियम विरुद्ध कर रहा है।
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