रविवार, 10 दिसंबर 2017

RSS की फर्जी नियुक्तियों का खेल, पूर्व DIOS और दो पूर्व पत्रकारों समेत 12 पर FIR दर्ज

अवैधानिक रूप से नियुक्त लिपिक और शिक्षकों में हिन्दू युवा वाहिनी के पदाधिकारियों के रिश्तेदारों का नाम शामिल। फर्जी नियुक्ति के मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक हरिश्चंद्र त्रिपाठी उर्फ हरीश जी का जुड़ रहा नाम।

शिव दास और अश्विनी सिंह की संयुक्त रिपोर्ट

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अयोग्य लोगों की नियुक्तियों के बाद अब सरकारी सहायता प्राप्त संस्कृत महाविद्यालयों और संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो दर्जन से ज्यादा शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला सामने आया है। हालांकि सोनभद्र के जिला विद्यालय निरीक्षक ने गत माह की आखिरी तारीख को रॉबर्ट्सगंज कोतवाली में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक और दो पूर्व पत्रकारों समेत कुल एक दर्जन लोगों के खिलाफ ही जाली शासनादेश तैयार कर फर्जीवाड़ा करने और सरकारी धन का गबन करने समेत विभिन्न आरोपों में प्राथमिकी दर्ज कराया है। आरोपियों में सोनभद्र के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात आशुलिपिक और लेखाकार समेत राबर्ट्सगंज संस्कृत माध्यमिक विद्यालय और राष्ट्रीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय तरावां के कुल आठ सहायक अध्यापकों के नाम भी शामिल हैं। एफआईआर में दर्ज नामों में हिन्दू युवा वाहिनी और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों के रिश्तेदारों के नाम भी हैं। उपलब्ध दस्तावेज और आरोपों की मानें तो इन फर्जी नियुक्तियों के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत इकाई से संबद्ध सोनभद्र इकाई के पूर्व प्रचारक का हाथ है जो रॉबर्ट्सगंज स्थित रॉबर्ट्सगंज संस्कृत महाविद्यालय में फर्जी ढंग से प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति पाई है।

प्रभुराम चौहान, फोटोः वनांचल एक्सप्रेस
सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, जिला विद्यालय निरीक्षक राज शेखर सिंह ने गत 30 नवंबर को कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक प्रभुराम चौहान (अब प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, औरैया), आशुलिपिक अतुल श्रीवास्तव, लेखाकार अशोक कुमार, रॉबर्ट्सगंज संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक और राष्ट्रीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय तरावां सोनभद्र के प्रबंधक पर अवैध ढंग से नियुक्त लिपिक एवं शिक्षकों से मिलीभगत कर कूटरचित शासनादेश तैयार करने और इसके आधार पर वेतन भुगतान प्राप्त करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने इस संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित करने करने की तहरीर दी।


तहरीर में साफ लिखा है कि रॉबर्ट्सगंज संस्कृत माध्यमिक विद्यालय में कनिष्ठ लिपिक मनोज चतुर्वेदी, सहायक अध्यापकगण मिन्टी मिश्रा, विजेंद्र द्विवेदी, मनोज चतुर्वेदी तथा राष्ट्रीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय तरावां में नियुक्त सहायक अध्यापकगण शेषनाथ तिवारी, श्याम सुन्दर सिंह, कौशलेंद्र (कौशलेंद्र पांडेय), अंकुश श्रीवास्तव की अवैधानिक नियुक्ति की गई थी। उक्त विद्यालयों के प्रबंधकों ने गत 17 फरवरी को अवैधानिक रूप से नियुक्त लिपिक और सहायक अध्यापकों के वेतन भुगतान के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र लिखा था। इसी क्रम में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक प्रभुराम चौहान ने गत 17 मार्च को उत्तर प्रदेश शासन के संयुक्त सचिव को आख्या प्रेषित की जिनका पत्रांक दोनों कार्यालयों की डिस्पैच पंजिका में दर्ज नहीं है। इस प्रेषित आख्या के क्रम में शासन का कूटरचित पत्र बनाकर या बनवाकर शासन के पत्र संख्या-391, 392 व 393/स0स0मा0शि0/2017, शिक्षा अनुभाग-9, लखनऊ, दिनांक-27 मार्च 2017 की छायाप्रति पर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक ने गत 4 अप्रैल को शिविर को आपराधिक षडयंत्र के तहत मार्क किया। इसके आधार पर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक प्रभुराम चौहान ने गत 19 मई को अवैधानिक रूप से नियुक्त कनिष्ठ लिपिक और सहायक अध्यापकों के वेतन भुगतान से संबंधित पत्र निर्गत किया गया। ये पत्र कार्यालय के आशुलिपिक अतुल श्रीवास्तव के पटल से व्यवहृत किया गया है जबकि इस तरह का कोई पत्र शासन से निर्गत नहीं है। इन्ही पत्रों के आधार पर अवैधानिक रूप से नियुक्त कनिष्ठ लिपिक और सहायक अध्यापकों के खातों में मार्च 2016- जून 2016 तक का वेतन भुगतान करा दिया गया।

जिला विद्यालय निरीक्षक राज शेखर सिंह ने आरोप लगाया है कि उक्त लोगों ने कपटपूर्वक आशय से मिलीभगत कर छल के प्रयोजन से मिथ्या व कूटरचित शासनादेश की रचना किया और यह जानते हुए कि शासनादेश कूटरचित है, उसे सही के रूप में प्रयोग कर शासकीय धन का भुगतान कर गबन करने के संबंध में दाखिया किया। जिला विद्यालय निरीक्षक की उक्त तहरीर पर रॉबर्ट्सगंज कोतवाली पुलिस ने भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा-419 (प्रतिरूपण द्वारा छल), 420 (धोखाधड़ी), 468 (जाली दस्तावेजों की रचना कर धोखाधड़ी) और 471 (जाली दस्तावेजों को सही रूप में प्रयोग कर धोखाधड़ी) के तहत उक्त 12 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया है। साथ ही पुलिस ने इस मामले की विवेचना दारोगा राज नारायण यादव को सौंप दिया है।

आलोक चतुर्वेदी, फोटो साभारः फेसबुक
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मामले में आरोपी कनिष्ठ लिपिक मनोज चतुर्वेदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य और भाजपा कार्यकर्ता आलोक चतुर्वेदी का भाई है। वहीं, आरोपी सहायक अध्यापक कौशलेंद्र पांडेय और मनोज चतुर्वेदी पूर्व पत्रकार हैं। कौशलेंद्र दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान और अमर उजाला के सोनभद्र ब्यूरो में बतौर रिटैनर कार्य कर चुके हैं जबकि मनोज चतुर्वेदी सोनभद्र में टीवी न्यूज चैनल न्यूज24 के स्ट्रिंगर थे। आरोपी सहायक अध्यापक मिन्टी मिश्रा उर्फ मिन्टी पांडेय हिन्दू युवा वाहिनी के कथित कार्यकारी जिलाध्यक्ष उपेंद्र पांडेय की पत्नी हैं। वहीं, आरोपी सहायक अध्यापकगण स्वाति दीपिका श्रीवास्तव और अंकुश श्रीवास्तव जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात आशुलिपिक अतुल श्रीवास्तव की क्रमशः पत्नी और साले हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो इन असंवैधानिक नियुक्तियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के प्रभावशाली कार्यकर्ता और रॉबर्ट्सगंज संस्कृत महाविद्यालय में प्रवक्ता हरिश्चंद्र त्रिपाठी उर्फ हरीश जी का हाथ है। हरीश पूर्व में सोनभद्र में आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं। इस संबंध में जब हरिश्चंद्र त्रिपाठी के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जांच होगी तो मामला सामने आ जाएगा। साथ ही उन्होंने पास में मौजूद और मामले में आरोपी सहायक अध्यापक कौशलेंद्र पांडेय को मोबाइल पकड़ा दिया। कौशलेंद्र पांडय ने इस प्रकरण में खुद को मीडिया पर्सन बताते हुए कहा कि वेबसाइट को वर्जन नहीं दिया जाता है और फोनकर हरिश्चंद्र को प्रताड़ित नहीं किया करें। इसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग वनांचल एक्सप्रेस के पास मौजूद है। इससे एक बात साफ है कि इन फर्जी नियुक्तियों में कहीं न कहीं हरिश्चंद्र त्रिपाठी का भी हाथ है।
बाएं से दूसरा हरिश्चंद्र त्रिपाठी उर्फ हरीश जी और तीसरा आलोक चतुर्वेदी। फोटो साभार-फेसबुक
गौरतलब है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति को लेकर जांचें चल रही हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी भी अपने विदाई समारोह में अयोग्य लोगों की नियुक्तियों की बात स्वीकार कर चुके हैं। नागरिक समाज इन फर्जी नियुक्तियों को लेकर आए दिन धरना प्रदर्शन कर रहा है।

(नोटः वनांचल एक्सप्रेस शिक्षण संस्थाओं में फैले भ्रष्टाचार पर पूर्व से ही क्रमबद्ध खबरें प्रकाशित कर रहा है। अब वनांचल एक्सप्रेस शिक्षण संस्थाओं और सरकारी विभागों में फर्जी नियुक्तियों से संबंधित क्रमबद्ध विशेष रपटें प्रकाशित करने जा रहा है। यह इसकी पहली कड़ी है। जल्द ही इसकी दूसरी कड़ी भी आपको पढ़ने को मिलेगी-संपादक) 

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