नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में बंद हैं बाल्य रोग विशेषज्ञ डॉ. कफीन खान
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गोरखपुर स्थित बी.डी. मेडिकल कॉलेज के बाल्य रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान पर रासुका (एनएसए) लगाए जाने को गैर-कानूनी करार दिया है। न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और सौमित्र दयाल सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने डॉ. कफील खान के खिलाफ रासुका के तहत की गई पुलिसिया कार्रवाई को रद्द कर दिया है और उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
डॉ. कफील खान पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन पर रासुका लगा कर गिरफ्तार कर लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज उन्हें जमानत दे दी। साथ ही बेंच ने डॉ. कफील को तुरंत रिहा करने के भी आदेश दिए हैं और उन पर लगी रासुका को भी हटा दिया है।
हाईकोर्ट का यह आदेश डॉ. खान की मां के द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और तुरंत रिहाई की जाए।
गौरतलब है कि सीएए को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी, 2020 को कफील खान को रासुका में निरुद्ध करने का आदेश दिया था। यह अवधि दो बार बढ़ाई जा चुकी है। याचिका में निरूद्धि की वैधता को चुनौती दी गई है। हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था। जेल में रहते हुए रासुका तामील कराया गया है।
याची ने डॉ. कफील खान की रासुका को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए तय करने का आदेश दिया है। इस मामले में प्रदेश सरकार और याची के सीनियर वकील द्वारा पहले भी कई बार समय मांगा गया था।
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