भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली मोदी सरकार के हठ से किसान आंदोलन में अब तक पांच मौतें हो चुकी हैं! इनमें से चार किसान थे। वहीं, पंजाब की कांग्रेस सरकार के मुखिया अमरिन्दर सिंह ने मृतक किसानों के परिजनों को पांच-पाच लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। पढ़िए जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की यह रिपोर्टः
किसान आंदोलन में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से चार मौतें बहादुरगढ़ में धरने पर बैठे किसानों की हुई हैं। बताया जा रहा है कि इनमें तीन किसानों की मौत बीमार होने से हुई हैं जबकि किसानों का ट्रैक्टर ठीक करने आए एक ट्रैक्टर मकैनिक की मौत उसकी स्वीफ्ट कार में आग लगने से हो गई थी।
ताजा मामला किसान लखबीर सिंह की मौत का है। भटिंडा निवासी 50 वर्षीय लखबीर सिंह टीकरी बार्डर से बाईपास तक डेरा डाले किसानों के जत्थे में शामिल थे। बताया जा रहा है कि बुधवार की रात को लखबीर की तबियत बिगड़ गई। उनके सीने में पीड़ा हुई थी। किसान उन्हें सिविल अस्पताल में ले गए। यहां से उन्हें पीजीआईएमएस रोहतक रैफर कर दिया। बृहस्पतिवार की सुबह किसान लखबीर ने दम तोड़ दिया।
इससे पहले 2 दिसंबर, बुधवार को दिल्ली सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन में अचानक तबियत बिगड़ने से 55 वर्षीय किसान नेता गुरजंट सिंह पुत्र राम सिंह का निधन हो गया। वह पंजाब के मानसा जिले के बछोआना के रहने वाले थे। वह भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां से जुड़े थे। गुरजंट सिंह किसान आंदोलनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे और अपने गांव के किसान नेता भी थे।
इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह दयालपुरा और मानसा के अध्यक्ष राम सिंह भैणीवाघा ने मीडिया को बताया कि गुरजंट सिंह गांव बछोआना के रहने वाले थे। पिछले दिनों वह कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में शामिल हुए और खनौरी बॉर्डर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे।
26 नवंबर को अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद गंभीर हालत में उन्हें बहादुरगढ़ लाया गया। इसके बाद उन्हें हिसार और फिर टोहाना इलाज के लिए रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि मृतक का बुढलाडा के गांव बछोआना में गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन में किसान अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन मोदी सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है। उन्होंने मांग की है कि आंदोलन में शहीद होने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
इससे पहले 28 नवम्बर की रात को ट्रैक्टर मैकेनिक जनकराज की कार में जलने से मौत हो गई थी। दिल्ली कूच करने के लिए चले पंजाब के किसानों के ट्रैक्टर ठीक करने आए मैकेनिक की स्विफ्ट कार में रात को आग लग गई। और वह कार के अंदर ही जिंदा जल गया। सुबह पता चलने पर पुलिस ने पहुंचकर शव को गाड़ी से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। पुलिस अधीक्षक राजेश दुग्गल के मुताबिक जनकराज धनवाला मंडी निवासी अपने साथी किसानों हरप्रीत, गुरप्रीत व गुरजंट सिंह के साथ शनिवार रात करीब 11:30 बजे बहादुरगढ़ आया था। वह आंदोलन में शामिल किसानों के ट्रैक्टरों की मरम्मत करने के लिए आया था। रात को सभी अपने-अपने ठिकाने पर सोने चले गए। रात करीब 1:30 बजे गाड़ी में शार्ट सर्किट के कारण अचानक आग लग गई। उसके साथियों और वहां पर मौजूद किसानों ने कोशिश कर आग बुझा दी लेकिन आग से ज्यादा झुलसने के कारण जनकराज की गाड़ी के अंदर ही मौत हो गई।
वॉटर कैनन में भीगने से हुई गज्जन सिंह की मौत
गत 29 नवंबर को टीकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे गज्जन सिंह की देर रात दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। बहादुरगढ़ बाईपास पर न्यू बस स्टैंड के पास उनकी मौत हुई। गज्जन सिंह लुधियाना समराला के खटरा भगवानपुरा गांव के रहने वाले थे और उनकी उम्र करीबन 50 साल थी।
गज्जन सिंह की अचानक तबियत खराब हो गई। भारतीय किसान यूनियन भाकियू सदस्य उन्हें बहादुरगढ़ के अस्पताल में ले गए, जहां मृत करार दे दिया गया। किसान गज्जन सिंह की मौत के मामले में कल तक उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था। उनके स्वजन और किसान शहीद का दर्जा देने, उसके बराबर का मुआवजा देने, राज घाट पर अंतिम संस्कार और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। सिविल अस्पताल के बाहर धरना दिया जा रहा है। बहादुरगढ़ के एसडीएम उनके पास पहुंचे तो यूनियन ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक केंद्र सरकार उचित मुआवजा नहीं दे देती तब तक संस्कार नहीं किया जाएगा।
वहीं भारतीय किसान यूनियन भाकियू (सिद्धूपुर) के हरदीप सिह ग्यासपुरा ने केंद्र व हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें दिल्ली धरने पर जाने से रोकने के लिए वाटर कैनन के साथ ठंडे पानी की बौछारें की गई। पानी में भीगने के कारण ही गज्जन सिंह की तबियत खराब हुई।
इससे पहले 18 नवंबर को लुधियाना के समराला रेलवे स्टेशन पर धरने पर बैठे किसान गुरमीत सिंह की भी हालत बिगड़ने से मौत हो चुकी है। 50 वर्षीय गुरमीत सिंह माछीवाड़ा का रहने वाला था।
वहीं आंदोलन के बिल्कुल शुरुआत में भिवानी में 27 नवंबर शुक्रवार को दिल्ली कूच कर रहे पंजाब के किसानों के जत्थे को लेकर आ रहे धन्ना सिंह की ट्रॉली को ट्रक ने टक्कर मार दी, इस दुर्घटना में पंजाब से आ रहे किसान धन्ना सिंह की मौत हो गई थी। हिसार से निकलने के बाद दिल्ली आने के क्रम में मुंढाल गांव के नजदीक यह घटना शुक्रवार की सुबह करीब चार बजे हुई थी। उस दिन जब किसान पंजाब से चलकर हरियाणा के दर्जनों बैरियर पार कर धीरे-धीरे दिल्ली की ओर बढ़ते आ रहे थे। किसान अपने साथ ट्रैक्टर ट्रॉली में राशन पानी लेकर चल रहे थे। जब किसानों का एक दल भिवानी जिले में प्रवेश कर रहा था तो यह हादसा हो गया। किसानों की ट्रैक्टर ट्राली को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे ट्रैक्टर में सवार 45 वर्षीय धन्ना सिंह नामक किसान की मौके पर ही मौत हो गई। धन्ना सिंह पंजाब के खयाली चेहला वाली गांव जिला मानसा थाना चनीर के निवासी थे।
अमरिंदर सिंह ने मृतक किसानों के परिजनों को 5 लाख देने का ऐलान किया
बृहस्पतिवार को जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध के दौरान मारे गए दो किसानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की वित्तीय सहायता मुहैया कराने की घोषणा की। मानसा जिले के बछोआना गांव के निवासी गुरजंट सिंह (60) की विरोध के दौरान दिल्ली के टिकरी बार्डर पर मौत हो गई थी और मोगा जिले के भिंडर खुर्द गांव के निवासी गुरबचन सिंह (80) की बुधवार को मोगा में प्रदर्शन के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दोनों किसानों की मौत पर शोक व्यक्त किया है।
अपने फेसबुक वॉल पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि “दिल्ली धरने में शामिल मानसा से गुरजंट सिंह जी और मोगा से गुरबचन सिंह जी के निधन की ख़बर से मन को दुख पहुंचा है। सरकार की तरफ से इनके परिवारों को वित्तीय सहायता और अन्य हर तरह की मदद मुहैया करवाई जाएगी। मेरी अरदास दिवंगत आत्माओं और उनके परिवारों के साथ हैं।”
(जनचौक से साभार)
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