वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। किसी भी समाज की स्थिति और दशा उस समाज का रोल मॉडल तय करता है। शिल्पकार कहे जाने वाली जातियों के पिछड़ने का मुख्य कारण यही है कि उन्होंने अपना रोल मॉडल काल्पनिक चुन लिया। रोल मॉडल काल्पनिक नहीं, समाज और इतिहास का सच्चा पुरुष होना चाहिए। कुम्हार समुदाय महान समाज सुधारक और जात-पात तोड़क मंडल के संस्थापक संतराम बी.ए. जैसे महापुरुषों को अपना रोल मॉडल चुने। तभी वास्तविक रूप में कुम्हार समुदाय का विकास हो पाएगा।
संगोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य देते डॉ. वरदानी प्रजापति |
यह कहना है उत्तर प्रदेश ग्राम विकास विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ० वरदानी प्रजापति का। वे गत रविवार को 'जात-पात तोड़क मंडल' के संस्थापक, प्रखर विद्वान, पंजाब विधान परिषद के पूर्व सदस्य, संपादक एवं प्रसिद्ध समाजसुधारक संतराम बी.ए. की 135वीं जयंती के मौके पर भीमचंडी गांव स्थित ब्रह्मर्षि विद्या मंदिर परिसर में आयोजित 'संतराम बी.ए. की दृष्टि में जाति, धर्म, संस्कृति और भारतीय समाज’ विषयक संगोष्ठी में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (PS4) और प्रजापति अंतर-विश्वविद्यालयी विद्यार्थी समूह (PIUS Group) ने संयुक्त रूप से किया था।
संगोष्ठी में उपस्थित लोग |
डॉ. वरदानी ने बाल्मिकी समाज और जाटव समाज का उदाहरण देते कहा कि एक ने बाल्मिकी को पकड़ा और वह पीछे रह गया जबकि दूसरे ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को पकड़ा और वह बहुत आगे बढ़ गया। उसने समुदाय के व्यक्ति को चार बार मुख्यमंत्री बनाया। इसलिए रोल मॉडल का चुनाव बहुत अहम है। कुम्हार समुदाय ने आज तक किसी को रोल मॉडल ही नहीं चुना है, इसलिए वह पीछे है। उन्होंने कुम्हार समाज को पांखडों से बचने की हिदायत देते हुए कहा कि आप लोग उन मॉडलों को छोड़िए जो कथा, प्रवचन और उपदेश देते हैं। इससे व्यक्ति विकास नहीं करता है. बल्कि गुलाम बनता है। समाज को विकास की ओर ले जाने के लिए जरूरत है कि हम उन रोल मॉडल का अनुकरण करें जो समाज में समानता और समरसता के लिए संघर्ष किये है, समाज नियंत्रण के लिए न्याय और दंड में विश्वास करते हैं।
संगोष्ठी के दौरान अपना वक्तव्य देते न्यायाधीश कमलापति प्रजापति |
इस मौके पर उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में कार्यरत न्यायाधीश कमलापति प्रजापति ने कहा कि समाज की कुरीतियों को दूर करने की जरूरत है। हम अपने पुरखों के विचार और व्यक्तित्व को जीवन में चरितार्थ करें। अपने जमात को किसी प्रकार का दंश न झेलना पड़े, इसके लिए हमें एक साथ खड़े होने की जरूरत है। हम एक साथ रहेंगे तभी किसी समस्या से निजात पा सकते हैं और विकास कर सकते हैं।
संगोष्ठी में अपनी बात रखते किशोर दुल्हेपुरा |
सोनभद्र के दुद्धी निवासी चिकित्सक एवं कवि डॉ0 लवकुश प्रजापति ने कहा कि नवजागरण काल में जब लोग छायावाद का अभियान चला रहे थे, तब महात्मा संतराम बी.ए. जाति को खत्म करने का प्रयास कर रहे थे। लोग उन्हें कुम्हार कहकर पुकारते थे और हिकारत की नजर से देखते थे। संतराम हमारे समाज के बहुत बड़े चिंतक और बुद्धिजीवी थे। उन्होंने भारतीय समाज के समक्ष मनुष्य के सामाजिक उत्थान के लिए उस समय एक वृहद सोच और सामाजिक दृष्टि भारतीय समाज को दिया, जब कानून उसके पक्ष में नहीं था। आज सबकुछ होने के बाद भी हमे वह चीज क्यों नहीं मिल रही है जो संतराम बी.ए. ने सौ साल पहले देने का काम किया।
संगोष्ठी में अपने विचार रखते डॉ. लवकुश प्रजापति |
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय के सहायक आचार्य डॉ. मुकेश मालवीय ने न्यायमूर्तियों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम प्रणाली पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जब न्याय के मंदिर में ही भ्रष्टाचार है, तो जनता को उचित न्याय कैसे मिलेगा? इसके लिए जरूरी है कि हम न्यायिक सेवा में कोलेजियम सिस्टम के खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कहा कि कोलेजियम सिस्टम वंचितों को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति बनने से रोकने के लिए ब्राह्मणों की एक चाल है।
संगोष्ठी के दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. वरदानी प्रजापति ने महान समाज सुधारक संतराम बी.ए. की लिखित आत्मकथा 'मेरे जीवन के अनुभव' का विमोचन भी किया। शाहजहांपुर स्थित संतराम बी.ए. फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. महेश प्रजापति ने कहा कि आर्य समाज की जड़ में साफ्ट हिंदुत्व की राजनीति काम करती थी। इसीलिए संतराम बी.ए. ने हिन्दूत्व राजनीति के खिलाफ बिगुल फूककर आर्य समाज से अलग हो गये। उन्होंने इस बात का उल्लेख अपनी आत्मकथा में किया है। साथ ही उन्होंने संतराम बी.ए. द्वारा लिखित अन्य पुस्तकों को पुनः प्रकाशित करने की बात कही।
महान समाज सुधारक संतराम बी.ए. की आत्मकथा 'मेरे जीवन के अनुभव' का विमोचन करते अतिथिगण |
संतराम बी.ए. फाउंडेशन की कोषाध्यक्ष एवं शिक्षिका अनिता प्रजापति ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। आप लोग समाज में योगदान देने के लिए अपनी बेटियों को शिक्षा जरूर मुहैया कराएं। जब तक बेटियां शिक्षित नहीं होंगी, तब तक समाज विकास नहीं कर पाएगा।
संगोष्ठी में वक्तव्य रखती अनिता प्रजापति |
संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं 'वनांचल एक्सप्रेस' के संपादक शिव दास ने कहा कि प्रसिद्ध समाज सुधारक संतराम बी.ए. ने 1922 में अपने करीब 22 साथियों के साथ 'जात-पात तोड़क मंडल' की स्थापना की थी। वे अंतरजातीय आधार पर रोटी-बेटी के संबंध के हिमायती थे ताकि रूढ़ीवादी समाज से जातिगत भेदभाव खत्म हो जाए। उन्होंने अंतरजातीय शादी और खान-पान के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था। उन्होंने 1936 में लाहौर में 'जात-पात तोड़क मंडल' के वार्षिक सम्मेलन में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को अध्यक्ष के रूप में आमंत्रित किया था लेकिन बाबा साहेब के भाषण में उल्लेखित कुछ बिन्दुओं को लेकर मंडल के कुछ सदस्यों की आपत्ति की वजह से सम्मेलन निरस्त हो गया। बाद में यही भाषण पुस्तक के रूप में 'जाति का उन्मूलन (Annihilation of Caste)' के नाम से प्रकाशित हुई जो बाबा साहेब की उत्कृष्ट कृति के रूप में जानी जाती है। संतराम बी.ए. ने डॉ. अंबेडकर के भाषण 'एनाइलेशन ऑफ कास्ट' का हिन्दी और उर्दू में अनुवाद कर इसे जन-जन तक पहुंचाया था। लोगों ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को तो याद रखा लेकिन संतराम बी.ए. जी को भुला दिया। जो व्यक्ति जात-पात मिटाने के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया, वहीं व्यक्ति अपनी मौत के बात जाति आधारित भेदभाव का शिकार हो गया। आज हम लोगों को उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए आगे आना पड़ा है।
उन्होंने आगे कहा कि संतराम बी.ए. अपने दौर में साहित्य जगत के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर भी थे। उनके साहित्यिक कद का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी किताब ‘काम-कुंज’ (1929) का संपादन तत्कालीन वरिष्ठ कथाकार मुंशी प्रेमचन्द ने किया था। इसे लखनऊ के मुंशी नवलकिशोर प्रेस ने छापा था। संतराम बी.ए. एक अच्छे अनुवादक भी थे। इन्होंने ‘अलबेरूनी का भारत’ का अनुवाद किया था जिसे प्रयाग स्थित इन्डियन प्रेस ने चार भागों में प्रकाशित किया था। इसके अलावा संतराम बी.ए. ने ‘गुरूदत्त लेखावाली’ (1918), ‘मानव जीवन का विधान’ (1923), ‘इत्सिंग की भारत यात्रा’(1925), ‘अतीत कथा’(1930), ‘वीरगाथा’(1927), ‘स्वदेश-विदेश-यात्रा’ (1940), ‘उद्बोधनी’ (1951), ‘पंजाब की कहानियाँ’ (1951), ‘महाजनों की कथा’ (1958) समेत करीब करीब 100 पुस्तकें लिखी थीं। इनमें एक उनकी आत्मकथा ‘मेरे जीवन के अनुभव’(1963) भी शामिल है। इसके बावजूद साहित्यिक जगत ने उनकी उपेक्षा कर दी। देश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने शासन किया लेकिन किसी ने भी संतराम बी.ए. के विचारों को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया। इससे राजनीतिक पार्टियों और सरकारों की जातिवादी मानसिकता सामने आती है।
संगोष्ठी में प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (PS4) प्रमुख छेदी लाल निराला ने अपनी बात रखते हुए कहा कि महान समाज सुधारक संतराम बी.ए. कुम्हार समुदाय के प्रखर विद्वान थे लेकिन जातिवादियों ने उन्हें पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया और ना ही उन्हें अन्य उच्च कुलीन लेखकों की तरह सम्मान से नवाजा। संतराम बी.ए. जी ने जीवन भर जाति को मिटाने के लिए संघर्ष किया लेकिन वर्णव्यवस्था के पोषक जातिवादियों ने उनके साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया। अब कुम्हार समुदाय के लोगों की जिम्मेदारी है कि वे लोग संतराम बी.ए. जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएं। उन्होंने कुम्हार समुदाय को आपस में जोड़कर सामाजिक परिवर्तन की राह के लिए संघर्ष करने की घोषणा की।
पीएस4 प्रमुख छेदी लाल निराला वक्तव्य देते हुए |
संगोष्ठी के दौरान हाल ही में नेशनल जूनियर एथलिट्स चैंपियनशिप में अंडर-20 10000 मीटर पदचाल प्रतियोगिता में नेशनल रिकॉर्ड बनाने वाली मुनीता प्रजापति को आयोजन समिति की ओर से 21,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि से सम्मानित किया गया। मुनीता प्रजापति की अनुपस्थित में उनके माता-पिता को यह सम्मान दिया गया।
PS4 और PIUS Group की तरफ से मुनिता प्रजापति के माता-पिता को 21000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देते हुए डॉ. लवकुश प्रजापति |
इसके अलावा टेबल टेनिस खिलाड़ी रागिनी प्रजापति को 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि से सम्मानित किया गया। अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी महादेव प्रजापति को साफा देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी महादेव प्रजापति, मिर्जापुर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. हरिद्वार चक्रवर्ती, मंगला प्रजापति आदि ने भी अपने विचार रखे।
PS4 और PIUS Group की तरफ से रागिनी प्रजापति को 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि देते हुए किशोर दुल्हेपुरा |
कार्यक्रम की शुरुआत महान समाज सुधारक एवं प्रखर विद्वान संतराम बी.ए. की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
समाजसुधारक संतराम बी.ए. की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन करते अतिथिगण |
दो दिवसीय कार्यशाला में प्रशिक्षण देते वरिष्ठ पत्रकार शिव दास |
PRAJAPATI
जवाब देंहटाएंVery nice sir Ji thanks.
जवाब देंहटाएंHARISH KUMAR Prajapati
नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी जय बहुजन समाज
जवाब देंहटाएंशानदार पहल महान आदर्श के प्रति.
बेहद सराहनीय कार्य,
जवाब देंहटाएंभारत का वह प्रत्येक व्यक्ति गुमनामी के अंधकार मे ओझल हो गया, जिन्होने उन रूढियों को तोड़ने का प्रयत्न किया जिससे धर्म, अंधविश्वास और अज्ञानता के बल पर समाज के बहुसंख्यक वर्ग को ढगा जा रहा था या उन मुट्ठी भर लोगों का, जो भारतीय सामाजिक व्यवस्था की धूरी में एक छत्र आधिपत्य था, का उनके विचारों से हित प्रभावित हो रहा हो। संतराम बीए इसी का शिकार हो गुमनामी के अंधकार मे खो गये। यदि ऐसे समाज-सुधारक, विद्वान, साहित्यकार, राजनीतिज्ञ, आलोचक के कार्यों को समाज के सामने लाने का कार्य किया किया गया तो वह प्रशंसा योग्य है। आयोजक मंडल को ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
बहुत ही सुंदर एवं सराहनीय कार्य समाज के महान पुरुषों की जीवनी का उल्लेख किया गया उनके चलचित्र पर चलने का आह्वान किया उनके इतिहास को बढ़ावा देने का कार्य किया ऐसे महान लोगों को सभी प्रजापति समाज के नायक के रूप में कार्य कर रहे सम्मानित पिता तो बुजुर्ग साथी सभी लोगों को हार्दिक वंदन एवं स्वागत है l
जवाब देंहटाएंडॉ राम गोपाल प्रजापति सामाजिक कार्यकर्ता अखिल भारतीय कुंभकार महासंघ के जिला उपाध्यक्ष बहराइच l