काशी पत्रकार संघ, वाराणसी प्रेस क्लब, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन, ग्रामीण पत्रकार संघ, इंडियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट, विधिक पत्रकार संघ आदि संगठनों के संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले हुआ प्रदर्शन। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग। वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। देश भर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उत्पीड़न के खिलाफ विभिन्न पत्रकार संगठनों समेत पत्रकारों ने आज शास्त्री घाट पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया और उपवास रखा। पत्रकारों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर पत्रकारों पर हमले नहीं रुके तो वे आंदोलन और तेज करेंगे। उन्होंने सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने और उसे लागू करने की मांग की।
धरने में शामिल भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य अशोक कुमार नवरत्न ने कहा कि पत्रकारों पर आज इसलिए हमले हो रहे हैं क्योंकि हमारे कुछ साथी सरकार की चाटुकारिता और दलाली कर रहे हैं। अगर हम संगठित होते तो सरकार ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर पाती। सत्ता और प्रशासन द्वारा पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों के मामले में भारतीय प्रेस परिषद के सदस्यों द्वारा स्वतः संज्ञान नहीं लेने के 'वनांचल एक्सप्रेस' के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह अधिकार केवल परिषद के अध्यक्ष के पास है। परिषद के सदस्य मामलों का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकते हैं। वनांचल एक्सप्रेस ने जब उनसे परिषद द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर संबंधित पुलिस अधिकारी को तलब करने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बिना शिकायत हम ऐसा नहीं कर सकते हैं।
धरने के दौरान भारतीय प्रेस परिषद की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए वाराणसी प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार ने कहा कि आज भारतीय प्रेस परिषद के दांत तोड़े जा रहे हैं। यह अच्छी बात है कि कुछ लोग इस दांत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान भी पत्रकारों पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज नहीं हुए थे लेकिन वर्तमान सरकार में बड़े पैमाने पर पत्रकारों पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। इसके बावजूद भारतीय प्रेस परिषद कुछ नहीं कर पा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार एके लारी ने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान देश में पत्रकारों के खिलाफ कुल 154 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से 73 मुकदमे भाजपा की वर्तमान सरकारों के दौरान दर्ज किए गए हैं। इनमें से 29 मुकदमे उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान कुल 56 पत्रकारों की गिरफ्तारी की गई है जो चिंताजनक है। ये आंकड़ें बताने के लिए काफी हैं कि सत्ता द्वारा पत्रकारों के काम में अवरोध पैदा किया जा रहा है जो भारतीय संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी पर सीधा हमला है।
धरना के दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज पत्रकारों पर चौतरफा हमला हो रहा है। एक तरफ उन्हें समाचार संकलन से रोका जाता है तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जा रहा है। देशभर में पत्रकारों के खिलाफ हो रही दमनात्मक कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पत्रकारों ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिला प्रशासन के प्रतिनिधि एवं एसीएम (चतुर्थ) को सौंपा।
कार्यक्रम में काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष राजनाथ तिवारी, महामंत्री मनोज श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष देवकुमार केशरी, मंत्री पुरूषोत्तम चतुर्वेदी, वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष चंदन रूपानी, पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार, विकास पाठक, सुभाषचन्द्र सिंह, पूर्व महामंत्री डा॰ अत्रि भारद्वाज, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. अरविंद सिंह, जिला महामंत्री आनंद मिश्रा, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विनोद बागी, उपाध्यक्ष भारतेंदू तिवारी, महामंत्री अनिल जायसवाल, इंडियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सिंह, आल इंडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष डा॰ राजकुमार सिंह, समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी, वरिष्ठ पत्रकार एके लारी, सुधीर गणोरकर, सुनील शुक्ला, रमेश चन्द्र राय, संदीप त्रिपाठी, विनय सिंह, जयनारायण मिश्र, डा॰ नागेन्द्र पाठक, संदीप गुप्ता, सुरेश प्रताप सिंह, बद्री विशाल, अरविंद कुमार सिंह, आनंद मिश्रा, शिव दास, धीरेन्द्र नाथ शर्मा, राजेन्द्र जायसवाल, अनिल अग्रवाल, प्रदीप सिंह, मनीष कुमार आदि मौजूद रहे। बार काॅंसिल आफ उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन हरिशंकर सिंह ने धरना स्थल पर पहुंच कर पत्रकारों की मांगों को समर्थन दिया और कहा कि पत्रकारों की जायज मांगों के साथ अधिवक्ता समाज भी हर पल खड़ा रहेगा।
बता दें कि बीते दिनों को बनारस में सक्रिय विभिन्न पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों के बीच काशी पत्रकार संघ के प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठक हुई थी जिसमें संयुक्त रूप से निर्णय लिया गया था कि आगामी 6 फरवरी को विभिन्न पत्रकार संगठनों की संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले पत्रकार कचहरी स्थित अंबेडकर प्रतिमा के सामने देश भर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उत्पीड़न के खिलाफ उपवास करेंगे।
बाद में जगह का परिवर्तन करते हुए काशी पत्रकार संघ ने शास्त्री घाट पर सुबह 11 बजे से 3 बजे तक उपवास की घोषणा की।
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