पुलिस अभिरक्षा में हुई खालिद मुजाहिद पर गठित निमेष आयोग की रिपोर्ट पर एटीआर
सार्वजनिक करे राज्य सरकारः रिहाई मंच
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। सूबे की बिगड़ती कानून व्यवस्था, वादा खिलाफी, राजनीतिक भ्रष्टाचार, अवैध खनन और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों समेत विभिन्न
मुद्दों को लेकर रिहाई मंच ने गत 19 फरवरी को स्थानीय लक्ष्मण मेला मैदान में ‘इंसाफ दो’ बैनर तले धरना दिया। इस दौरान मंच की ओर से मुख्यमंत्री को
संबोधित 23 सूत्रीय ज्ञापन राज्य सरकार के प्रतिनिधि को दिया गया।
इसमें सोनभद्र और मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे धड़ल्ले से
हो रहे अवैध खनन में संलिप्त खनन माफियाओं, राजनेताओं, नौकरशाहों और कुछ पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच उच्च
न्यायालय के न्यायमूर्ति के अधीन गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की
गई। साथ ही मंच ने 27 फरवरी 2012 को सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुए हादसे
में मरने वाले 10 मजदूरों के परिजनों को तत्काल मुआवजा देने के साथ करीब तीन साल से लंबित
मजिस्ट्रेटियल जांच पूरी नहीं होने पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। मंच ने
आरोप लगाया कि राज्य सरकार खनन मजदूरों के संगठित कातिलों को बचाने की कोशिश कर
रही है।
इलाहाबाद से आए सामाजिक न्याय मंच के नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि
पिछड़ों की हितैशी बताने वाली सपा सरकार में सामंती ताकतों के हौसले बुलंद हैं।
पिछले दिनों जालौन के माधौगढ़ के दलित अमर सिंह दोहरे की सामंतों द्वारा नाक काटे
जाने की घटना इसका ताजा उदाहरण है। केन्द्र की मोदी सरकार ने जीवन रक्षक दवाओं का
दाम बढ़ाकर आम जनता के बुरे दिनों की शुरुआत कर दी है जिस पर प्रदेश सरकार की
चुप्पी स्पष्ट करती है कि वह भी गरीब बीमार जनता के खिलाफ दवा माफिया के साथ खड़ी
है। उन्होंने मांग की कि अखिलेश सरकार जिला अस्पतालों पर कैंसर,
दिमागी बुखार और अन्य जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए
विशेष चिकित्सा इकाई स्थापित करे तथा प्रदेश में चल रहे अवैध अस्पतालों को तत्काल
बंद कराए। राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने बीटीसी प्रशिक्षुओं के धरने का समर्थन करते
हुए उनकी मांगों का समर्थन किया है।
धरनाकर्मियों को संबोधित करते हुए सोनभद्र से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक
समाचार-पत्र 'वनांचल एक्सप्रेस' के संपादक शिवदास प्रजापति ने कहा कि अवैध खनन के कारण
सोनभद्र का बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र खनन मजदूरों का कब्रगाह बन गया है। एक
सोची-समझी साजिश के तहत वहां औसतन हर दिन एक मजदूर की हत्या की जा रही है और इसमें
भ्रष्ट नौकरशाहों से लेकर खनन माफिया, राजनेता और कुछ पत्रकार तक शामिल हैं। यह बात अब खनन विभाग
के सर्वेक्षक ने भी लोकायुक्त के यहां दिए बयान में स्वीकार कर लिया है। वास्तव
में सोनभद्र-मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे अवैध खनन में
संलिप्त खनन माफियाओं, नौकरशाहों, राजेनताओं और पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच उच्च न्यायालय
के न्यायमूर्ति के अधीन विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जानी चाहिए और अवैध खनन के
लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज देना
चाहिए। बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे को करीब तीन साल पूरे हो चुके हैं लेकिन उसकी
मजिस्ट्रेटियल जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। इस वजह से मृतक मजदूरों के परिजनों
को मुआवजा तक नहीं मिल सका है। सरकार को जल्द से जल्द उक्त खनन हादसे की जांच पूरी
करानी चाहिए ताकि इसके दोषी जेल भेजे जा सकें।
मंच के सदस्य गुफरान सिद्दीकी और हरे राम मिश्र ने कहा कि आज पूरा सोनभद्र
अवैध खनन की मंडी बन चुका है और इस गोरखधंदे में नेता,
नौकरशाह, खनन माफिया और पत्रकार तक शामिल हैं। इतना ही नहीं राज्य
सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरे
सूबे में हो रहे अवैध खनन के लिए जिम्मेदार हैं। अवैध खनन में शामिल राज्य सरकार
के मंत्रियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ तत्काल आपराधिक मुकदमा दर्ज कराई जानी
चाहिए। साथ ही उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वारा उनकी भूमिका की जांच कराकर
उन्हें सलाखों के पीछे भेज देना चाहिए ताकि किसी भी खनन मजदूर की हत्या नहीं हो
सके और ना ही किसी मंत्री को दो जाने वाली कथित धनराशि "वीआईपी" की
वसूली हो सके।
धरने के दौरान आजमगढ़ से आए रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने कहा कि आतंकवाद
के नाम पर मौलाना खालिद मुजाहिद को फर्जी ढंग से फंसाया गया। फिर उनकी हत्या कर दी
गई। इसकी विवेचना कर रहे विवेचक जिस तरह से आरोपी पुलिस एवं आईबी के 42 अधिकारियों को बचाने में लगे हैं,
वह न्याय की हत्या है। उन्होंने कहा कि विवेचना में जिस तरह
से दूसरी बार भी फाइनल रिपोर्ट लगाई गई, वह साबित करती है कि अखिलेश सरकार खालिद को इंसाफ देने वाली
नहीं है। तारिक शफीक ने निमेष आयोग की रिपोर्ट पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर)
जारी करने की मांग की। साथ ही उन्होंने इस मामले में आरोपी 42 पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की
बात कही। उन्होंने सपा सरकार के दौरान आतंकवाद के आरोप से अदालत से दोषमुक्त हो
चुके पांच बेगुनाहों का पुर्नवास राज्य सरकार द्वारा तुरंत कराने की भी मांग
की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जिस
तरह बेगुनाहों का एनकाउंटर के नाम पर कत्ल करने वाले बंजारा को छोड़ा जा रहा है और
मुजफ्रनगर के बेगुनाहों के कातिल संगीत सोम के बाद अब सुरेश राणा को भी जेड प्लस
सुरक्षा दी गई है, उससे साफ हो गया है कि सांप्रदायिक आतंकवादियों के अच्छे
दिन आ गए हैं।
चित्रकूट से आए रिहाई मंच के नेता लक्ष्मण प्रसाद और हाजी फहीम सिद्दीकी ने
कहा कि राजधानी में बलात्कारियों का हौसला बढ़ गया है। पिछले दिनों एक बलात्कार
पीडि़ता जब बयान देने आयी थी तो चारबाग से ही उसका अपहरण हो गया। वहीं मानिकपुर
इलाके की एक घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आज नौकरशाही में शामिल लोगों
के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि नीली बत्ती लगी गाड़ी में युवती को खींचकर सामूहिक
दुष्कर्म किया जाता है। इसपर जल्द से जल्द लगाम लगना चाहिए।
ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष शिवाजी राय ने कहा कि गन्ना तथा
धान के खरीद में पूरी तरह से फेल हो चुकी अखिलेश सरकार मोदी सरकार द्वारा रासायनिक
उर्वरकों के मूल्य को बाजार के हवाले करने की नीति पर पर प्रदेश सरकार ने चुप्पी
साध रखी है। नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे योजना में 232 परिवारों को उजाड़ा गया लेकिन अभी तक उनका पुर्नवास नहीं
किया गया है। अंग्रजों द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून को तत्काल रद करने की
मांग की। सपा सरकार में राजनैतिक आंदोलनकारियों पर मुकदम दर्ज किए जा रहे हैं।
उन्होंने मांग की कि राजनैतिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएं और
संविदा कर्मियों को तत्काल स्थाई करते हुए संविदा प्रथा बंद की जाए।
धरने का
संचालन अनिल यादव ने किया। धरने में प्रमुख रुप से हाजी फहीम सिद्दीकी,
कमर सीतापुरी, आदियोग, धर्मेन्द्र कुमार, खालिद कुरैशी, अमित मिश्रा, रामबचन, होमेन्द्र मिश्रा, इनायतउल्ला खां, अजीजुल हसन, अमेन्द्र, कमरुद्दीन कमर, डा. एसआर खान, रवि कुमार चौधरी, अनस हसन, अंशुमान सिंह, सत्येन्द्र कुमार, फशीद खान, जैद अहमद फारूकी, केके शुक्ल, मोहम्मद अफाक, शुएब, मोहम्मद शमी, हाशिम सिद्दीकी, इशहाक नदवी, शाहनवाज आलम, राजीव यादव समेत करीब चार दर्जन लोग शामिल थे।
रिहाई मंच द्वारा मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश को संबोधित
ज्ञापन
दिनांक- 19 फरवरी 2015
प्रति,
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश
शासन, लखनऊ
बिगड़ती कानून व्यवस्था,
वादा खिलाफी,
राजनीतिक
भ्रष्टाचार और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लक्ष्मण मेला मैदान लखनऊ में
आयोजित इंसाफ दो धरने के माध्यम से हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि-
§ मौलाना खालिद की हत्या में दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों को
क्लीनचिट देने वाले विवेचनाधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
§ सपा सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में किए वादे और आरडी निमेष
कमीशन में दी गई व्यवस्था के तहत आतंकवाद के आरोप से दोषमुक्त लोगों के मुआवजा व
पुर्नवास की गारंटी की जाए।
§ आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करते हुए तत्कालीन
डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजीपी बृजलाल सहित 42 दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों/कर्मियों के खिलाफ मुकदमा
दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया जाए।
§ सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद,
लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।
§ प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी की जाए।
§ प्रदेश में बढ़ रही दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर तत्काल रोक
लगाई जाए।
§ जालौन जिले के माधवगढ़ थाने के सुरपति गांव के अमर सिंह
दोहरे की उच्च जाति के लोगों द्वारा नाक काट लेने के मामले की उच्च स्तरीय जांच
कराई जाए और दोषियों को सजा दी जाए। क्योंकि एससी/एसटी आयोग ने उक्त गांव समेत
पूरे बुंदेलखंड इलाके को दलितों के लिए असुरक्षित बताया है।
§ सांप्रदायिक आतंकवाद फैलाने और भड़काऊ भाषण देने वाले संघ
परिवार व भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जाएं।
§ 27 फरवरी 2012 को सोनभद्र में हुए बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे में मारे गए
दस मजदूरों की मजिस्ट्रेटी जांच पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे। हत्या में शामिल दोषी
खनन माफियाओं को फिर से खनन की मंजूरी देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा
दर्ज किया जाए। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए।
§ सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में हो रहे अवैध खनन में संलिप्त
राजनेताओं, खनन माफियाओं, भ्रष्ट अधिकारियों और पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच हाई
कोर्ट के वर्तमान न्यायमूर्ति के अधीन विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित कर की जाए।
§ पूरे सूबे में अवैध खनन कराने और आय से अधिक संपत्ति अर्जित
करने के आरोपी खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगी भ्रष्ट
अधिकारियों, कर्मचारियों और सत्ताधारी पार्टी के विभिन्न नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा
दर्ज किया जाए।
§ केन्द्र सरकार द्वारा 108 जीवन रक्षक दवाओं की मूल्य वृद्धि पर राज्य सरकार अपना
पक्ष सार्वजनिक करे।
§ कैंसर, दिमागी बुखार समेत विभिन्न जानलेवा बीमारियों के उपचार हेतु
जिला अस्पतालों पर तत्काल विशेष चिकित्सा इकाई स्थापित की जाए।
§ अवैध अस्पतालों को बन्द कर उनके संचालकों को जेल भेजा जाए
तथा पूरे प्रदेश में चल रहे अवैध अस्पतालों की सूची सरकार द्वारा जारी की जाए।
§ गन्ना किसानों की खरीद का भुगतान तत्काल करते हुए,
प्रदेश में धान खरीद पर श्वेत पत्र जारी किया जाए।
§ रासायनिक खादों को बाजार के हवाले करने की केन्द्र सरकार की
नीति पर प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे।
§ पूरे प्रदेश में तहसील स्तर पर सब्जी व फल मंडियों की
स्थापना सुनिश्चित की जाए।
§ अग्रेजों द्वारा बनाए भूमि अधिनियम को समाप्त करते हुए
किसान को भूमि स्वामी घोषित किया जाए।
§ ग्राम सभा के बंजर जमीनों के साथ जीएस की जमीनों का वितरण
भूमिहीन किसानों को किया जाए।
§ नहरों की सफाई के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर सरकार श्वेत
पत्र जारी करे।
§ प्रदेश के सभी सरकारी ग्राम सभा के पोखरों और तालाबों को
अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए।
§ संविदा पर की गई नियुक्तियों को स्थाई करते हुए संविदा
व्यवस्था तत्काल समाप्त की जाए।
§ राजनैतिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें तत्काल वापस लिए
जाएं।
द्वारा-
राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, तारिक शफीक, लक्ष्मण प्रसाद, गुफरान सिद्दिीकी, हरेराम मिश्र, शिवाजी राय, रामकृष्ण, अनिल यादव, हाजी फहीम सिद्दीकी, कमर सीतापुरी, आदियोग, धर्मेन्द्र्र कुमार, खालिद कुरैशी, अमित मिश्रा, रामबचन, होमेन्द्र मिश्रा, इनायतउल्ला खां, अजीजुल हसन, शिवदास प्रजापति, अमेन्द्र, कमरुद्दीन कमर, डा. एसआर खान, रवि कुमार चौधरी, अनस हसन, अंशुमान सिंह, सत्येन्द्र कुमार, फशीद खान, जैद अहमद फारूकी, केके शुक्ल, मो0 आफाक, शुएब, मो0 शमी, हाशिम सिद्दीकी, इशहाक नदवी।