मंच ने राममूर्ति वर्मा और उसके भतीजे पर लगाया अवैध खनन कराने का आरोप।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यरो
लखनऊ। शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार और उसके मंत्रियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आतंकवादियों के नाम पर जेलों में बंद बेगुनाओं की रिहाई समेत अन्य लोकतांत्रिक मुद्दों के लिए संघर्षरत संगठन "रिहाई मंच" ने जगेंद्र सिंह की जिंदा जलाने की घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। साथ ही उसने आरोप लगाया है कि सूबे में गुंडों और माफियाओं की सरकार है। इसकी तस्दीक कथित खनन माफिया और सूबे के राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर कोतवाल श्रीप्रकाश राय और अन्य द्वारा पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना करती है। मंच ने राममूर्ति वर्मा को तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग की है।
रिहाई मंच के राज्य कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने आरोप लगाया कि राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा दुष्कर्म का आरोपी और खनन माफिया है। पत्रकार जगेंद्र सिंह ने उसके कारनामों को बेनकाब किया था और उसके खिलाफ निरंतर अभियान चलाये हुए थे। सत्ता के नशे में डूबे राममूर्ति वर्मा ने जगेंद्र सिंह पर फर्जी मुकदमा लदवाया। फिर पुलिसवालों के सहयोग से उन्हें जिंदा जला दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकार जगेन्द्र सिंह ने राममूर्ति वर्मा और उसके भतीजे अमित वर्मा द्वारा सपा सरकार के संरक्षण में गर्रा नदी में किए जा रहे अवैध खनन को बेनकाब किया था। इतना ही नहीं उन्होंने मंत्री और उनके करीबियों पर स्मैक कारोबार को प्रश्रय देने का आरोप भी लगाया था। अनिल यादव ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में गायत्री प्रजापति, विनोद सिंह उर्फ पंडित, मनोज पारस जैसे खनन और भू-माफियाओं की भरमार है। इनमें से कई हत्या और बलात्कार आरोपी भी हैं। ऐसे मंत्रियों को तत्काल उनके पदों से बर्खास्त किया जाना चाहिए।
वहीं रिहाई मंच नेता हरेराम मिश्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि सपा मंत्री द्वारा पत्रकार को जिंदा जलाने की घटना सूबे में भ्रष्टाचार के खिलाफ हर आवाज उठाने वालों और शासन-प्रशासन के ईमानदार कर्मचारियों और अधिकारियों को यह चेतावनी देने की कोशिश है कि अगर वह सरकार के भ्रष्ट तंत्र में संलिप्त नहीं होंगे तो उनका भी यही हश्र होगा। पिछले दिनों अवैध खनन रोकने वाले झांसी के तहसीलदार गुलाब सिंह को सपा के राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव द्वारा धमकी दिया गया था। फिर बिजनौर में एसपी अखिलेश कुमार द्वारा अवैध खनन रोकने पर उनका तबादला कर दिया गया था। इन सभी प्रकरणों में अखिलेश यादव की चुप्पी ने राम मूर्ति सिंह वर्मा जैसे आपराधिक तत्वों के मनोबल को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पूर्व पुलिस महानिदेशक अंबरीश चन्द्र शर्मा और जेल में बंद सपा नेता शैलेन्द्र अग्रवाल द्वारा थानों और जिला पुलिस मुख्यालयों की बिक्री के तहत पुलिस प्रशासन के स्थानांतरण का कारोबार सामने आया है, उससे साफ है कि सपा सरकार इसमें साझेदार है।
उधर इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (आईएफडब्ल्यूजे) ने दिवंगत पत्रकार जगेंद्र सिंह परिवार के आश्रित सदस्यों को उत्तर प्रदेश सरकार से 25 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही उसने आरोपी मंत्री, थानाध्यक्ष और अन्य पुलिसकर्मियों को उनके पदों से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।
नई दिल्ली से मिली सूचना के मुताबिक भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना की जांच के लिए परिषद की फैक्ट फाइडिंग टीम को मौके पर भेजने की बात कही है। उन्होंने पत्रकार हत्याकंड की घोर निंदा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार मामले की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन करे क्योंकि इस मामले में सूबे के एक राज्यमंत्री नाम भी शामिल है।
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