जिलाधिकारी ने यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी को दिया निर्देश।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लापरवाह और गैर-जिम्मेदार अधिकारियों की कारस्तानियों की वजह से जिले में प्रदूषण फैला रहे निजी एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों और दिशा-निर्देशों ठेंगा दिया है। वे उसके दिशा-निर्देशों के अनुपालन में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों की कारगुजारियों से चिंतित जिलाधिकारी संजय कुमार ने एनजीडी के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में हिला-हवाली करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह से लापरवाही बरतने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ प्रथम सूचना रपट (एफआईआर) दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिलाधिकारी ने गत 9 जून को कलेक्ट्रेट सभागार में एनजीटी के दिशा-निर्देशों के तहत जिले में औद्योगिक इकाइयों की ओर से स्थापित आरओ सिस्टम की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयां मानक के अनुरूप अपने संयंत्रों का संचालन करें। जो औद्योगिक इकाइयां मानक के अनुरूप पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ प्रभावी कार्यवाही नियमानुसार की जायेगी।
जिलाधिकारी ने समीक्षा के दौरान एनसीएल सहित कई औद्योगिक इकाइयों की अनुपालन स्थिति धीमी पाये जाने पर मौके पर मौजूद मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह और यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह को निर्देशित किया कि वे एनजीटी के आदेशों का अनुपालन कराने के लिए औद्योगिक इकाइयों की गतिविधियों पर पूरी तत्परता से निगाह रखें। जो औद्योगिक प्रतिष्ठान मानक के अनुरूप अपनी इकाई संचालित नहीं करते हैं, उनके खिलाफ सक्षम स्तर पर पत्राचार कर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें।
उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया कि वे जून महीने के अन्त तक औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों के साथ ही सरकारी महकमों से जुड़े अधिकारियों की एक समन्वय बैठक इस आशय से आयोजित करायें कि इकाईयों से निकलने वाली राख से ईट निर्माण की प्रक्रिया के आर्थिक अध्ययन, क्षेत्रीय उपयोग, व्यक्तिगत उपयोग व सरकारी योजनाओं के निर्माण कार्यों के उपयोग पर व्यापक विचार-विमर्श हो। अगर राख से निर्मित ईट आर्थिक रूप से सस्ते और मजबूत हो, तो राख का उपयोग ईंट बनाने के लिए किया जाय। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को सस्ते दाम में ईंट मुहैया होने के साथ ही राख निस्तारण में भी मदद मिले।
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