कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज और महिला कार्यकर्ताओं से बदसलुकी ।
मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ नया राजनीतिक विकल्प खड़ा कर रहा मंच।
वनांचल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। आतंकवाद के नाम पर देश की विभिन्न जेलों में बंद बेगुनाहों की रिहाई के
लिए अभियान चला रहे रिहाई मंच ने आज सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ ‘जन विकल्प मार्च’ निकाला। विधानसभा की ओर जा रहे मार्च को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया जिससे मंच के नेताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक भी
हुई। विधानसभा तक मार्च करने की जिद पर अड़े रिहाई मंच के
सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पुलिस ने आखिरकार लाठीचार्ज कर दिया जिससे भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल हो गए। पुलिस ने मार्च में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें पुलिस लाइन ले गई। जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर छोड़ दिया
गया। मंच का दावा है कि पुलिस ने इस दौरान रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं के साथ महिला
नेताओं के साथ अभद्रता की और उन पर भी लाठीचार्ज किया।
मंच ने कहा कि प्रदेश में सत्तारुढ़ अखिलेश सरकार द्वारा सरकार के चार बरस
पूरे होने पर जन विकल्प मार्च निकाल रहे लोगों को रोककर तानाशाही का सबूत दिया है।
मंच ने अखिलेश सरकार पर आरोप लगाया कि जहां प्रदेश भर में एक तरफ संघ परिवार को
पथसंचलन से लेकर भड़काऊ भाषण देने की आजादी है लेकिन सूबे भर से जुटे इंसाफ पसंद
अवाम जो विधानसभा पहुंचकर सरकार को उसके वादों को याद दिलाना चाहती थी को यह
अधिकार नहीं है कि वह सरकार को उसके वादे याद दिला सके। मुलायम और अखिलेश
मुसलमानों का वोट लेकर विधानसभा तो पहुंचना चाहते हंै लेकिन उन्हें अपने हक-हुकूक
की बात विधानसभा के समक्ष रखने का हक उन्हें नहीं देते। अखिलेश सरकार पर
लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हुए मंच ने कहा कि इस नाइंसाफी के
खिलाफ सूबे भर की इंसाफ पसंद अवाम यूपी में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करेगी।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से इंसाफ की आवाज को
दबाने की कोशिश और मार्च निकाल रहे लोगों पर हमला किया गया उससे यह साफ हो गया है
कि यह सरकार बेगुनाहों की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के दमन पर उतारु है। उसकी वजहें
साफ है कि यह सरकार बेगुनाहों के सवाल पर सफेद झूठ बोलकर आगामी 2017 के चुनाव में झूठ के बल पर उनके वोटों की लूट पर आमादा है।
सांप्रदायिक व जातीय हिंसा, बिगड़ती कानून व्यवस्था, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, महिला, किसान और युवा विरोधी नीतीयों के खिलाफ पूर्वांचल,
अवध, बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत पूरे सूबे से आई इंसाफ पसंद अवाम
की राजधानी में जमावड़े ने साफ कर दिया कि सूबे की अवाम सपा की जन विरोधी और
सांप्रदायिक नीतियों से पूरी तरह त्रस्त है। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने चुनावी
घोषणा पत्र में वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करेगी,
उनका पुर्नवास करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
पर उसने किसी बेगुनाह को नहीं छोड़ा उल्टे निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई न
करते हुए मौलाना खालिद मुजाहिद की पुलिस व आईबी के षडयंत्र से हत्या करवा दी। कहां
तो सरकार का वादा था कि वह सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों को सजा देगी लेकिन सपा के
राज में यूपी के इतिहास में सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा सपा-भाजपा गठजोड़ की
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति द्वारा करवाई गई। भाजपा विधायक संगीत सोम,
सुरेश राणा को बचाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि सपा
सैफई महोत्सव से लेकर अपने कुनबे की शाही विवाहों में प्रदेश के जनता की गाढ़ी
कमाई को लुटाने में मस्त है। दूसरी तरफ पूरे सूबे में भारी बरसात और ओला वृष्टि के
चलते फसलें बरबाद हो गई हैं और बुंदेलखंड सहित पूरे प्रदेश का बुनकर,
किसान-मजदूर अपनी बेटियों का विवाह न कर पाने के कारण
आत्महत्या करने पर मजबूर है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या
और जेएनयू में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान को देशद्रोही घोषित करने की संघी मंशा के खिलाफ
पूरे देश में मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ खड़े हो रहे प्रतिरोध को यह जन
विकल्प मार्च प्रदेश में एक राजनीतिक दिशा देगा। उन्होंने कहा कि बेगुनाहों,
मजलूमों के इंसाफ का सवाल उठाने से रोकने के लिए जिस
सांप्रदायिक जेहनियत से ‘जन विकल्प मार्च’ को रोका गया अखिलेश की पुलिस द्वारा ‘जन विकल्प मार्च’ पर हमला बोलना वही जेहनियत है जो जातिवाद-सांप्रदायिकता से
आजादी के नाम पर जेएनयू जैसे संस्थान पर देश द्रोही का ठप्पा लगाती है। उन्होंने
कहा कि सपा केे चुनावी घोषणा पत्र में दलितों के लिए कोई एजेण्डा तक नहीं है और
खुद को दलितों का स्वयं भू हितैषी बताने वाली बसपा के हाथी पर मनुवादी ताकतें सवार
हो गई हैं। प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय ध्रुवीकरण करने वाली राजनीति के
खिलाफ रिहाई मंच व इंसाफ अभियान का यह
जन विकल्प मार्च देश और समाज निर्माण को नई राजनीतिक दिशा देगा।
इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सपा सरकार
के चार बरस पूरे होने पर यह जन विकल्प मार्च झूठ और लूट को बेनकाब करने का
ऐतिहासिक कदम था। सरकार के बर्बर, तानाशाहपूर्ण मानसिकता के चलते इसको रोका गया क्योंकि यह
सरकार चैतरफा अपने ही कारनामों से घिर चुकी है और उसके विदाई का आखिरी दौर आ गया
है। अब और ज्यादा समय तक सूबे की इंसाफ पसंद आवाम ऐसी जनविरोधी सरकार को बर्दाश्त
नहीं करेगी।
सिद्धार्थनगर से आए रिहाई मंच नेता डॉ. मजहरूल हक ने कहा कि मुसलमानों के वोट
से बनी सरकार में मुसलमानों पर सबसे ज्यादा हिंसा हो रही है। हर विभाग में उनसे
सिर्फ मुसलमान होने के कारण अवैध वसूली की जाती है। उन्हें निरंतर डराए रखने की
रणनीति पर सरकार चल रही है। लेकिन रिहाई मंच ने मुस्लिम समाज में साहस का जो संचार
किया है वह सपा के राजनीतिक खात्में की बुनियाद बनने जा रही है। वहीं गोंडा से आए
जुबैर खान ने कहा कि इंसाफ से वंचित करने वाली सरकारें इतिहास के कूड़ेदान में चली
जाती हैं। सपा ने जिस स्तर पर जनता पर जुल्म ढाए हैं,
मुलायाम सिंह के कुनबे ने जिस तरह सरकारी धन की लूट की है
उससे सपा का अंत नजदीक आ गया है। इसलिए वह सवाल उठाने वालों पर लाठियां बरसा कर
उन्हें चुप कराना चाहती है।
मुरादाबाद से आए मोहम्मद अनस ने कहा कि आज देश का मुसलमान आजाद भारत के इतिहास
में सबसे ज्यादा डरा और सहमा है। कोई भी उसकी आवाज नहीं उठाना चाहता। ऐसे में
रिहाई मंच ने आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों के फंसाए जाने को राजनीतिक मुद्दा बना
दिया है वह भविष्य की राजनीति का एजेंडा तय करेगा। बम्बई से आए मोहम्मद इस्माईल ने
कहा कि सपा की अपनी करनी के कारण आज पूरे सूबे में जो माहौल बना है वह उससे
झंुझलाई सरकार अब उससे सवाल पूछने वालों पर हमलावर हो गई है। रिहाई मंच इस
जनआक्रोश को जिस तरह राजनीतिक दिशा देने में लगा है वह प्रदेश की सूरत बदल देगा।
प्रदर्शन को मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित संदीप पांडे,
फैजाबाद से आए अतहर शम्सी, जौनपुर से आए औसाफ अहमद, प्यारे राही, बलिया से आए डाॅ अहमद कमाल, रोशन अली, मंजूर अहमद, गाजीपुर से आए साकिब, आमिर नवाज, गोंडा से आए हादी खान, रफीउद्दीन खान, इलाहाबाद से आए आनंद यादव, दिनेश चैधरी, बांदा से आए धनन्जय चैधरी, फरूखाबाद से आए योगेंद्र यादव,
आजमगढ़ से आए विनोद यादव, शाहआलम शेरवानी, तेजस यादव, मसीहुद््दीन संजरी, सालिम दाउदी, गुलाम अम्बिया, सरफराज कमर, मोहम्मद आमिर, अवधेश यादव, राजेश यादव, उन्नाव से आए जमीर खान, बनारस से आए जहीर हाश्मी, अमित मिश्रा, सीतापुर से आए मोहम्मद निसार, रविशेखर, एकता सिंह, दिल्ली से आए अजय प्रकाश, प्रतापगढ़ से आए शम्स तबरेज, मोहम्मद कलीम, सुल्तानपुर से आए जुनैद अहमद,कानपुर से आए मोहम्मद अहमद, अब्दुल अजीज, रजनीश रत्नाकर, डाॅ निसार, बरेली से आए मुश्फिक अहमद, शकील कुरैशी, सोनू आदि ने भी सम्बोधित किया। संचालन अनिल यादव ने किया।
(प्रेस विज्ञप्ति)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you for comment