बुधवार, 13 अप्रैल 2016

सीवर में हो रही मौतों को रोकने के लिए प्रधानमंत्री को अल्टीमेटम


भीम यात्रा ने पूरा किया ऐतिहासिक सफर। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के एक दिन पूर्व देश की राजधानी में गूंजा देश देशभर के सीवर में हो रही मौतों का मुद्दा। मैला प्रथा के खात्मे को लेकर जंतर-मंतर पर हुआ प्रदर्शन।

By मुकुल सरल

नई दिल्ली। देश के विभिन्न सीवरों में हर दिन हो रही मौतों को तुरंत रोकने और देश भर से मैला प्रथा के खात्मे के लिए प्रधानमंत्री को एक महीने का अल्टीमेटम देकर सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) की भीम यात्रा ने आज एक ऐतिहासिक चरण पूरा किया। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में 125 दिन की राष्ट्रीय बस यात्रा के जरिये एसकेए ने सीधे-सीधे सीवर-सेप्टिक टैंक में हो रही मौतों को राजनीतिक हत्याएं कहा और तीखा सवाल पूछा-हमारा हत्यारा कौन है? देश के कोने-कोने से आए सफाई कर्मचारी आंदोलन के हजारों कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को आगामी राष्ट्रीय राजनीति के एक निर्णायक मुद्दे के तौर पर पेश किया और ऐलान किया कि इस समस्या का हल किए बिना सभी सरकारें सिर्फ बाबा साहेब के नाम पर ढोंग कर रही हैं। बाबा साहेब की 125वी जयंती के उपलक्ष्य में एसकेए ने देश भर से 125 उन परिवारों के दुख को देश से साझा किया, जिनकी मौतें सीवर-सेपिटक टैंक में हुई थीं।

आज जंतर-मंतर पर हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत ही उन महिलाओं और पुरुषों की वेदना से हुई, जिनके परिजनों ने सीवर-सेपिटक में जान गंवाई थी। चाहे वह बिहार के सहरसा इलाके की सुनी देवी का दुख हो या कर्नाटक की लक्ष्मी अमावस्य या चंढीगढ़ की संतोष या लखनऊ की सुनैना या बनारस की पिंकी और इनके साथ आई 125 महिलाएं और पुरुष सब अपने परिजनों को गटर में खोने का दुख सुनाने और इस दुख को इन हत्याओं को रोकने की शक्ति में बदलने के इरादे से आज आए थे।

बड़ी संख्या में सिविल सोसाएटी, प्रबुद्ध नागरिक, छात्र, न्यायविद्, अकादमिक आज भीम यात्रा के समर्थन में आए थे। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व जज एपी शाह ने भी आकर अपना समर्थन जताया और कहा कि जब तक इस प्रथा का खात्मा नहीं होता, लोकतंत्र और बराबरी की लड़ाई अधूरी है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार पी.साईनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि माल्या जैसे लोगों को गरीब जनता के लाखों-करोड़ रुपये लेकर भाग जाने देते हैं लेकिन सफाई कर्मचारियों के जीवन को सुधारने, मैला प्रथा को खत्म करने और सीवर-सेप्टिक की सफाई को आधुनिक करने के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है।

एसकेए के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन ने ऐलान किया कि ये मौतें राजनीतिक हत्याएं हैं और इन्हें अब समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की सच्ची विरासत यही है कि इस बर्बर प्रथा के खात्मे के लिए काम किया जाए। आज केंद्र सरकार बाबा साहेब को उनकी असली विचारधारा से काटकर उन पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है, जो बेहद खतरनाक है।
वरिष्ठ दलित लेखक आनंद तेलतुंडे ने भीम यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह नई किस्म की राजनीति गढ़ रही है, जो सीधे ब्राह्मणवादी व्यवस्था को चुनौती दे रही है। भाकपा के सांसद डी.राजा ने बताया कि किस तरह से सफाई कर्मचारी आंदोलन ने सफलतापूर्वक मैला प्रथा की समाप्ति और सीवर-सेप्टिक टैंक में मौतों को राष्ट्रीय एजेंडा बनाया।

दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री गोपाल राय ने भी यह आश्वासन दिया कि वह दिल्ली को मैला प्रथा मुक्त करने और सीवर मौतों को रोकने के लिए काम करेंगे। एमकेएसएस की अरुणा राय ने कहा कि समाज को बदलने का काम भीम यात्रा शुरू कर चुकी है और इसे आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।


इस मौके पर बड़ी संख्या में सिविल सोसोएटी के लोग आए और उन्होंने इस मुद्दे के साथ मिलकर आगे लड़ने की घोषणा की। इनमें एमनेस्टी इंटरनेशनल के आकार पटेल, एशिया दलित राइट्स के पॉल दिवाकर, विमल थोरात, कमला भसीन, वृंदा ग्रोवर, हर्ष मंदर, उषा रमानाथन, इंदु प्रकाश, अपराजिता राजा, नीलाभ मिश्रा, पत्रकार भाषा सिंह, संजीव चंदन, पंकज बिष्ट, मैत्रेयी पुष्पा, अनुराधा, अजय सिंह, राजकुमार, वेद प्रकाश, नौरती बाई आदि ने संबोधित किया।

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