विधायक साधना सिंह |
नाबालिग के परिजनों ने
विधायक और पुलिस पर साज़िश के तहत फंसाने का लगाया आरोप।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
वाराणसी। चंदौली पुलिस
द्वारा नाबालिग को बालिग बनाकर खूंखार कैदियों के साथ जेल भेजने का मामला प्रकाश
में आया है। आरोपों की मानें तो पुलिस ने भाजपा की क्षेत्रीय विधायक को सुरक्षा और
पब्लिसिटी दिलाने के लिए इसे अंज़ाम दिया है।
पुलिस की ओर से दर्ज
प्राथमिकी के अनुसार मुगलसराय विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की विधायक साधना सिंह के
भाई राघवेंद्र प्रताप सिंह ने गत 4 अप्रैल को पुलिस को तहरीर दिया कि 2 अप्रैल की
रात करीब 12 बजे किसी ने उनकी बहन विधायक साधना सिंह के मोबाइल नंबर पर फोन कर धमकी दी और 10 करोड़
रुपये की मांग की। पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा-384 के तहत प्राथमिकी दर्ज
छानबीन शुरू कर दी। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो विधायक साधना सिंह ने 11 अप्रैल
को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर घटना की जानकारी दी और सुरक्षा की मांग
की। आनन-फानन पुलिस ने 12 अप्रैल को मुगलसराय थाना के नई बस्ती मढ़िया निवासी
प्रॉपर्टी डीलर सुजीत सिंह पटेल और उसके नाबालिग साले को गिरफ्तार कर लिया।
इस
बाबत पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामले को उजागर करने का दावा किया है। पुलिस के
मुताबिक आरोपी सुजीत सिंह पटेल और उसके साले ने मढ़िया निवासी फरहान वासी उर्फ
बाबू उर्फ टाटे पुत्र रुखसाना के आईडी पर बीएसएनएल का सिम खरीदा और उसे सबक सिखाने
के लिए विधायक के मोबाइल पर फोन कर रुपये देने के लिए धमकी दी। इसके लिए उसने
पड़ोसी कंचन चौहान का मोबाइल चोरी किया। पुलिस का दावा है कि उन्होंने ऐसा इसलिए
किया क्योंकि फरहान वासी ने 2015 में सुजीत सिंह पटेल से 5000 रुपये उधार लिये थे
और वह उसे लौटा नहीं रहा था।
पुलिस की इस कहानी में कई
झोल हैं जो मुख्य आरोपी सुजीत सिंह पटेल के नाबालिग साले की गिरफ्तारी पर सवाल
खड़े हो रहे हैं। पुलिस ने उसकी उम्र पुलिस रिकॉर्ड में 19 वर्ष दिखाई है जबकि माध्यमिक
शिक्षा परिषद की ओर से जारी उसके हाई स्कूल के अंक-पत्र और राज्य सरकार के जन्म
प्रमाण-पत्र में उसकी जन्म तिथि 10 अगस्त 2002 है यानी गिरफ्तारी के दिन वह 14
वर्ष 8 माह 2 दिन का था। इसके बावजूद पुलिस ने न्यायालय में दाखिल दस्तावेजों में
उसे 19 वर्ष दर्शाया और उसे खुंखार कैदियों के साथ सेंट्रल जेल भेज दिया। इतना ही
नहीं, नाबालिग की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस की कार्यशैली उच्चत्तम न्यायालय के
निर्देशों के विपरीत भी है। नाबालिग के परिजनों की मानें तो उसकी गिरफ्तारी के समय
उन्हें सूचित तक नहीं किया गया। यह साजिश के तहत किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया
कि विधायक पब्लिसिटी और सरकारी सुरक्षा हासिल करना चाहती हैं और चंदौली पुलिस
इसमें उनका साथ दे रही है।
अगर पुलिस की कार्यशैली पर
गौर करें तो आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले में भी पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। नाबालिग के नाम ना ही मोबाइल है और ना ही सिम
है। इसके बावजूद उसे गिरफ्तार किया गया है। जिन व्यक्तियों के नाम पर मोबाइल और
सिम है, पुलिस ने उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है और ना ही उन्हें आरोपी
बनाया है। पुलिस जिस कंचन चौहान के मोबाइल के चोरी होने की बात कह रही है, उसके
चोरी अथवा खो जाने की दस्तावेज वह अभी तक पेश नहीं कर पाई है। दूसरी बात यह कि पैसे
का लेन-देन का मामला नाबालिग के जीजा का है और इसमें नाबालिग के शामिल होने की भूमिका
को पुलिस अभी तक स्पष्ट नहीं कर पाई है।
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