कोर्ट ने बीएचयू प्रशासन से भी एक हलफनामा मांगा है कि परेरहाट कंपनी को किन परिस्थितियों में लाइसेंस दिया गया था...
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
इलाहाबाद। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में ज़हरीली गैस से हुई मौतों के दो महीने बाद दायर एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है। बीएचयू के पूर्व छात्र नेता भुवनेश्वर द्विवेदी की लगाई याचिका पर फैसला देते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट में जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस अमर सिंह चौहान की खंडपीठ ने महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को आदेश दिया है कि वे तीन सदस्यीय वरिष्ठ विशेषज्ञों की कमेटी से इस मामले की जांच कराएं।
उच्च न्यायालय ने इस संबंध में पीआइएल संख्या 35890/2017 पर सुनवाई करते हुए महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से पूछा है कि आखिर औद्योगिक ऑक्सीजन सप्लाइ करने वाली कंपनी को लाइसेंस कैसे दे दिया गया। औद्योगिक गैस आपूर्ति के कारण मरे 20 से ज्यादा लोगों की मौत पर भुवनेश्वर द्विवेदी की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता व न्यायमूर्ति अमर सिंह चौहान की खण्डपीठ ने याची के अधिवक्ता केके राय व चार्ली प्रकाश को सुनकर आदेश दिया। याची की तरफ से केके राय और चार्ली प्रकाश ने बहस किया।
वनांचल एक्सप्रेस और मीडियाविजिल ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट में उस काग़ज़ात का उद्घाटन किया था जिसके मुताबिक भाजपा विधायक हर्ष वर्धन बाजपेयी की कंपनी मेसर्स परेरहाट के पास मेडिकल ग्रेड की नाइट्रस ऑक्साइड और ऑक्सीजन के उत्पादन का लाइसेंस नहीं था फिर भी कंपनी को गैस आपूर्ति का ठेका दे दिया गया था। इस मामले में महानिदेशक से छह हफ्ते में जवाब देने के अलावा कोर्ट ने बीएचयू प्रशासन से भी एक हलफनामा मांगा है कि परेरहाट कंपनी को किन परिस्थितियों में लाइसेंस दिया गया था।
पीआइएल पर कोर्ट का के फैसले की प्रति अभी इलाहाबाद हाइ कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई है। फैसले की प्रति मिलते ही वनांचल एक्सप्रेस और मीडियाविजिल उसे संयुक्त रूप से सार्वजनिक करेगा और इस मामले के और पहलुओं को पाठकों को सामने जल्द अपनी श्रृ़खला के अंतर्गत रखेगा।
ध्यान रहे कि वनांचल एक्सप्रेस और मीडिया विजिल ने अपनी रिपोर्टमें इस मामले से जुड़े कुछ अहम तथ्यों का उद्घाटन किया था, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा। पाठकों और विपक्ष के नेताओं की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पीएमओ और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्विटर पर टैग कर के सवाल पूछे गए थे और ज़हरीली गैस की आपूर्ति करने वाली भाजपा विधायक की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
(साभार: मीडिया विजिल)
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