वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कई विभागों में पिछले कुछ वर्षों से एम.फ़िल. और पीएच.डी. प्रवेश-प्रक्रिया में हो रहे आरक्षण की संवैधानिक प्रक्रिया के उल्लंघन के खिलाफ़ उम्मीदवारों और छात्रों ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस में विरोध प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि को ज्ञापन भी सौंपा। पीड़ित अभ्यर्थियों ने मांग की है कि हिंदी विभाग द्वारा लिखित परीक्षा सूची को वापस लिया जाये और संवैधानिक आरक्षण प्रक्रिया का पालन करते हुए आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का प्रवेश लिया जाए।
बता दें कि हिंदी विभाग में एम.फ़िल. और पीएच.डी. प्रवेश की लिखित परीक्षा की परिणाम सूची जारी की गई है. इस सूची में अनारक्षित श्रेणी की 50% सीटें सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित कर दी गईं, जो असंवैधानिक है. आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी की मेरिट कटऑफ में सफल हुए, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में शामिल न करके आरक्षित श्रेणी में ही शामिल किया गया. जिससे अनारक्षित श्रेणी की कटऑफ़ 263 तक चली गई है. और ओबीसी की कटऑफ़ इससे बहुत ऊपर 290 तक चली गई है? अफ्रीकन स्टडीज़ विभाग ने अभी पीएचडी प्रवेश में सफल अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी की है. इसमें कुल 15 अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया गया है. जिसमें 10UR, 2 OBC, 2 SC और 1 ST के अभ्यर्थियों को जगह दी गई है. दर्शनशास्त्र विभाग में 23 सफल अभ्यर्थियों में 13 UR, 3 OBC, 4 SC, 2 ST और1 PWD संवर्ग से हैं. जबकि नियमतः यहाँ आरक्षित वर्ग की और सीटें होनी चाहिए थीं. भौतिकी विभाग की पीएच.डी प्रवेश प्रक्रिया की जारी अंतिम सूची में आरक्षित सीटें पूरी नहीं भरी गई हैं. साथ ही अनारक्षित संवर्ग में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को ही प्रवेश दिया गया और आरक्षित संवर्ग की कई सीटें ‘नॉन फाइंड सुटेबल (NFS) कर दी गई हैं. भूगर्भशास्त्र विभाग में एम.फ़िल./ पीएच.डी के साक्षात्कार के लिए बुलाए गए अभ्यर्थियों में पहली रैंक पाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को उसके आरक्षित श्रेणी में ही साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. जबकि मेरिट के आधार पर अनारक्षित श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थी को अनारक्षित वर्ग में ही बुलाया जाना चाहिए.
इस सत्र के पीड़ित अभ्यर्थी सामने आये हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग किये कि विश्वविद्यालय प्रशासन व तत्संबंधी अनुभाग आरक्षण सम्बन्धी प्रवेश प्रक्रिया में किस नियम का पालन करता है, उसे सरल भाषा में सार्वजनिक करे और वंचितों को न्याय दे. इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों छात्र व शिक्षक शामिल हुए. आन्दोलनकारियों ने कहा है कि अगर उनकी मांग न मानी गई तो वे और व्यापक स्तर पर आन्दोलन करेंगे.
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