वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत के 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडिया गेट समेत दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में दिल्ली पुलिस की एफआईआर और योगी सरकार का नोटिस से भी भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत धरना स्थल से नहीं हटे। गाजीपुर बॉर्डर पर धरनारत किसानों में खौफ पैदा करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने मार्च भी किया लेकिन राकेश टिकैत और उनके समर्थन में बैठे किसानों के मनोबल को वे तोड़ नहीं सके। मीडिया से बातचीत के दौरान भावुकता में जैसे ही राकेश टिकैत के आंसू गिरे, वैसे ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के किसान उनके समर्थन में रात में ही गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली की ओर कूच कर गए। रात में ही किसानों ने जिंद में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया। आधी रात तक हजारों की संख्या में किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गए और अब वे मोदी सरकार के नये तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद ही घर लौटने की घोषणा करने लगे।
किसानों का यह रुख देकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और प्रशासन नरम पड़ गया और रात में ही वे वहां से फोर्स वापस बुलाने लगे। रात में कटी बिजली भी वापस आ गई। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के धरना स्थल पर किसानों की बढ़ती संख्या को देखकर दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसौदिया ने आज सुबह गाजीपुर बॉर्डर का दौरा कर धरना स्थल पर पानी के टैंकर और साफ-सफाई की व्यस्था करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। सोशल मीडिया पर किसान नेताओं के ट्ववीटर अकाउंट से मिल रही जानकारी के मुताबिक आज दिल्ली सीमा पर स्थित धरनास्थलों पर पंजाब से 1000 ट्रैक्टर, हरियाणा से 700, राजस्थान से 500 और उत्तर प्रदेश से 1200 ट्रैक्टर आने की बात कही जा रही है।
वहीं, मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने मोर्चा संभाल लिया है। हजारों की संख्या में किसान रात में ही उनके घर पहुंच गए थे। खबर आ रही है कि आज वहां किसानों की पंचायत होगी जिसमें आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति तय होगी।
बता दें कि गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और उनके समर्थकों को गाजीपुर बॉर्डर से हटाने के लिए गाजियाबाद प्रशासन ने उन्हें नोटिस भेजा था और भारी पुलिस बल के साथ वहां मार्च किया था। किसी भी आंदोलन को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन जो व्यवस्थाएं वहां कर सकती थी, वह सभी उसने वहां किया था। इससे वहां मौजूद किसानों में खौफ पैदा हो गया था। वहीं भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोग किसान आंदोलन के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे थे। किसान नेताओं का आरोप है कि वे लोग लोगों के साथ मारपीट भी करने पर उतारू थे। इस सभी बातों से परेशान किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया से बात करते समय रो पड़े और किसी भी हालत में गिरफ्तारी नहीं देने की घोषणा कर दिए। साथ ही उऩ्होंने कहा कि अगर प्रशासन उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करती है तो वे वहीं आत्महत्या कर लेंगे लेकिन वहां से नहीं जाएंगे।
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