सोमवार, 25 जनवरी 2016

रजनीकांत, अंबानी, गिरजा देवी और रामोजी राव को पद्म विभूषण

अनुपम खेर, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा को पद्म भूषण और प्रियंका चोपड़ा, अजय देवगन, मालिनी अवस्थी को पद्मश्री पुरस्कार

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली। सरकार ने देश के सर्वोच्च पुरस्कारों में शुमार पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। विभिन्न पद्म पुरस्कारों के लिए कुल 112 व्यक्तियों को चुना गया है जिनमें गिरजा देवी, रजनी कांत, अजय देवगन, अनुपम खेर, प्रियंका चोपड़ा, रामोजी राव, अनुपम खेर, उदित नारायण, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा, दीपिका कुमारी, मधुर भंडारकर, मालिनी अवस्थी, एमसी मेहता, उज्ज्वल निकम का नाम शामिल है। पद्म पुरस्कारों में 10 पद्म विभूषण , 19 पद्म भूषण तथा 83 पद्म श्री पुरस्कार हैं। इनमें 19 महिलाओं और 10 विदेशी व्यक्तियों ( एनआरआई और पीआईओ शामिल हैं) को दिये जा रहे हैं। चार व्यक्तियों को मरणोपरांत पद्म पुरस्कार दिये जा रहे हैं जिनमें स्वामी दयानंद सरस्वती, धीरू भाई अंबानी, सईद जाफरी और प्रकाश चंद्र सुराणा का नाम शामिल है। पद्म पुरस्कार राष्ट्रपति द्वारा मार्च/अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए जाने वाले समारोह में प्रदान किए जाएंगे।
पद्म विभूषण

क्रम संख्या

नाम
क्षेत्र
राज्य
1.                  
सुश्री यामिनी कृष्णमूर्ति
कलाशास्त्रीय नृत्य  
दिल्ली
2.                  
श्री रजनीकांत
कलासिनेमा
तमिलनाडु
3.                  
श्रीमती गिरिजा देवी
कलाशास्त्रीय गायन
पश्चिम बंगाल
4.                  
श्री रामोजी राव
साहित्य एवं शिक्षा- पत्रकारिता
आंध्र प्रदेश
5.                  
डॉ विश्वनाथन शांता
मेडिसिन- ऑनकोलॉजी
तमिलनाडु
6.                  
श्री श्री रविशंकर
अन्य- अध्यात्म
कर्नाटक
7.                  
श्री जगमोहन
लोक मामले
दिल्ली
8.                  
डॉ वासुदेव कलकुंते आत्रे
विज्ञान इंजीनियरिंग
कर्नाटक
9.                  
श्री अविनाश दीक्षित (विदेशी)
साहित्य एवं शिक्षा
अमेरिका
10.              
स्वर्गीय श्री धीरू भाई अंबानी(मरणोपरांत)
व्यापार तथा उद्योग
महाराष्ट्र

पद्म भूषण

क्रम संख्या
नाम
क्षेत्र
राज्य
11.              
श्री अनुपम खेर
कला-सिनेमा
महाराष्ट्र
12.              
श्री उदित नारायण झा
कला-पार्श्व गायन
महाराष्ट्र
13.              
श्री राम वी सुतार
कला- मूर्तिकला
उत्तर प्रदेश
14.              
श्री हिसनाम कन्हाईलाल
कला- थियेटर
मणिपुर
15.              
श्री विनोद राय
सिविल सेवा
केरल
16.              
डॉ यार्लगद्द लक्ष्मी प्रसाद
साहित्य तथा शिक्षा
आंध्र प्रदेश
17.              
प्रोफेसर एन एस रामानुज ततआचार्य
साहित्य तथा शिक्षा
महाराष्ट्र
18.              
डॉ बरजिंदर सिंह हमदर्द
साहित्य तथा शिक्षा-पत्रकारिता
पंजाब
19.              
प्रोफेसर डी नागेश्वर रेड्डी
मेडिसिन- गैस्ट्रोइंट्रोलाजी
तेंलगाना
20.              
स्वामी तेजोमायानंद
अन्य -अध्यात्म
महाराष्ट्र
21.              
श्री हाफिज कंट्रैक्टर
अन्य-कृषि
महाराष्ट्र
22.              
श्री रवीन्द्र चंद्र भार्गव
लोक मामले
उत्तर प्रदेश
23.              
डॉ वेंकट रामाराव अल्ला
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
आंध्र प्रदेश
24.              
सुश्री साइना नेहवाल
खेल-बैडमिंटन
तेंलगाना
25.              
सुश्री सानिया मिर्जा
खेल-टेनिस
तेंलगाना
26.              
सुश्री इंदु जैन
व्यापार तथा उद्योग
दिल्ली
27.              
स्वर्गीय स्वामी दयानंद सरस्वती(मरणोपरांत)
अन्य- अध्यात्म
उत्तराखंड
28.              
श्री राबर्ट ब्लैकविल (विदेशी)
लोक मामले
अमेरिका
29.              
श्री पलोनजी शपूरजी मिस्त्री(एनआरआई /पीआईओ)
व्यापार तथा उद्योग
आयरलैंड
           
पद्मश्री

क्रम संख्या

नाम
क्षेत्र
राज्य
30.              
श्रीमती प्रतिभा प्रहलाद
कला-शास्त्रीय नृत्य
दिल्ली
31.              
श्री भीखुदन गड़वी
कला-लोक संगीत
गुजरात
32.              
श्री श्रीभाष चंद्र सुपाकर
कला-वस्त्र डिजायनिंग
उत्तर प्रदेश
33.              
श्री अजय देवगन
कला-सिनेमा
महाराष्ट्र
34.              
सुश्री प्रियंका चोपड़ा
कला-सिनेमा
महाराष्ट्र
35.              
पं. तुलसीदास बोरकर
कला- शास्त्रीय संगीत
गोवा
36.              
डॉ सोमा घोष
कला- शास्त्रीय गायन
उत्तर प्रदेश
37.              
श्री नील माधब पंडा
कला- फिल्म निर्देशन तथा निर्माण
दिल्ली
38.              
श्री एस एस राजामौली
कला- फिल्म निर्देशन तथा निर्माण
कर्नाटक
39.              
श्री मधुर भंडारकर
कला- फिल्म निर्देशन तथा निर्माण
महाराष्ट्र
40.              
प्रोफेसर एम वेंकटेश कुमार
कला- लोक कलाकार
कर्नाटक
41.             
सुश्री गुलाबी सपेरा
कला- लोक नृत्य
राजस्थान
42.              
श्रीमती ममता चंद्राकर
कला- लोक संगीत
छत्तीसगढ़
43.              
सुश्री मालिनी अवस्थी
कला- लोक संगीत
उत्तर प्रदेश
44.              
श्री जय प्रकाश लेखीवाल
कला-मैनियेचर पेंटिंग
दिल्ली
45.              
श्री के लक्ष्मा गौड़
कला- पेंटिंग
तेलंगाना
46.              
श्री भालचंद्र दत्तात्रेय मोंधे
कला- फोटोग्राफी
मध्य प्रदेश
47.              
श्री नरेश चंद्र लाल
कला- थियेटर एवं सिनेमा
अंडमान तथा निकोबार
48.              
श्री धीरेंद्र नाथ बेजबरुआ
साहित्य और शिक्षा
असम
49.              
श्री प्रहलाद चंद्र तासा
साहित्य और शिक्षा
असम
50.              
डॉ रवींद्र नागर
साहित्य और शिक्षा
दिल्ली
51.              
श्री दयाभाई शास्त्री
साहित्य और शिक्षा
गुजरात
52.              
डॉ संतेषीवरा भीरप्पा
साहित्य और शिक्षा
कर्नाटक
53.              
श्री हलदर नाग
साहित्य और शिक्षा
ओडिशा
54.              
श्रा कामेश्वरम ब्रह्मा
साहित्य और शिक्षा-पत्रकारिता
असम
55.              
प्रोफेसर पुष्पेश पंत
साहित्य और शिक्षा-पत्रकारिता
दिल्ली
56.              
श्री जवाहरलाल कौल
साहित्य और शिक्षा-पत्रकारिता
जम्मू तथा कश्मीर
57.              
श्री अशोक मलिक
साहित्य और शिक्षा
दिल्ली
58.              
डॉ मन्नम गोपी चंद
मेडिसिन- कार्डियो थोरारिस सर्जरी
तेलंगाना
59.              
प्रोफेसर रवि कांत
मेडिसिन-सर्जरी
उत्तर प्रदेश
60.              
प्रोफेसर  राम हर्ष सिंह
मेडिसिन- आयुर्वेद
उत्तर प्रदेश
61.              
प्रोफेसर शिव नारायण कुरील
मेडिसिन- पीडियाट्रिक सर्जरी
उत्तर प्रदेश
62.              
डॉ सब्य साची सरकार
मेडिसिन-रेडियोलॉजी
उत्तर प्रदेश
63.              
डॉ अल्ला गोपाल कृष्ण गोखले
मेडिसिन- कार्डियक सर्जरी
आंध्र प्रदेश
64.              
प्रोफेसर टी के लाहिरी
मेडिसिन- कार्डियो थोरारिस सर्जरी
उत्तर प्रदेश
65.              
डॉ प्रवीण चंद्र
मेडिसिन- कार्डियोलॉजी
दिल्ली
66.              
प्रोफेसर(डॉ.) दलजीत सिंह गंभीर
मेडिसिन- कार्डियोलॉजी
उत्तर प्रदेश
67.              
डॉ चंद्र शेखर शेषाद्री थोगुलुवा
मेडिसिन-  गैसट्रोइंट्रोलॉजी
तमिलनाडु
68.              
डॉ श्रीमती अनिल कुमारी मल्होत्रा
मेडिसिन-होमयोपैथी
दिल्ली
69.              
प्रोफेसर एम वी पद्म श्रीवास्तव
मेडिसिन- न्यूरोलॉजी
दिल्ली
70.              
डॉ. सुधार वी शाह
मेडिसिन- न्यूरोलॉजी
गुजरात
71.              
डॉ. एम एम जोशी
मेडिसिन-ऑप्थैलमोलॉजी
कर्नाटक
72.              
प्रोफेसर (डॉ.) जॉन इबनेजर
मेडिसिन- आर्थोपेडिक सर्जरी
कर्नाटक
73.              
डॉ. नयुद्दमा यार्लगद्द
मेडिसिन- पीडियाट्रिक सर्जरी
आंध्र प्रदेश
74.              
श्री साइमन ओरांव
अन्य-पर्यावरण संरक्षण
झारखंड
75.              
श्री इम्तियाज कुरेशी
अन्य- पाक कला
दिल्ली
76.              
श्री पीयूष पांडे
अन्य-विज्ञापनतथा  संचार
महाराष्ट्र
77.              
श्री सुभाष पालेकर
अन्य-कृषि
महाराष्ट्र
78.              
श्री रवींद्र कुमार सिंन्हा
अन्य-वन्यजीव संरक्षण
बिहार
79.              
डॉ एच आर नागेंद्र
अन्य- योग
कर्नाटक
80.              
श्री एम सी मेहता
लोक मामले
दिल्ली
81.              
श्री एम एन कृष्ण मणि
लोक मामले
दिल्ली
82.              
श्री उज्जवल निकम
लोक मामले
महाराष्ट्र
83.              
श्री तोखेहो सेमा
लोक मामले
नगालैंड
84.              
डॉ सतीश कुमार
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
दिल्ली
85.              
डॉ. मिलस्वामी अन्नादुरई
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
कर्नाटक
86.              
प्रोफेसर दीपांकर चटर्जी
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
कर्नाटक
87.              
प्रोफेसर(डॉ.) गणपित दादासाहेब यादव
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
महाराष्ट्र
88.              
श्रीमती(प्रोफेसर) वीणा टंडन
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
मेघालय
89.              
श्री ओंकार नाथ श्रीवास्तव
विज्ञान तथा इंजीनियरिंग
उत्तर प्रदेश
90.              
सुश्री सुनीता कृष्णन
सामाजिक कार्य
आंध्र प्रदेश
91.              
श्री अजय कुनार दत्ता
सामाजिक कार्य
असम
92.              
श्री एम पंडित दासा
सामाजिक कार्य
कर्नाटक
93.              
श्री पी पी गोपीनाथन नायर
सामाजिक कार्य
केरल
94.              
श्रीमती मेडेलिन  डी ब्लिक
सामाजिक कार्य
पुड्डुचेरी
95.              
श्री श्रीनिवासन दमल कंदलाई
सामाजिक कार्य
तमिलनाडु
96.              
श्री सुधाकर ओल्वे
सामाजिक कार्य
महाराष्ट्र
97.              
डॉ टीवी नारायण
सामाजिक कार्य
तेलंगाना
98.              
श्री अरुणाचलम मुरुगंथम
सामाजिक कार्य
तमिलनाडु
99.              
सुश्री दीपिका कुमारी
खेल-तीरंदाजी
झारखंड
100.         
श्री सुशील दोषी
खेल-कमेंट्री
मध्य प्रदेश
101.          
श्री महेश शर्मा
व्यापार तथा उद्योग
दिल्ली
102.          
श्री सौरभ श्रीवास्तव
व्यापार तथा उद्योग
दिल्ली
103.          
श्री दिलीप संघवी
व्यापार तथा उद्योग
महाराष्ट्र
104.          
डॉ. केकी होरमुसजी घरदा
व्यापार तथा उद्योग
महाराष्ट्र
105.          
स्वर्गीय श्री प्रकास चंद सुराणा(मरणोपरांत)
कला- शास्त्रीय संगीत
राजस्थान
106.          
स्वर्गीय श्री  सईद जाफरी
(एनआरआई/पीआईओमरणोपरांत)
कला- सिनेमा
यूके
107.          
श्री माइकल पोस्टेल (विदेशी)

कला-पुरातत्व
फ्रांस
108.          
श्री सलमान अमीन सल खान  (एनआरआई/पीआईओ)
साहित्य तथा शिक्षा
अमेरिका
109.          
श्रीमती हुई लैन झांग(विदेशी)
अन्य-योग
चीन
110.          
श्री प्रेद्रग के निकिक (विदेशी)

अन्य-योग
सर्बिया
111.          
डॉ. सुंदर आदित्य मेनन
(एनआरआई/पीआईओ)
सामाजिक कार्य
यूएई
112.          
श्री अजयपाल सिंह बंगा  (एनआरआई/पीआईओ))
व्यापार तथा उद्योग
अमेरिका


शनिवार, 23 जनवरी 2016

ROHIT VEMULA: विरोध के स्वर को मिला देशव्यापी समर्थन, प्रदर्शन जारी


बंडारू दत्तात्रेय, पी. अप्पा राव, स्मृति इरानी को उनके पदों से बर्खास्त करने की मांग हुई तेज।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली/इलाहाबाद। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी रोहित वेमुला की खुदकुशी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के दो मंत्रियों और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आज भी देश के विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने विश्वविद्यालय के कुलपति, केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति इरानी को उनके पदों से बर्खास्त करने की मांग की। साथ ही रोहित की खुदकुशी के मामले में आरोपी लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। उधर केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने रोहित के परिजनों को आठ लाख रुपये का मुआवजा देने और पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का निर्देश दिया है। हैदराबाद, दिल्ली, लखनऊ, दिल्ली, पूणे, मुंबई, इलाहाबाद, वाराणसी, आदि शहरों में शनिवार को भी जबरदस्त प्रदर्शन हुए।

हैदराबाद में रोहित वेमुला के साथ निकाले गए छात्रों समेत करीब सैकड़ों लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। कई छात्र अभी भी अनशन पर बैठे हुए हैं। दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किये गए। शुक्रवार को जेएनयू में भी प्रदर्शन हुए थे। वहीं इलाहाबाद में आज छात्र युवा, बुद्धिजीवी, पत्रकार, मजदूर, किसान सब एक साथ सड़क पर निकले। इस दौरान एक प्रतिरोध मार्च निकाला गया जो पीडी टंडन पार्क से सुभाष बोस चौराहे पर जाकर एक सभा में तब्दील हो गया। इनमें जिया उल हक़, रवि किरण जैन, लेखक दूध नाथ सिंह, प्रलेस अध्यक्ष प्रो. संतोष भदौरिया, प्रो. अली अहमद फातमी, डा. उर्मिला जैन, प्रो. अनिता गोपेश, के.के. पांडे, जसम के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. प्रणय कृष्ण, सुरेन्द्र राही, खुर्शीद नकवी, डा. अशफाक हुसैन, डा. फखरुल करीम, इलाहाबाद विवि छात्र संघ अध्यक्ष ऋचा सिंह, असरार गाँधी, रणविजय सिंह सत्यकेतु, डा. अनिल पुष्कर, डा. शमेनाज़, डा. अंशुमान , रोजी रोटी बचाओ संघर्ष मोर्चा से अनु सिंह गीता, बृजेश ,आरती, सीमा आज़ाद ,रश्मि मालवीय, अविनाश मिश्र, शहनाज़, उत्पला, ऋतेश, छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शालू यादव, केके त्रिपाठी, मीना राय, नीलम शंकर , अमृता सिंह  आदि मौजूद रहे।  

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में रोहित सहित पांच दलित छात्रों को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। यह सब दिल्ली विश्वविद्यालय में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ था। दलित छात्रों ने एबीवीपी के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में कैम्पस में प्रदर्शन किया था। इसके बाद इन छात्रों को हॉस्टल से दिसंबर में निकाल दिया गया। गत रविवार को इनमें से एक रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली थी। इसे लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में छात्र संगठनों समेत अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

विश्वविद्यालय के एक दर्जन से ज्यादा दलित फैकल्टी ने आज केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बयान को लेकर सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया। इनमें मुख्य चिकित्साधिकारी कैप्टन रविंद्र कुमर, परीक्षा नियंत्रक प्रो. वी. कृष्णा, मुख्य वार्डन डॉ. जी. नागाराजू और एक दर्जन अन्य फैकल्टी सदस्य शामिल हैं। इससे विश्वविद्यालय और दबाव में आ गया और उसने जल्द ही कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई। इसमें खुदकुशी करने वाले शोधार्थी रोहित वेमुला के चार साथियों का निलंबन वापस लेने का निर्णय लिया गया।  

मोदी-गो-बैक का नारा लगाने वाले छात्रों को रिहाई मंच ने किया सम्मानित


असहमति को कुचलने की साजिश का प्रतिवाद है नारा

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में मोदी गो बैक का नारा लगाना वाले छात्र रामकरन, अमरेन्द्र और सुरेन्द्र को रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। रिहाई मंच नेता शाहनवाज आलम, राजीव यादव, शकील कुरैशी, लक्ष्मण प्रसाद, शबरोज मोहम्मदी, अनिल यादव, दिनेश चैधरी व आमिर अली अजानी ने छात्रों का माल्यार्पण किया।

छात्रों को सम्मानित करते हुए मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मोदी गो बैक का नारा लगाने वाले दलित छात्रों ने पूरे दलित समाज में आरएसएस और मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ते आक्रोश को व्यक्त किया है। जिसने आने वाले भविष्य का संकेत दे दिया है कि संघ और भाजपा का इस आंधी में उड़ना तय है। उन्होंने कहा कि छात्रों की नारेबाजी के बाद मोदी का भाषण के दौरान रुककर रोहित वेमुला की मौत पर अफसोस जताना मोदी की पैतरेबाजी है। जिसे दलित समाज बखूबी समझ रहा है। दुनिया में फासीवाद को छात्रों ने ही हर दौर में चुनौती दी है। मोदी गो बैक का नारा लगाने वाले छात्र उसी परम्परा के वारिस हैं।

इस मौके पर सम्मानित छात्र रामकरन, अमरेन्द्र और सुरेन्द्र कहा कि अगर आप संघ की विचारधारा से सहमत हंै तो आपको प्रोफेसर और वाइस चांसलर बनाया जाता है। विश्वविद्यालय का जिस तरह भगवाकरण किया जा रहा है उसे तत्काल बंद किया जाए। मोदी गो बैक का नारा क्यों लगाया इस बात का जवाब देते हुए कहा कि देश में दलितों के साथ हमेशा अन्याय होता रहा है। अगर हम इस अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे तो कौन उठाएगा। उन्होंने बताया कि पुलिस ने विरोध करने के बाद हमको गाड़ी में ले जाकर 30 मिनट तक मारा पीटा। छात्रों ने सवाल किया कि मोदी ने बीबीएयू में रोहित वेमुला के लिए क्यों संवेदना जताई? जबकि उन्हें तो हैदराबाद जाना चाहिए।

रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरीके से लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने वाले छात्रों की पुलिस प्रताड़ना की गई और उन्हें उनके गेस्ट हाउस से निकाला गया वह इस बात का सबूत है कि हमारी व्यवस्था रोहित वेमुला की मौत से कोई सबक नहीं ले पाई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीबीएयू के वीसी आरसी सोबती ने छात्रों पर कार्यवाई करने की बात कहते हुए कहा कि जिन लड़कों ने पीएम के खिलाफ नारे लगाए वे दागी प्रकृति के हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज है, यह कहकर उन्होंने साबित किया है कि जिस विश्वविद्यालय के कुलपति लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं मानते उस विश्वविद्यालय के हालात क्या होंगे। उन्होंने सवाल किया कि जब कुलपति छात्रों पर यह आरोप लगा रहे हैं कि वे विश्वविद्यालय में दलित मूवमेंट चला रहे थे तो ऐसे में उन्हें अंबेडकर विश्वविद्यालय का कुलपति बने रहने का कोई हक नहीं है क्योंकि इन छात्रों ने अम्बेडकर के विचारों से ही अन्याय का विरोध करने की प्रेरणा ली है।

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि अगर मोदी गो बैक का नारा लगाने वाले छात्रों का करियर खराब करने की कोई साजिश की गई तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब कोई रोहित आत्महत्या के लिए मजबूर नहीं होगा। यह नागरिक अभिनंदन इसी बात का प्रतीक है कि भगवा आतंक के खिलाफ अब समाज लड़ने को तैयार हो रहा है। उन्होंने छात्रों का मेडल और डिग्री ससम्मान देने की मांग की।

मोदी गो बैक का नारा लगाने वाले छात्रों के नागरिक अभिनंदन में मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डे, पीयूसीएल महासचिव वंदना मिश्रा, वरिष्ठ साहित्यकार भगवान स्वरुप कटियार, सीपीआई एमएल के राजीव, डॉ. एम पी अहिरवार, सीमा चन्द्रा, दिवाकर, नदीम, आरिफ मासूमी, जुबैर जौनपुरी, सैयद मोईद, पीसी कुरील, खालिद कुरैशी, फहीम सिद्दीकी, अनिल यादव, केके वत्स, एस के पंजम, अजीजुल हसन, प्रदीप कपूर, अजय शर्मा, आशीष अवस्थी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मण प्रसाद ने किया।

     ( प्रेस विज्ञप्ति)

गुरुवार, 21 जनवरी 2016

ROHIT VEMULA: शोधार्थियों का निलंबन वापस, बंडारू और वीसी की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन जारी


रोहित वेमुला की खुदकुशी के विरोध में विश्वविद्यालय के 15 में से 13 दलित फैकल्टी ने सभी प्रशासनिक पदों से दिया इस्तीफा

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली/हैदराबाद। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी रोहित वेमुला की खुदकुशी को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे विरोध-प्रदर्शन और राजनीतिक प्रतिक्रिया से सकते में आई विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने चार दलित शोधार्थियों का निलंबन वापस ले लिया है। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने गुरुवार को रोहित वेमुला के साथ निलंबित अन्य चार छात्रों का निलंबन रद्द कर दिया। परिषद ने यह फैसला विश्वविद्यालय में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की बीच किया। विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विश्वविद्यालय में बने असाधारण हालात को देखने और मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने के बाद शोधार्थियों पर लगाए गए दंड को तत्काल प्रभाव से समाप्त कने का फैसला लिया गया है।

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में रोहित सहित पांच दलित छात्रों को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। यह सब दिल्ली विश्वविद्यालय में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ था। दलित छात्रों ने एबीवीपी के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में कैम्पस में प्रदर्शन किया था। इसके बाद इन छात्रों को हॉस्टल से दिसंबर में निकाल दिया गया। गत रविवार को इनमें से एक रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली थी। इसे लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में छात्र संगठनों समेत अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। 

विश्वविद्यालय के एक दर्जन से ज्यादा दलित फैकल्टी ने आज केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बयान को लेकर सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया। इनमें मुख्य चिकित्साधिकारी कैप्टन रविंद्र कुमर, परीक्षा नियंत्रक प्रो. वी. कृष्णा, मुख्य वार्डन डॉ. जी. नागाराजू और एक दर्जन अन्य फैकल्टी सदस्य शामिल हैं। इससे विश्वविद्यालय और दबाव में आ गया और उसने जल्द ही कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई। इसमें खुदकुशी करने वाले शोधार्थी रोहित वेमुला के चार साथियों का निलंबन वापस लेने का निर्णय लिया गया।  


वोटबैंक की राजनीति से उपजे रोहित वेमुला की खुदकुशी के हालात

दक्षिण के तरीकबन सभी प्रदेशों में सवर्णों को विस्थापित कर पिछड़ा तबका शासक वर्ग बन गया है। इस या उस पार्टी के साथ सत्ता में रहता है। ऐसे में सत्ता का ख्वाब देखने वाली किसी भी दक्षिणपंथी पार्टी के लिए पिछड़ा तबका उसका स्वाभाविक आधार होगा। बीजेपी की भी इसी हिस्से पर नजर है लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है...

महेंद्र मिश्रा

बहुत दिनों से यह खिचड़ी पक रही थी। पूरा परिवार इसको पकाने में जुटा था। तिल को ताड़ एक खास मकसद से बनाया गया । दो छात्रों के बीच की एक मामूली लड़ाई अनायास ही नहीं दिल्ली पहुंच गई। देखते ही देखते दो-दो केंद्रीय मंत्री शामिल हो गए। एचआरडी मंत्रालय से तीन महीने के भीतर चार-चार रिमाइंडर भेज दिए गए। स्थानीय बीजेपी विधायक इसकी अगुवाई करने लगा। परिसर कब सड़क और बाहर की राजनीति से जुड़ गया पता ही नहीं चला। दरअसल इस बीरबली खिचड़ी पर बड़ा दांव लगा था। उत्तर भारत में संघ-बीजेपी की पकड़ मजबूत हो गयी है। लेकिन दक्षिण भारत अभी भी उसकी पहुंच से दूर है। हालांकि कर्नाटक में बीजेपी का आधार जरूर है। लेकिन आंध्रा, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में पैर रखने के लिए उसे जमीन की तलाश है। ऐसे में दक्षिण की इस भूख को पूरा करने में यह खिचड़ी बेहद मददगार साबित होती।

सूबे के बंटवारे के बाद तेलंगाना में टीआरएस और आंध्रा में टीडीपी का शासन है। तेलंगाना से हटकर टीडीपी का केंद्रीकरण अब आंध्र प्रदेश में हो गया है। ऐसे में उसका पुराना आधार और सूबे के गठन के संक्रमण से पैदा हालात बीजेपी के लिए नये मौके मुहैया कराते हैं। जिसमें वह अपने लिए एक नई जमीन तैयार कर सकती है। आम तौर पर बीजेपी का अपना विश्वसनीय आधार सवर्ण तबका होता है। लेकिन दक्षिण में पिछड़ों के सशक्तीकरण ने इस तबके को राजनीतिक तौर पर अप्रासंगिक बना दिया है। या फिर इसकी इतनी संख्या नहीं है कि उस पर पारी खेली जा सके। दक्षिण के तरीकबन सभी प्रदेशों में सवर्णों को विस्थापित कर पिछड़ा तबका शासक वर्ग बन गया है। इस या उस पार्टी के साथ सत्ता में रहता है। ऐसे में सत्ता का ख्वाब देखने वाली किसी भी दक्षिणपंथी पार्टी के लिए पिछड़ा तबका उसका स्वाभाविक आधार होगा। बीजेपी की भी इसी हिस्से पर नजर है लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। 

हैदराबाद समेत कुछ शहरों में मुस्लिम तबके के खिलाफ सांप्रदायिक गोलबंदी से भले ही कुछ माहौल बन जाए लेकिन ठोस आधार बन पाना मुश्किल है। गांवों और सुदूर इलाकों के लिहाज से यह हथियार कारगर नहीं है। यह प्रकरण उसी की तलाश है। दरअसल वंचित जातियों के सशक्तीकरण के बावजूद दक्षिण में अभी भी पिछड़ों और दलितों के बीच एक गहरा अंतरविरोध है। बीजेपी इसका ही इस्तेमाल कर पिछड़ों में अपनी पैठ बनाना चाहती है। अनायास ही नहीं उसने किसी और की जगह बंडारू दत्तात्रेय का चेहरा आगे किया। जो एक पिछड़ी जाति से आते हैं। और घटना के बाद पार्टी उसे बढ़-चढ़ कर प्रचारित करने में लगी है। नहीं तो एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी को अपने पहले ही संवाददाता सम्मेलन में दत्तात्रेय की जाति बताने की क्या जरूरत पड़ गई? इतना ही नहीं उन्होंने शुरुआत भी सुशील कुमार की जाति बताने के साथ ही किया ।

इस देश में जातीय उत्पीड़न की घटनाएं अक्सर होती हैं। लेकिन यह पहली ऐसी घटना है जिसमें सीधे तौर पर सत्ता और उसकी सवारी करने वाले लोग शामिल हैं। रोहित ने आत्महत्या नहीं की बल्कि सत्ता के इन बहेलियों ने उसे घेर कर मारा है। इस वाकये ने उच्चशिक्षण संस्थानों, सत्ता प्रतिष्ठानों और पूरी व्यवस्था के ब्राह्मणवादी चेहरे को नंगा कर दिया है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि यह उत्पीड़न गांव की दलित बस्तियों तक सीमित नहीं है। उच्च शैक्षणिक संस्थाएं भी इन्हीं का विस्तार हैं। संघ अपने इन सामंती किलों को और मजबूत करने में जुट गया है। हैदराबाद विश्वविद्यालय से लेकर बीएचयू और इलाहाबाद से लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू से लेकर अलीगढ़ और जामिया में आये दिन सरकार की दखलंदाजी इसी के प्रमाण हैं। 

घटना के बाद विपक्षी दलों पर राजनीति करने का आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन अभी तक बीजेपी-संघ-परिषद ने जो किया उसे किस श्रेणी में रखा जाएगा? और अगर इस देश में कानून नाम की कोई चिड़िया है और वह काम भी करती है तो रोहित की आत्महत्या के मामले में अब तक सक्रिय क्यों नहीं हुई? खुदकुशी के लिए मजबूर करने वाले जेल क्यों नहीं भेजे गए? इस मामले में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज है। और कानून व्यवस्था का मामला भी राज्य का होता है। ऐसे में सूबे की पुलिस की क्या यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह बंडारू समेत सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की पहल करे?

बीजेपी और उसके समर्थक याकूब मेमन मामले से जोड़कर इसे सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं। लेकिन उन्हें इस बात को जरूर समझना चाहिए कि इस देश में किसी भी नागरिक को किसी भी मसले पर अपनी राय रखने की पूरी छूट है। इस देश में एक बड़ी संख्या है जो फांसी की सजा की विरोधी है। हर किसी फांसी के मौके पर उसका प्रतिरोध सामने आता है। यह केवल याकूब की बात नहीं है बल्कि धनंजय चटर्जी के मसले पर भी पूरे देश में इसी तरह से बहस खड़ी हुई थी। और याकूब के मामले पर सरकार का खुद पक्ष बहुत कमजोर था ऐसे में देश और समाज में उस पर दो राय बननी स्वाभाविक थी। 

अगर ऐसा नहीं होता तो तीन बजे रात में सुप्रीम कोर्ट की पीठ को नहीं बैठना पड़ता। ऐसे में उस पर बहस को सीधे कैसे देशद्रोह करार दिया जा सकता है। क्या ऐसे लोग जो फांसी के विरोधी हैं सब को देशद्रोही मान लिया जाए? या फिर उन्होंने जीने का अधिकार खो दिया है। और कहीं भी कभी भी उनकी हत्या की जा सकती है? हम किसी आधुनिक लोकतांत्रिक समाज में रह रहे हैं या फिर मध्ययुग के बर्बर सामंती दौर में पहुंच गए हैं। यह कार्रवाई बिल्कुल ही छात्रों के बीच विवाद के मसले पर हुई थी। उसको वहीं तक सीमित रखा जाए। बाकी उसे सांप्रदायिक रंग देने की साजिश सवर्णों के एक हिस्से द्वारा की जा रही है जो घोर दलित और मुस्लिम विरोधी होने के साथ बीजेपी समर्थक हैं।

(लेखक टीवी पत्रकार हैं)

ROHIT VEMULA: SC/ST फैकल्टी ने किया आंदोलन का समर्थन, 10 ने दिया इस्तीफा


प्रेस विज्ञप्ति में की स्मृति ईरानी के हालिया बयान की निंदा। प्रदर्शनकारियों के समर्थन में उतरे फैकल्टी के सदस्य।    

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली/हैदराबाद। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छब्बीस वर्षीय शोधार्थी रोहित वेमुला चक्रवर्ती की खुदकुशी के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के समर्थन में विश्वविद्यालय के एससी/एसटी वर्ग के शिक्षक भी कूद पड़े हैं। विभिन्न पदों पर कार्यरत करीब एक दर्जन प्रोफेसरों ने विश्वविद्यालय के सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने विज्ञप्ति में ईरानी के उस वक्तव्य की कड़े शब्दों में निंदा की है जिसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय की दलित फैकल्टी उस जांच कमेटी का हिस्सा थी, जिसके आधार पर रोहित वेमुला और उसके अऩ्य चार साथियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 


पत्रकारों से बाचतीत में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कल्याण के डीन और एससी/एसटी टीचर्स एवं ऑफिसर्स फोरम के सदस्य प्रकाश बाबू ने कहा, ''मंत्री राष्ट्र को गुमराह कर रही हैं। हम उस प्रशासन के अंतर्गत कार्य नहीं करेंगे जिसके कार्यकारी परिषद में विश्वविद्यालय की स्थापना से दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं है।"

डॉ. रविन्द्र कुमार और एस. सुधाकर बाबू के हस्ताक्षर वाली प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि हम दलित फैकल्टी पूरी तरह से केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी के उस बयान की निंदा करते हैं। हम उनके उस बयान पर आपत्ति हैं जो उन्होंने नई दिल्ली में गत 20 जनवरी को दोपहर करीब तीन बजे पत्रकार वार्ता के दौरान दिया था। प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्री ने मामले में तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया और कहा कि विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर छात्रों के निलंबन का निर्णय लेने वाली कार्यकारी परिषद की उप-समिति के मुखिया थे। उस समिति के मुखिया उच्च वर्ग के प्रोफेसर विपिन श्रीवास्तव थे और कार्यकारी परिषद की उप-समिति में दलित वर्ग का कोई सदस्य नहीं था। यह एक संयोग है कि छात्र कल्याण के डीन दलित वर्ग से हैं और समिति के एक्स ऑफिसियों सदस्य के रूप में उन्हें शामिल किया गया। 

दलित प्रोफेसर्स एसोसिएशन ने कहा है कि 50 से 60 फैकल्टी सदस्य प्रशानिक पदों से इस्तीफा देंगे। रिलीज में कहा गया है कि इस मामले को गलत तरफ मोड़कर ईरानी खुद को और बंडारू दत्तात्रेय को रोहित वेमुला की मौत की जिम्मेदारी लेने से बचाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि रोहित वेमुला के सुसाइड नोट में किसी अधिकारी या सांसद का नाम नहीं था। फैकल्टी ने रिलीज में कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय मंत्री जी ये कहते हुए देश को गुमराह कर रही हैं कि होस्टल वॉर्डन के पास छात्रों को निकालने का अधिकार है। प्रेस रिलीज में कहा गया कि, 'माननीय मंत्री जी के मनगढ़ंत बयानों के जवाब में हम दलित फैकल्टी और अधिकारी अपने पदों से इस्तीफा देंगे।' प्रेस रिलीज में कहा गया है कि दलित फैकल्टी प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ है। उसमें लिखा है, 'हम रोहित वेमुला की मौत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ हैं और अपने छात्रों के निलंबन और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की मांग करते हैं।

पिछले साल अगस्त में रोहित सहित पांच दलित छात्रों को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। यह सब दिल्ली विश्वविद्यालय में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ। दलित छात्रों ने एबीवीपी के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में कैम्पस में प्रदर्शन किया था। इसके बाद इन छात्रों को हॉस्टल से दिसंबर में निकाल दिया गया था। गत रविवार को रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली।