रविवार, 30 जुलाई 2017

सामाजिक न्याय सम्मेलन में जाति नहीं, जमात को एकजुट करने का उठा मुद्दा


भाजपा की अगुआई में केंद्र की सत्ता में काबिज राजग सरकार द्वारा पिछड़ों के अधिकारों पर हो रहे हमलों पर भारतीय समता परिवार एवं सामाजिक न्याय मोर्चा ने संयुक्त रूप से मैदागिन स्थित पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित किया सामाजिक न्याय सम्मेलन’।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। भारतीय समता परिवार और सामाजिक न्याय मोर्चा ने आज मैदागिन स्थित पराड़कर स्मृति सभागार में संयुक्त रूप से सामाजिक न्याय सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें वक्ताओं ने सामाजिक न्याय को हासिल करने के लिए जाति नहीं, जमात को एकजुट करने पर जोर दिया। सम्मेलन में केंद्र की सत्ता में काबिज राजग सरकार की नीतियों, सामाजिक एवं आर्थिक न्याय, दलितों एवं पिछड़ों का आरक्षण, बेरोजगारी, दोहरी शिक्षा प्रणाली, शिक्षा का व्यवसायीकरण, राजनीति का अपराधीकरण और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति सभाजीत यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों के नेता वंचित समुदाय को लगातार छल रहे हैं। उनसे ज्यादा आशा नहीं की जा सकती है। इसके लिए एक नये विकल्प की जरूरत है। उन्होंने समाजवादी पार्टी की अंदरूनी रस्साकसी का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी की नौटंकी में मुलायम विलेन तो राम गोपाल यादव खलनायक बनाये गए और अखिलेश यादव को नायक के तौर पर प्रचारित किया गया। इसका हाल यह हुआ कि पार्टी पारिवारिक विवाद में ही फंसी रह गई। उन्होंने कहा कि इस तरह की राजनीति से सामाजिक न्याय नहीं मिलने वाला है। युवाओं को एक नई कोशिश करनी होगी। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गाजीपुर के सैदपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक राजित प्रसाद यादव ने कहा कि युवाओं को बुजुर्गों के अनुभव के साथ एक नया विकल्प तैयार करने की जरूरत है। आप लोग अनुशासन के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे तो आपको यह अधिकार जरूर हासिल होगा। 

कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी का मुद्दा उठाते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. शोभना नर्लिकर ने कहा कि आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं लेकिन कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी नहीं होती है। सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है कि आप महिलाओं की भागीदारी को बढ़ायें और उन्हें सम्मान दें तभी सामाजिक न्याय का यह संघर्ष अपने अंजाम तक पहुंच पाएगा। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साकेत कुशवाहा ने कहा कि सामाजिक न्याय के संघर्ष को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मीडिया माध्यमों में अपनी भागीदारी करने की जरूरत है। ऑनलाइन माध्यमों से हम इस संघर्ष की लड़ाई को लोगों के बीच ले जा सकते हैं। इसलिए हमें मीडिया प्रतिष्ठानों की स्थापना करने और उन्हें प्रभावी ढंग से संचालित करने की जरूरत है। ऑल इंडिया महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जनाब हाजी निसार अहमद ने पसमांदा मुसलमानों की स्थित का जिक्र करते हुए कहा कि आप हमें अल्पसंख्यक न कहें। हम पिछड़े हैं। हमारा खून एक है। हमारी समस्याएं एक हैं। इसलिए यह संघर्ष सिर्फ आपका नहीं है, यह हमारा भी है। 

कार्यक्रम का उद्घाटन और विषय प्रवर्तन वाराणसी से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र भारत दूत के संपादक अरुण यादव ने किया। कार्यक्रम को सामाजिक न्याय मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज कुमार यादव, भारतीय समता परिवार के प्रभात महान, सुनील कश्यप, राम नरेश पटेल, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सहायक प्राध्यापक चंद्रसेन त्यागी आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अनिता भारती, निधि, अधिवक्ता मीरा यादव, सुनील यादव, राजीव कुमार मौर्य, राम नरेश, जगनारायण कुशवाहा, मारुति मानव, नेहा यादव, डॉ. केशव समेत करीब दो सौ लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राहुल राजभर ने किया। 

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